इतने नाजुक सवाल मत पूछो
क्यों हूँ बरबादहाल मत पूछो।।
बात है गाँव की तबाही की।
बाढ़ थी या अकाल मत पूछो।।
करो तदबीर अब निकलने की।
किसने डाला था जाल मत पूछो।।
तेग का वार गैर का था मगर।
किसने छीनी थी ढाल मत पूछो।।
काम क्या आई घुप अँधेरों में।
जुगनुओं की मशाल मत पूछो।।
वक्त ने जिन्दगी को बख्शे हैं।
कैसे कैसे बबाल मत पूछो।।
तुम भला क्या शिकस्त दे पाते।
थी ये अपनों की चाल मत पूछो।।
देखकर खुशगवार मौसम को।
मन है कितना निहाल मत पूछो।।
तुम तो पहलू में थे मगर फिर भी।
गम हुऐ क्यों बहाल मत पूछो।।
कैसे गुम हो गया शहर आकर।
वो सितारों का थाल मत पूछो।।
‘श्याम’ से पूछ लो जमाने की।
सिर्फ उसका ही हाल मत पूछो।।
shyamskha`shyam
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21 कविताप्रेमियों का कहना है :
तेग का वार गैर का था मगर।
किसने छीनी थी ढाल मत पूछो।।
तुम तो पहलू में थे मगर फिर भी।
थी ये अपनों की चाल मत पूछो।।
श्याम’ से पूछ लो जमाने की।
सिर्फ उसका ही हाल मत पूछो।।
बहोत बढिया। मैं लिखना चाहुंगी कि,
"तुम्हारा ज़ोर है सिर्फ़ जिवन पर,
क्या करती हुं ख़याल मत पूछो॥
श्याम जी नमस्कार,
सुंदर ...
बात है गाँव की तबाही की।
बाढ़ थी या अकाल मत पूछो।।
करो तदबीर अब निकलने की।
किसने डाला था जाल मत पूछो।।
bahut sunder ye bhi chalega kya
उनके बस , जाते ही हमें आया
क्यों उन्ही का ख़याल मत पूछो
कैसे गुम हो गया शहर आकर।
वो सितारों का थाल मत पूछो।।
‘श्याम’ से पूछ लो जमाने की।
सिर्फ उसका ही हाल मत पूछो।।
वाह बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई स्वीकारें।
bahut hi dhaansu likha hai sir ji.
alok singh "sahil"
कैसे गुम हो गया शहर आकर।
वो सितारों का थाल मत पूछो।।
.
बहुत सुंदर शब्द |
सादर,
विनय
बहुत ही सुंदर कविता..प्रत्येक पंक्ति बहुत ही सुंदर तरीके से लिखी गई है.
और एक अच्छा नजरिया प्रस्तुत करती है कि हर परिस्थिति में दोष दुन्धने या प्रश्न करने के बजाय हमें हल धुधना चाहिए.
श्याम जी,
एक एक शेर जबर्दस्त है...
वक्त ने जिन्दगी को बख्शे हैं।
कैसे कैसे बबाल मत पूछो।।
तुम भला क्या शिकस्त दे पाते।
थी ये अपनों की चाल मत पूछो।।
बहुत अच्छा...
धन्यवाद,
तपन शर्मा
कैसे गुम हो गया शहर आकर।
वो सितारों का थाल मत पूछो।।
बेहद बेहद सुंदर. पूरी ग़ज़ल पढ़ कर मन खुश हो गया. आपकी और ग़ज़लों की प्रतीक्षा रहेगी.
कैसे गुम हो गया शहर आकर।
वो सितारों का थाल मत पूछो।।
‘श्याम’ से पूछ लो जमाने की।
सिर्फ उसका ही हाल मत पूछो।।
waah...bahut shaandar ghazal hai.
ek ek line kamal hai
badhai
rachana
श्याम जी,
उत्तम रचना
शब्दों का सटीक सञ्चालन किया है आपने
पढ़ कर अच्छा लगा
एक निवेदन है आपसे..........
यदि आप ग़ज़ल के नीचे उसकी बहर का नाम व रुक्न भी लिख दे तो हमारे जैसे नवागंतुकों का भला हो जायेगा और हमें कुछ सीखने को भी मिलेगा
आपकी ग़ज़ल के रुक्न निकलने की कोशिश की है कृपया मार्गदर्शन करे की सही है या नही
रुक्न है --2122,1212,22
-आपका वीनस केसरी
मित्रो आप का स्नेह एक बार फ़िर पाकर मैं व् मेरी कलम अभिभूत व् अनुगृहित हैं |वीनुस जी आप का आकलन बिल्कुल ठीक है आगे से बहर लिखूंगा इसके रुक्न फाइलातुन मफाइलुन फेलुन २१२२ १२१२ २२ ही हैं आपका सदा सा श्यामसखा`श्याम ,आज से ठीक ६० साल पहले पैदा हुआ था आपका यह मित्र श्याम याने 28 august 1948 ko
जन्म दिवस पर शुभकामनाए |
माँ सरस्वती की आप पर ऐसी ही कृपा बनी रहे |
सादर
विनय
रश्मि जी शायद आप नोयडा के मुशायरे में थीं ,जहाँ यह शे`र अचानक ही बन आया था,मगर मैं इसे भूल गया था डायरी में भी नही लिखा था ;याद दिलाने के लिए धन्यवाद |श्याम
उनके जाते ही है लगा आने
क्यों उन्ही का ख़याल मत पूछो
आदरणीय श्याम जी
जन्म दिन की असीम शुभकामनाएं
मेरी ये पंक्तियाँ स्वीकार करें
कर रहे हैं आज प्रेषित सब ह्रदय की भावना
दे रहे हैं आज सारे आपको शुभकामना
पूछिए मत किस कदर महकी हुई सी है हवा
है नशे में चूर सी , बहकी हुई सी है हवा
बादलों में इस तरह का दम कभी देखा न था
मुद्दतों से आज सा मौसम कभी देखा न था
लग रहा है आज जैसे हो कोई त्यौहार सा
दे रहे हों मेघ धरती को कोई उपहार सा
हाथ सब अपने उठाकर , सर झुकाकर आज सब
कर रहें हैं आपकी , लम्बी उमर की प्रार्थना ॥
प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में
डॉ उदय मणि कौशिक
http://mainsamayhun.blogspot.com
श्याम जी!
इतनी उम्दा गज़ल है कि मुझे समझ नहीं आ रहा किसी शेर को चुनूँ, किसे नहीं। दिल खुश हो गया।
बधाई स्वीकारें।
जन्म-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जन्मदिन की बधाई श्याम जी...
सुंदर रचना |
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं |
अवनीश तिवारी
आप सभी को शुभकामनाओ हेतु धन्यवाद |श्याम सखा `श्याम'
जन्म दिवस पर शुभकामनाए |
माँ सरस्वती की आप पर ऐसी ही कृपा बनी रहे |
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)