उसने नहीं बनाया
एक भी नफीस चित्र
अपनी पूरी जिन्दगी में
मुक्कम्मल किया है
सिर्फ एक कोलाज
अपनी काग़ज़ की नाव
फाड़ कर बनाई है नदी
पतंग फाड़ कर बनाया है आकाश
प्रेमिका के पत्र फाड़ कर बनाए है
बिना फूलों वाले पेड़
पिता की झुर्रियाँ ले कर बनाई है
घर की दीवारें
अपने सिर के तमाम बाल नोच कर
बनाई है उस घर की छत
और उस घर के बाहर एक
एक बहुत बडा कूड़ेदान बनाया है
नफीस चित्र बानाने की
विधियाँ बताने वाली किताब को फाड़ कर
उसने नहीं बनाया
एक भी नफीस चित्र
अपनी पूरी जिन्दगी में
मुक्कम्मल किया है
सिर्फ एक कोलाज!
रचनाकाल 1990
--अवनीश गौतम
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15 कविताप्रेमियों का कहना है :
"उसने मां से कुछ भी उधार नहीं लिया,
इसीलिए बना नहीं सका एक नफीस चित्र,
सिर्फ़ एक कोलाज...."
ये रचनाकाल डालने का क्या तात्पर्य है...
निखिल
उसने नहीं बनाया
एक भी नफीस चित्र
अपनी पूरी जिन्दगी में
मुक्कम्मल किया है
सिर्फ एक कोलाज!
अवनीश जी,
बहुत सुंदर लिख है.
अलग से भाव,है ,वो सुंदर चित्र तो नही बना पाया पर आप ने सुंदर कविता लिख डाली
सादर
रचना
क्या बात है...
बहुत बढ़िया, जो कुछ लिखा है उससे परे असरदार रचना |
विनय
भई वाह! क्या गजब की बात कही है अवनीश जी !
Its a very deep thought and a very beautiful analogy. Different, practical, and so close to life. Congrats. Expression of thoughts in words could have been better.
उम्दा रचना
बधाई स्वीकारें।
सुंदर रचना
ओह! क्या बात है! :)
निखिल भाई आप लोगों से इस बच्चे को मिलवाना था तो सोचा इसकी उम्र भी बता दी जाए. :)
वाह शीर्षक पढ़ कर ही लगा की ये अवनीश भाई की कविता होगी, पढने का बाद जाने क्यों लगा की ये तो मेरी ही कहानी है, देर तक कोलाज जेहन में बैठा रहा .....अपने आप से सवाल पूछता रहा मैं
हमेशा की तरह बेहद सुंदर. रचनाकाल से पता चलता है कि बच्चा बच्चा था ही नहीं :)
मुझे याद है,फरवरी में वर्ल्ड बुक फेयर में मुझे बेनाम की कविता दिखाई गई,दरअसल वो कविता नही बल्कि कविता के बीच की कुछ पंक्तियाँ थी,मैं पकड़ नहीं पाया,अब्दाजे में मैंने कई सारे लोगों के नाम प्रेदिक्त कर डाले.बाद में मुझे बताया गया कि आप कच्ची लेखनी और पक्की लेखनी में अन्तर नहीं कर पाए.वो,कविता आप ही की थी.
पर,आज,कोई गलती नही की,बहुत ही उम्दा रचना.सर जी,तो क्या हुआ कि उस कमबख्त ने पूरी जिंदगी एक कोलाज को तैयार करने में ही बीता दी,पर अगर वो कोलाज ऐसा हो तो किसी भी तरह की,ग्लानि कि गुन्जाईश नही रह जाती.
अति सुंदर,बधाई.
आलोक सिंह "साहिल"
हा हा हा...
मुझे बच्चे बहुत पसंद लगते हैं,,,,,,
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