श्याम जी . . आपकी ग़ज़ल १) एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है क्यों की इसे पढ़ कर यूं लगा की, ग़ज़ल लिखना इतना अस्सं है क्या? २) क्या कभी कोई ग़ज़ल इतने कम शब्दों मै इतना प्रभावित कर सकती है...? इस ग़ज़ल को पढ़ कर लगा.. बिलकुल... ३)मै भी आपकी ग़ज़ल की भाषा मै ये कहना चाहूँगा.. "पढ़ के बस यूँ कहा वाह जी!! वाह जी!!"
शैलेश जमलोकी !भाई गज़ल लिखना वाकई मुश्किल नहीं है।उसे मुश्किल वे लोग बना देते हैं,जिन्हे गज़ल छंद का थोड़ा ज्ञान हो जाता है और खुद को उस्ताद समझना शुरू कर देते हैं।सौभाग्य से जिन्दगी भर मुझे हर क्षेत्र में गुणी व सह्र्दय लोग मिले अतः चाहे डाक्टरी ,फोटोग्राफी या गजल या फिर खुश रहाना आसानी से सीख गया।master चाहे नहीं बना किसी विधा का लेकिन बुद्धू भी नही रहा। श्यामसखा पुनश्च -आपने तो इस गजल मे एक और शे‘र का इजाफ़ा कर दिया-जिन्दगी की साथ-साथ आपका भी शुक्रिया
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
गम दिये दी खुशी
शुक्रिया जिन्दगी
तम हुआ खत्म तब
जब दिखी रोशनी
waah bahut khub
मर मिटे हैं सभी
वाह री सादगी
दर्द ज्यों-ज्यों बढ़ा
बढ़ गई बंदगी
" ek pyaree see sunder kavita"
दर्द ज्यों-ज्यों बढ़ा
बढ़ गई बंदगी
सभ्यता खा गई
ये नई रोशनी
बहुत बढ़िया लिखा है।
गम दिये दी खुशी
शुक्रिया जिन्दगी
great! real positive thoght
kamal
इतना प्रभावी नहीं है |
मुझे नहीं भाया |
अवनीश तिवारी
Bahut khoob. Kam se kam shabdon mein sab keh dala.
Bahut khoob. Kam se kam shabdon mein sab keh dala.
yehi mujhe kahana hai-josef
श्याम जी . .
आपकी ग़ज़ल
१) एक बेहद खूबसूरत ग़ज़ल है क्यों की इसे पढ़ कर यूं लगा की, ग़ज़ल लिखना इतना अस्सं है क्या?
२) क्या कभी कोई ग़ज़ल इतने कम शब्दों मै इतना प्रभावित कर सकती है...? इस ग़ज़ल को पढ़ कर लगा.. बिलकुल...
३)मै भी आपकी ग़ज़ल की भाषा मै ये कहना चाहूँगा..
"पढ़ के बस यूँ कहा
वाह जी!! वाह जी!!"
सादर
शैलेश
mere khyal se thodi aur badi honi chahiye thi.kyunki bahut acchi hai aur man karta hai abhi khatam na ho
श्याम जी आपने छोटी सी ग़ज़ल में बड़ी बात कही काफ़ी अच्छा लगा पढ़कर
दर्द ज्यों-ज्यों बढ़ा
बढ़ गई बंदगी
ये शेर मुझे बहुत अच्छा लगा
शैलेश जमलोकी !भाई गज़ल लिखना वाकई मुश्किल नहीं है।उसे मुश्किल वे लोग बना देते हैं,जिन्हे गज़ल छंद का थोड़ा ज्ञान हो जाता है और खुद को उस्ताद समझना शुरू कर देते हैं।सौभाग्य से जिन्दगी भर मुझे हर क्षेत्र में गुणी व सह्र्दय लोग मिले अतः चाहे डाक्टरी ,फोटोग्राफी या गजल या फिर खुश रहाना आसानी से सीख गया।master चाहे नहीं बना किसी विधा का लेकिन बुद्धू भी नही रहा। श्यामसखा
पुनश्च -आपने तो इस गजल मे एक और शे‘र का इजाफ़ा कर दिया-जिन्दगी की साथ-साथ आपका भी शुक्रिया
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)