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Friday, August 01, 2008

आगे----पंद्रह अगस्त कs लड़ाई हौ


काशिका बोली में लिखी एक कविता

लड़ाई



अबहिन तs
स्कूल में
लइकन कs
नाम लिखाई हौ
फीस हौ
ड्रेस हौ
कापी-किताब हौ
पढ़ाई हौ
आगे----
पंद्रह अगस्त कs
लड़ाई हौ।

तोहरे घरे
सावन क हरियाली होई बाबू
हमरे घरे
महंगाई क आंधी हौ
ई देश में
सब कानून गरीबन बदे हौ
धनिक जौन करैं उहै कानून हौ
ईमानदार
भुक्कल मरें
चोट्टन क चांदी हौ

कहत हउआ
सगरो सावन कs हरियाली हौ ?
रिक्शा खींचत के प्रान निकसत हौ बाबूssss
देखा-
कितनी खड़ी चढ़ाई हौ !

एक्को रूपैय्या कम न लेबै भैया
आगे---
पंद्रह अगस्त क लड़ाई हौ !
आगे--
पंद्रह अगस्त क लड़ाई हौ !
आगे---


कवि- देवेन्द्र कुमार पाण्डेय

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9 कविताप्रेमियों का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

एक्को रूपैय्या कम न लेबै भैया
आगे---
पंद्रह अगस्त क लड़ाई हौ !
आगे--
पंद्रह अगस्त क लड़ाई हौ !
आगे---
bahut bahdhiya devendra ji.

vipinkizindagi का कहना है कि -

achchi rachna hai

RAVI KANT का कहना है कि -

देवेन्द्र जी, अच्छा प्रयास है।

अबहिन तs
स्कूल में
लइकन कs
नाम लिखाई हौ
फीस हौ
ड्रेस हौ
कापी-किताब हौ
पढ़ाई हौ
आगे----
पंद्रह अगस्त कs
लड़ाई हौ।

रचना सीधे तौर पर पाठक को अपने से जोड़ने में सक्षम है।

Smart Indian का कहना है कि -

कविता बहुत सुंदर है और भाव भी महत्वपूर्ण और प्रासंगिक है. कहाँ बोली जाती है काशिका बोली?

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

काशिका बोली ये कहाँ की बोली है देवेन्द्र जी
कविता जितनी समझ में आई उससे अच्छी लगी

Shailesh Jamloki का कहना है कि -

देवेन्द्र कुमार पाण्डेय जी, आपकी ये बोली काफी कुछ समझ मै आई..
जो समझ मै नहीं आया.. वो है

१) शीर्षक. क्या आप ये कहना चाह रहे है की, १५ अगस्त की लडाई मतलब स्वतत्रंता की लडाई ?
२)"सब कानून गरीबन बदे हौ
धनिक जौन करैं उहै कानून हौ" इन दोस्त पंक्तियों का मतलब?


बाकी बेहतरीन कोशिश के लिए बधाई
सादर
शैलेश
२)

Avanish Gautam का कहना है कि -

ऐ देवेनदर भैया.
तोहार लिखाई मा बात हौ.

एकदम अलग्गे दिखात हौ.

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

काशिका बोली ----
वाराणसी का दूसरा नाम काशी है। काशी में बोली जाने वाली बोली को साहित्यकारों ने काशिका बोली का नाम दिया। यह बोली खड़ी हिन्दी तथा भोजपुरी को मिलाजुला कर काशी क्षेत्र में बोली जाती है। चूंकि काशी महान साहित्यकारों की जननी रही है अतः इसका प्रयोग बड़े-बड़े साहित्यकारों ने दमदारी से किया है। कभी फुर्सत में काशिका बोली के साहित्यकारों और उनकी रचनाओं की चर्चा अवश्य करूंगा। यहाँ मैं अपनी कविता में प्रयुक्त शब्दावलियों तथा कविता पर प्रकाश डालना चाहता हूँ।
लड़ाई संघर्ष । अबहिन त अभी तो । गरीबन निर्धन । सगरो सर्वत्र हर जगंह । कहत हउआ कह रहे हो । खड़ी चढ़ाई कठिन चढ़ाई ।
शैलेश जी- सब कानून गरीबन बदे हौ धनिक जौन करें उहै कानून हौ---अर्थात एक गरीब रिक्शा वाला व्यंग कसते हुए कह रहा है कि --- कानून का डंडा तो निर्धन पर ही चलता है आप जैसे धनवान लोग तो संसद में खुलेआम घूस के नोट बिखेर कर भी ईमानदार बने रहते हो। धनिक पैसे के बल पर कत्ल कर के भी छूट जाता है।
पंद्रह अगस्त की लड़ाई का वृहद अर्थ है। सीधा-सादा अर्थ तो यह कि एक गरीब रिक्शे वाला मेहनत-मजदूरी करते हुए भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है किसी तरह उसने अपने बच्चे का दाखिला स्कूल में करा दिया है -ड्रेस -फीस कापी-किताब की जुगत लगा ली है लेकिन स्कूल वालों का फरमान है कि पंद्रह अगस्त के दिन बच्चे को विशेष ड्रेस में भेजना जूता टाई सब टाइट होना चाहिए। गरीब रिक्शे वाले के लिए यह एक कठिन लडा़ई -संघर्ष से कम नहीं।
वृहद अर्थ में यह कि एक गरीब रिक्शा वाला मेहनत-मजदूरी करके भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा इसलिए देना चाहता है कि वह एक दिन अपने बच्चों के सहयोग से गरीबी की दासता से मुक्ती पा जाएगा।
गरीबी की दासता से मुक्ती की लड़ाई उसके लिए --पंद्रह अगस्त की लड़ाई अर्थात आजादी की लड़ाई से किसी माने में कम नहीं।
अन्त में आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपके प्रश्न ने मुझे कविता की व्याख्या करने का अवसर प्रदान किया।
--देवेन्द्र पाण्डेय।

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

काशिका बोली ----
वाराणसी का दूसरा नाम काशी है। काशी में बोली जाने वाली बोली को साहित्यकारों ने काशिका बोली का नाम दिया। यह बोली खड़ी हिन्दी तथा भोजपुरी को मिलाजुला कर काशी क्षेत्र में बोली जाती है। चूंकि काशी महान साहित्यकारों की जननी रही है अतः इसका प्रयोग बड़े-बड़े साहित्यकारों ने दमदारी से किया है। कभी फुर्सत में काशिका बोली के साहित्यकारों और उनकी रचनाओं की चर्चा अवश्य करूंगा। यहाँ मैं अपनी कविता में प्रयुक्त शब्दावलियों तथा कविता पर प्रकाश डालना चाहता हूँ।
लड़ाई = संघर्ष । अबहिन त = अभी तो । गरीबन = निर्धन । सगरो = सर्वत्र , हर जगंह । कहत हउआ = कह रहे हो । खड़ी चढ़ाई = कठिन चढ़ाई ।
शैलेश जी- सब कानून गरीबन बदे हौ धनिक जौन करें उहै कानून हौ---अर्थात एक गरीब रिक्शा वाला व्यंग कसते हुए कह रहा है कि --- कानून का डंडा तो निर्धन पर ही चलता है आप जैसे धनवान लोग तो संसद में खुलेआम घूस के नोट बिखेर कर भी ईमानदार बने रहते हो। धनिक पैसे के बल पर कत्ल कर के भी छूट जाता है।
पंद्रह अगस्त की लड़ाई का वृहद अर्थ है। सीधा-सादा अर्थ तो यह कि एक गरीब रिक्शे वाला, मेहनत-मजदूरी करते हुए भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहता है किसी तरह उसने अपने बच्चे का दाखिला स्कूल में करा दिया है -ड्रेस -फीस कापी-किताब की जुगत लगा ली है लेकिन स्कूल वालों का फरमान है कि पंद्रह अगस्त के दिन बच्चे को विशेष ड्रेस में भेजना , जूता टाई सब टाइट होना चाहिए। गरीब रिक्शे वाले के लिए यह एक कठिन लडा़ई -संघर्ष से कम नहीं।
वृहद अर्थ में यह कि एक गरीब रिक्शा वाला मेहनत-मजदूरी करके भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा इसलिए देना चाहता है कि वह एक दिन अपने बच्चों के सहयोग से गरीबी की दासता से मुक्ती पा जाएगा।
गरीबी की दासता से मुक्ती की लड़ाई उसके लिए --पंद्रह अगस्त की लड़ाई अर्थात आजादी की लड़ाई से किसी माने में कम नहीं।
अन्त में आपको बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आपके प्रश्न ने मुझे कविता की व्याख्या करने का अवसर प्रदान किया।
--देवेन्द्र पाण्डेय।

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