हे प्रिये,
इस जीवन की अंधेरी रात में
साथ हो तुम
इस थके-टूटे तन-मन को
सहज-सुलभ है
तुम्हारा आलिंगन
मेरी ऊर्जा की स्त्रोस्विनी हो तुम
मेरे खण्डित हुए विश्वास की
मजबूत नींव हो तुम
हे सखी-
यह मुझ पर उपकार है तुम्हारा
कि मेरी जीवन संगिनी हो तुम
कि बाँट सकता हूँ
सुख-दुख, जय-पराजय
और एकांत कोलाहल भी
तुम्हारे साथ
कि खुलकर हँस सकता हूँ
तुम्हारी बाँहों में
सो सकता हूँ निश्चिंत
तुम्हारी गोद में सिर रखकर
आओ हम एक-दूसरे के हाथ हो जाएँ
आओ हम एक-दूसरे की आँखें बन जाएँ।
*****
डॉ.नंदन, बचेली, बस्तर ( छ.ग.)
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14 कविताप्रेमियों का कहना है :
ये दो पंक्तियाँ बाकि कविता से थोड़ा हट के हैं। मुझे ये पसंद आईं।
आओ हम एक-दूसरे के हाथ हो जाएँ
आओ हम एक-दूसरे की आँखें बन जाएँ।
काफी रोमांटिक हो रहे हैं नंदन जी।
अच्छा है :-)
सही कहा है - अन्तिम दो पंक्तियाँ नही जमी है |
शेष सब ठीक |
अवनीश तिवारी
आओ हम एक-दूसरे के हाथ हो जाएँ
आओ हम एक-दूसरे की आँखें बन जाएँ।
इन पंक्तियों मे आपने जीवन साथी के स्पष्ट स्वरूप को बड़ी गहरे से काव्य का रूप प्रदान किया है जो वाकई मे काबिले तारीफ है ...
जीवन साथी की अहमियत को भी आपने काफी अच्छे से प्रदर्शित किया है
इस थके-टूटे तन-मन को
सहज-सुलभ है
तुम्हारा आलिंगन
मेरी ऊर्जा की स्त्रोस्विनी हो तुम
मेरे खण्डित हुए विश्वास की
मजबूत नींव हो तुम
वाह नन्दनजी बहुत खूब
नंदन जी, बहुत सुंदर रचना..
आओ हम एक-दूसरे के हाथ हो जाएँ
आओ हम एक-दूसरे की आँखें बन जाएँ।
बधाई - सुरिन्दर रत्ती
पत्नी के लिए अच्छा तोहफा , सच्च मे अगर पत्नी को इतना सम्मान दिया जाए टू क्या कहने ,आपने पत्नी की अहमियत को समझा और कविता भी लिख डाली ,लगता है ज़माना बदल रहा है |aaj patnee ko paav kee jootee samajhane vaale purush patni ko jeevan sangini ka darja de rahe hai .....nishay hee badlaav hoga . ....seema sachdev
पति पत्नी के संबंधों को जीना इसे ही कहते हैं, एक दुसरे के लिए समर्पण और एक दूसरे के लिए सदैव उपस्तिथि , आपकी कविता इसे बहुत अच्छे से बखान करती है , बधाई
पूजा अनिल
श्र्द्य्हे नंदन जी, आप की भाव पूर्ण कविता बहुत लोगो को नया संबल बन्येगी.
प्रभु आप के चिंतन को और उर्जावान बनाये
नंदन जी,अपनी पत्नी के प्रति आपके प्रेम का चित्र अच्छा बन पड़ा है , आज की इस भागती दुनिया में आदमी निजता को भूलता जा रहा है , आपस के प्रेम को नए रूप में रेखांकित करती है यह कविता
, बधाई
आलोक सिंह "साहिल"/पावस
नंदन जी,
कविता के भाव बेहद गहरे हैं।
अंतिम दो पंक्तियों को छोड़कर मुझे कहीं नहीं लगा कि कुछ छूट रहा है। ऊपर की सभी पंक्तियाँ संपूर्ण हैं। लेकिन अंतिम दो पंक्तियों में ऎसा लगा मानो आप किसी जल्दी में थे। वे दो पंक्तियाँ विस्तार चाहती हैं, आप सोचिएगा इस पर ।
-विश्व दीपक ’तन्हा’
achi romantic kavita hai
achi romantic kavita hai
Very nice poem 👌
Can you write one poem for me in a bit simple words
Its my husband's bday and i want to gift him
"तुम्हारी जीवन संगिनी" i wanted the poem on this title telling that i will always be with you will always love you support you care you unconditionally
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