फनकार
भाव ढ़ूंढ़ना...चमकाना
फिर बेचना उसको
हक़ीक़त में ...हरफनमौला
बस इसी फन का माहिर है।
आदत
अजूबा आप होता...
तो उसे माना भी जाता
अजनबीपन से अजूबा बनाना
फिर उस पर हंसना...अच्छी आदत है।
भोर
नज़र से खोदना..
फिर गड्ढ़े में...गुबार भर देना
ये आदत भोर की है
और ये कहानी...जेठ की।
समझ
खींसे निपोरते बेटे ने
बाप को अपने बॉस से मिलवाया
समझ देर से आई...
पर बाई चांस का दर्द
चश्मे के भीतर से झांकता रहा..झांकता रहा...
आग़ाज़
कलम घिस्सू को..मिलने लगी है क़ीमत
ऊल-जुलूल लिखने की...
ये तो महज शुरूआत है
आगे देखना है...क्या-क्या बिकता है ?
अंधेरा
पहला हिस्सा ज़ज़्बात का...
..दूसरा जिस्म का
दिन और रात को
उसने भी दो हिस्सों में ही बांटे हैं
पंडिता
उसकी पंडिताई धरी रह गई
खुदकुशी से पहले...पति उसे
बस डांटता ही था।
खामोश
परमहंस बनने की खातिर
उसने बत्तखों-से गुर सीखे
तमाम हलचल भीतर दफ़न कर
वह हंसता रहा...फंसता रहा...
ख्वाहिश
हड्डियों का ढ़ांचा एक
न पानी शक़्ल पर...न नज़र में
पर खूब रोता है...
न जाने क्या-कहां छिपा है ?
रौशनी
उजाले को फूटना था
दूर तक बिखरने के लिए
उसे अपना समझ कई लोग
बड़ी देर तक सहेजते रहे
नाव
वो थपकियां लहरों की...अश्लील थीं
और हालात...बनाए हुए
डूबने तक नाव इसी गुमां में रही
कि वो रौ में है...
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10 कविताप्रेमियों का कहना है :
सभी क्षणिकायें बेहतरीन हैं।
***राजीव रंजन प्रसाद
बहुत खूब...
अरे कमाल है जनाब, बाग-बाग कर दिया आपने.....गागर में सागर भरना इसी को कहते हैं.....
बहुत सुन्दर क्षणिकायें हैं..
अँधेरा, खमोश और नाव ने अत्यधिक प्रभावित किया..
अभिषेकजी--सभी छणिकाएँ बहुत अच्छी हैं इतनी अच्छी कि आपकी और भी कविताएँ पढ़ने का मन हुआ---पढ़ता रहा--पढ़ता रहा --------पता चला कि दो घंटे गुजर गये--------देवेन्द्र पाण्डेय।
कुछ समझा कुछ हद तक |
मेरे समझ के लिए कठिन लगी |
-- अवनीश तिवारी
वाह अभिषेक एक से बढ़ कर एक हैं.....किसी विशेष की तारीफ नहीं कर पाउँगा...ऐसे ही लिखते रहिये
आग़ाज़
कलम घिस्सू को..मिलने लगी है क़ीमत
ऊल-जुलूल लिखने की...
ये तो महज शुरूआत है
आगे देखना है...क्या-क्या बिकता है ?
बहुत खूब अभिषेक जी , बहुत अच्छी क्षणिकाएँ हैं .
^^पूजा अनिल
आग़ाज़
कलम घिस्सू को..मिलने लगी है क़ीमत
ऊल-जुलूल लिखने की...
ये तो महज शुरूआत है
आगे देखना है...क्या-क्या बिकता है ?
बहुत अच्छा व्यंग्य |बधाई
aapke saare chanikayain hamesha sundar hoti hain.
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