आज हम दूसरे स्थान की कविता की बात करते हैं। इस स्थान पर एक बार फिर अप्रैल की माह की भाँति प्रेमचंद सहजवाला की ग़ज़ल दूसरे स्थान पर है। प्रेमचंद के साहित्यिक वंशज ग़ज़ल लिखने के दीवाने हैं और अपने सारे अनुभव शे'रों में पिरो रहे हैं। इन्हें और जानें।
पुरस्कृत कविता- ग़ज़ल
ख्वाब देखो किस कदर थे तेरे मेरे मिल रहे
रौशनी बोई मगर क्यों हैं अंधेरे मिल रहे
चल पड़े थे चांदनी ले कर के झोली में सभी
राह में किस तर्ह हैं सब को लुटेरे मिल रहे
बाँट ली थी ठोकरें और रास्ते की धूप तक
अब मगर तनहाइयों में हैं बसेरे मिल रहे
रात भर ये सोचते थे सुब्ह आएगी ज़रूर
कालिमा की कैद में हैं अब सवेरे मिल रहे
देवता ने दे दिए वरदान बिन मांगे सभी
आज लेकिन देवता को दुःख घनेरे मिल रहे
देख कर तपती ज़मीं रह रह के आता है ख़याल
आसमाँ की गोद में बादल घनेरे मिल रहे
इक सुरीली तान के वश में हुए हैं क्यों सभी
बीन सी कोई बजाते हैं सपेरे मिल रहे
एक शीशे में सभी ने अक्स देखा खुश हुए
कांच के टुकड़े ज़मीं पर अब बिखेरे मिल रहे
प्रथम चरण के जजमेंट में मिले अंक- ५, ६॰५, ७॰५, ७॰५
औसत अंक- ६॰६२५
स्थान- तीसरा
द्वितीय चरण के जजमेंट में मिले अंक- ७॰५, ७॰५, ५॰५, ६॰६२५ (पिछले चरण का औसत)
औसत अंक- ६॰७८१२५
स्थान- दूसरा
पुरस्कार- शशिकांत 'सदैव' की ओर से उनके काव्य-संग्रह दर्द की क़तरन की स्वहस्ताक्षरित प्रति।
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
रात भर ये सोचते थे सुब्ह आएगी ज़रूर
कालिमा की कैद में हैं अब सवेरे मिल रहे
वाह प्रेमचन्द जी! गजल का एक एक शेर
लाजवाब है!
अक्स = प्रतिबिम्ब
आप ग़ज़ल के व्याकरण का भरपूर ख्याल रखते हैं। शेर भी अच्छे हैं। हाँ यह बात ज़रूर कहना चाहूँगा कि ग़ज़ल में शे'र भले ही कम हों लेकिन एक-एक में इतना दम हो कि वे अलग-अलग याद रह जायें।
--इक सूरीली तान के वश में हुए हैं क्यों सभी---
अच्छी गज़ल के लिए बधाई स्वीकारें--------
---न जाने क्यों
बच्चा जागता है शहनाई की धुन पर
और बड़ा होकर नाचने लगता है
सपेरे की बीन पर-सर्प बन ।----
--देवेन्द्र पाण्डेय।
प्रेमचंद जी,
अगर मै ग़ज़ल गुरु जी की बातो को ध्यान मै रख कर आपके ग़ज़ल को देखु तो ये कहूँगा..
१) काफिया :- "रे " है और सारे शेरो मै अच्छे से निभाया गया है
२) रदीफ़ :- "मिल रहे " है और इसको भी बड़ी खूबसूरती से निभाया गया है
३) मतला :- ये ग़ज़ल का सबसे निर्णायक शेर है.. और ये प्रथम शेर.. एक तरह से लय स्थापित करता है.. यहाँ पर भी आप काफी हद तक सफल हुए है.. पर फिर भी सुधर की गुंजाइश लगती है.. मुझे इतनी प्रभाव शाली नहीं लगी..क्यों की जो लय आप स्थापित कर रहे है उसमे आप एक प्रश्न छोड़ रहे है.. की क्यों अँधेरे मिल रहे है? और पाठक अंत तक उसी का जबाब ढूँढता रह जाता है..
४) मकता :- ग़ज़ल का अन्तिम शेर भी इतना प्रभाव शाली नहीं लगा..
अब चूँकि ग़ज़ल ध्वनि का खेल है तो इस ग़ज़ल का ध्वनि रूप मै आकलन करते है..
रुक्न :- इस का आभाव है.. मुझे किसी भी तरह का स्वर सामंजस्य नहीं मिला..
बहर :- रुक्नों का एक पूर्व निर्धारित विन्यास ही बहर होता है और अगर रुकन नहीं है तो बहर भी मुश्किल हुआ है..
अच्छी कोशिश है.. और अच्छी लिख सकते है..
बधाई
सादर
शैलेश
बहुत ही अच्छी गजल
ये शे'र बहुत अच्छा लगा
देवता ने दे दिए वरदान बिन मांगे सभी
आज लेकिन देवता को दुःख घनेरे मिल रहे
देख कर तपती ज़मीं रह रह के आता है ख़याल
आसमाँ की गोद में बादल घनेरे मिल रहे
सुमित भारद्वाज
सुन्दर प्रस्तुति सहजवाला जी...
रात भर ये सोचते थे सुब्ह आएगी ज़रूर
कालिमा की कैद में हैं अब सवेरे मिल रहे
देवता ने दे दिए वरदान बिन मांगे सभी
आज लेकिन देवता को दुःख घनेरे मिल रहे
सुन्दर..
निर्णायकों का निर्णय, पाठकों की प्रतिक्रिया व समीक्षकों की समीक्षा का आदर करने वाले रचनाकार ही सही रचनाकार है. मैं सभी निर्णायकों पाठकों व समीक्षकों का सादर धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरी ग़ज़लें पढने का समय निकाला. कुछ लोग नहीं भी पढ़ पाए होंगे, सो मैं यही कहूँगा - जो पढे उस का भी भला जो न पढे उस का भी भला.
प्रेमचंद जी!
आप अपनी गज़लों के माध्यम से पिछले दो बार से द्वितीय स्थान पर काबिज हैं और इस बात की खासकर मुझे बेहद खुशी है,क्योंकि मैं गज़लकारों का बेहद आदर करता हूँ। अब अगर इस गज़ल की बात करूँ तो कुछ कमियाँ मुझे लगी थीं,मैं उन्हें रेखांकित करना चाहता था,परंतु शैलेश जी (जमलोकी जी) ने मेरा काम आसान कर दिया है। उन्होंने जितनी अच्छी समीक्षा की है, उतनी मैं भी नहीं कर पाता। इसके लिए मैं शैलेश जी का शुक्रिया अदा करता हूँ। हम सबको प्रेमचंद जी और शैलेश जी से गज़लकारी सीखते रहना चाहिए।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
देवता ने दे दिए वरदान बिन मांगे सभी
आज लेकिन देवता को दुःख घनेरे मिल रहे
बहुत ही सुंदर लगा यह sheyar ..badhaaii
प्रेमचंद जी ,
बहुत अच्छी ग़ज़ल लिखी है ,
बाँट ली थी ठोकरें और रास्ते की धूप तक
अब मगर तनहाइयों में हैं बसेरे मिल रहे
देवता ने दे दिए वरदान बिन मांगे सभी
आज लेकिन देवता को दुःख घनेरे मिल रहे
अच्छे शेर हैं . द्वितीय स्थान पाने की बधाई
^^पूजा अनिल
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