एक बड़े नेता ने
दूसरे छोटे नेता को फोन किया
तुम्हें क्यों मुर्दानी छाई है?
सुना नहीं,
बिहार में बाढ़ आई है!
तुमने अब तक बाढ़ पीड़ितों के लिए क्या-क्या किया?
किया तो
उसका समाचार
मीडिया को क्यों नहीं दिया?
बाढ़,
बाढ़ नहीं,
डूब रही पार्टियों के लिए
नाव है!
तुम्हें पता नहीं
आगे
चुनाव है!
एक सामाजिक संस्था के अध्यक्ष ने
अपने मंत्री को फोन किया
बिहार में बाढ़ आई है
अभी तक तुमने
टी०वी० में
अपनी सूरत नहीं दिखाई है!
दूसरे सभी संगठनो ने लाखों चंदे बटोर लिए
करोड़ों देने के वादे झकझोर दिए
तुम क्या सो रहे हो?
अभी तक
कश्मीर पर रो रहे हो!
नया काम मिला है
इससे पूरा हिन्दुस्तान हिला है
अब हमें
यही राग अलापना है
इसमें आगे
ज्यादा संभावना है
बाढ़ के बाद
बीमारी, पुनर्वास की समस्या होगी
वही संगठन उभर कर आगे आएगा
जिसकी ज्यादा चर्चा होगी!
एक अखबार के संपादक ने
एक साहित्यकार को फोन किया
बिहार में बाढ़ आई है
और अभी तक आपने
अपनी कलम नहीं चलाई है!
एक कवि ने
दूसरे युवा कवि को फोन किया
बाढ़ ने दी है
कलम को नयी स्याही
आप कहाँ सो रहे हैं
मेरे युवा कवि उत्साही!
सबके जोश ने
मेरे होश उड़ाए
चाहता तो कुछ और था
मगर यही लिख पाए
खुदा सबको
बाढ़ पीडितों की बद्दुआ से बचाए
सुना है
यह भी सुना है
कि बिहार की बाढ़ में
ऐसे चेहरे भी सामने आए
जिन्होने खुद को
मेड़ में
मिट्टी की तरह झोंक दिया
खुद तो मिट गए
मगर बाढ़ के पानी को
गाँव में घुसने से रोक दिया
आज बिहार को
ऐसे ही लोगों की आवश्यकता है
आज यह बाढ़
बिहार को डूबाने पर आमादा है
कर दीजिए बिहार के नाम
जो भी आपके पास
आवश्यकता से ज्यादा है।
--देवेन्द्र कुमार पाण्डेय
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16 कविताप्रेमियों का कहना है :
"आज यह बाढ़
बिहार को डूबाने पर आमादा है
कर दीजिए बिहार के नाम
जो भी आपके पास
आवश्यकता से ज्यादा है।"
बहुत ही अच्छा लिखा देवेन्द्र जी। पर ज़बानी जमाखर्च के बीच बाढ़ पीडितों के लिए कुछ असल करने वाले वाकई बहुत कम हैं!
बिहार की बाढ़ ने सभी को द्रवित किया है ,क्योँ न हिन्दयुग्म के मंच से कुछ काम किया जाय इन बाढ़ पीडितों के लिए देवेन्द्र जी तथा अभिषेक जी दोनों एक ने जुबानी संवेदना वक्त ने की दूसरे (अभिषेक )ने बताया की बोलने बाले बहुत हैं तो चलिए सरकार को ,समाज को और न जाने किन किन को कोसने के अलावा कुछ करे अपने इस बिहार के लिए जो दुर्दिन देख रहा है ,
और आंसू बहा रहा है |
आज के तथा कथित समाजसेवियों व् राजनेताओं पर सटीक सफल कटाक्ष है |बधाई | श्यामसखा `श्याम'
प्रासंगिक रचना। अच्छी लगी।
किसी भी आपदा का स्वार्थ भरा इस्तेमाल कैसे होता है, यह इस कविता से बखूबी ज़ाहिर होता है . बहुत अच्छे.
देवेन्द्र जी
इतनी जबरदस्त कविता के लिए बधाई। आपने राजनेताओं का बहुत बढ़िया खाका खींचा है। कविता में हास्य-व्यंग्य कविता को सरस बना रहा है। बहुत-बहुत बधाई।
देवेन्द्र जी ,
आपने बाढ़ में जुगाड़ ढूढने वालो पर 'कटाक्ष की कोशी ' बाहाई है रचना बेहद प्रासंगिक और हास्य रस से सरबोर है
ढेर सारा साधुवाद .
नीलम जी के सुझावों से शत प्रतिशत सहमत हूँ . कविता के काल्पनिक से थोड़ा ऊपर उठ कर कुछ याठार्थ का भी पुण्य काम किया जाए .मैं एस हिन्दी युग्म के दीवारों से ,ओसारो ,गगनचुम्बी अत्तालिकाओ से कारुना गुहार लगता हूँ की कुछ करना चाहिए . प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा रहेगी मैं अभी से ही इसमे शामिल हूँ.
हाँ कोशी नही गंगा तवरित होनी चाहिए .
धन्यवाद्.
राजेश कुमार पर्वत
देवेन्द्र जी ,
आपने बाढ़ में जुगाड़ ढूढने वालो पर 'कटाक्ष की कोशी ' बाहाई है रचना बेहद प्रासंगिक और हास्य रस से सरबोर है
ढेर सारा साधुवाद .
नीलम जी के सुझावों से शत प्रतिशत सहमत हूँ . कविता के काल्पनिक से थोड़ा ऊपर उठ कर कुछ याठार्थ का भी पुण्य काम किया जाए .मैं एस हिन्दी युग्म के दीवारों से ,ओसारो ,गगनचुम्बी अत्तालिकाओ से कारुना गुहार लगता हूँ की कुछ करना चाहिए . प्रतिउत्तर की प्रतीक्षा रहेगी मैं अभी से ही इसमे शामिल हूँ.
हाँ कोशी नही गंगा तवरित होनी चाहिए .
धन्यवाद्.
राजेश कुमार पर्वत
बहुत सुंदर कविता है।
सचमुच, बिहार में बाढ़ बहुत लोगों को सेहत सुधारने और इमेज चमकाने का मौका देती है। इस बार बाढ़ का रूप प्रलय का, इसलिए मौका भी पहले से काफी बड़ा।
''आज यह बाढ़
बिहार को डूबाने पर आमादा है
कर दीजिए बिहार के नाम
जो भी आपके पास
आवश्यकता से ज्यादा है।''
इस विपदा की घड़ी में सभी को इसी जज्बे के साथ अपने स्तर पर बाढ़पीडि़तों के लिए कुछ जरूर करना चाहिए।
सच कहूँ तो बस एक ही शब्द मुह से निकलता है...वाह क्या व्यंग्य है,आपके लेखन की धार करारी है...लिखते रहिये...मेरी शुभकामनाऎं है आपके साथ..
देवेन्द्र जी,
बिल्कुल ठीक कहा आपने.
आज बिहार को
ऐसे ही लोगों की आवश्यकता है
आज यह बाढ़
बिहार को डूबाने पर आमादा है
कर दीजिए बिहार के नाम
जो भी आपके पास
आवश्यकता से ज्यादा है।
बहुत ही सुंदर रचना है, धन्यवाद!
इतने सुंदर तरीके से आप ने सब कुछ कह दिया
बहुत ही अच्छी कविता
सादर
रचना
एक शब्द में लाजवाब.
आलोक सिंह "साहिल"
इंटरनेट कनेक्शन कटा होने के कारण मैं पाठकों की प्रतिक्रिया नहीं पढ़ सका। कविता की प्रशंसा के लिए सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद। विशेष रूप से मैं नियंत्रक हिन्द-युग्म का ध्यान अभिषेक जी, नीलम जी और राजेश जी की प्रतिक्रियाओं की ओर दिलाना चाहता हूँ और अनुरोध करता हूँ कि इस दिशा में पहल करें ताकि वे पाठक जो हिन्द-युग्म के माध्यम से मदद के लिए आगे आना चाहते हैं मदद कर सकें। यदि नहीं तो मदद के और भी माध्यम हैं जिनका चुनाव पाठक कर सकते हैं।
-देवेन्द्र पाण्डेय।
aap ki kavit abahut acchi hai.sabhi logo ko bihar ko vapas patliputra banane main madad karni chahiye.
Hi devendraji!
Aapaki kavita samaj ka aachha chitran karati hai......avasarvadi log apane pfayade ke avasaron ki bat dekhate rahaten hain.....yahi sansar hai....badhai ek achhi kawita ke liye.
prem pandey
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