
फिर उठी है टीस कोई
चिर व्यथित मेरे हृदय में
उठ रहे हैं प्रश्न कितने
शून्य पर- नीले- निलय में
फिर पराजित सी है शक्ति
फिर लुटा विश्वास है
चोट फिर दिल पर लगी है
फिर चुभी एक फाँस है
फिर शकुन अपमानिता है
दम्भी नर के सामने
द्रोपदी फिर से खड़ी है
कायरों के सामने
टूटा है विश्वास फिर से
राधा का इक श्याम से
जल रहे हैं नेत्र मेरे
नारी के अपमान से
नारी तू तो शक्ति है
भय हारिणी और पालिनी
मातृ रूपा स्वयं है तू
स्नेह छाँह प्रदायिनी
भूलकर अस्तित्व अपना
प्रेम के मोह- जाल में
माँगती उससे सहारा
जो स्वयं भ्रम- जाल में
ओ शकुन! अब जान ले
दुष्यन्त की हर चाल को
द्रोपदी पहचान ले
नर दम्भ निर्मित जाल को
आत्मशक्ति को जगा और
फिर जगा विश्वास को
आंख का धुँधका मिटा ले
जीत ले संसार को
खोज मत अब तू सहारा
कायरों की भीड़ में
अब उड़ा दे मोह पंछी
जो छिपा है नीड़ में
कर अचंभित विश्व को
अपने अतुल विश्वास से
स्वयं-सिद्धा बन बदल दे
विश्व को विश्वास से
चिर व्यथित मेरे हृदय में
उठ रहे हैं प्रश्न कितने
शून्य पर- नीले- निलय में
फिर पराजित सी है शक्ति
फिर लुटा विश्वास है
चोट फिर दिल पर लगी है
फिर चुभी एक फाँस है
फिर शकुन अपमानिता है
दम्भी नर के सामने
द्रोपदी फिर से खड़ी है
कायरों के सामने
टूटा है विश्वास फिर से
राधा का इक श्याम से
जल रहे हैं नेत्र मेरे
नारी के अपमान से
नारी तू तो शक्ति है
भय हारिणी और पालिनी
मातृ रूपा स्वयं है तू
स्नेह छाँह प्रदायिनी
भूलकर अस्तित्व अपना
प्रेम के मोह- जाल में
माँगती उससे सहारा
जो स्वयं भ्रम- जाल में
ओ शकुन! अब जान ले
दुष्यन्त की हर चाल को
द्रोपदी पहचान ले
नर दम्भ निर्मित जाल को
आत्मशक्ति को जगा और
फिर जगा विश्वास को
आंख का धुँधका मिटा ले
जीत ले संसार को
खोज मत अब तू सहारा
कायरों की भीड़ में
अब उड़ा दे मोह पंछी
जो छिपा है नीड़ में
कर अचंभित विश्व को
अपने अतुल विश्वास से
स्वयं-सिद्धा बन बदल दे
विश्व को विश्वास से
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
24 कविताप्रेमियों का कहना है :
क्या तेवर हैं शोभा जी, वाह, नारी कलम की ताक़त दिखा दी आपने, जबरदस्त....वाह, अगर येही रहा नजरिया टू अब शयद कोई द्रोपदी अपमानित नही होगी
भूलकर अस्तित्व अपना
प्रेम के मोह- जाल में
माँगती उससे सहारा
जो स्वयं भ्रम- जाल में
"बहुत सुंदर अभीव्य्क्ती शब्दों के द्वारा , ये पंक्तियाँ मन को छु गई ."
ऐ दम्भ-नर अब जान ले..
अस्तित्व तेरा है कहाँ
बिन शक्ति के बिन नारि के
पहिचान ले, पहिचान ले..
ऐ दम्भ-नर अब जान ले...
शोभा जी.. बड़ी ही जबरदस्त रचना..
shobhaji,bahut sundar kavita hai,har pankti sundar,nari sach mein swayam sidha bane to uska shoshan shayad kum ho.bahut bahut badhai.
शोभा जी,
सुन्दर भावों से सजी है कविता।
खोज मत अब तू सहारा
कायरों की भीड़ में
अब उड़ा दे मोह पंछी
जो छिपा है नीड़ में
बधाई।
lajawaab.....akoot shakti barne me saksham panktiyan..sadhuwaad.
हर छंद एक सटीक, सरल और प्रेरित बात कहता है |
पढ़ते समय एक प्रवाह बना रहा शुरू से अंत तक |
प्रस्तुतीकरण भी सुंदर है |
पिछली रचना "लोकतंत्र" की तरह कम शब्दों मे बड़ी बात विशेषता रही |
बधाई
अवनीश तिवारी
'फिर उठी है टीस कोई
चिर व्यथित मेरे हृदय में
उठ रहे हैं प्रश्न कितने
शून्य पर- नीले- निलय में'
शब्दों के जाल में आप ने सोच में उलझा दिया शोभा जी..
ऐसी कविता शायद एक स्त्री ही लिख सकती है--
क्योंकि उस से अधिक कौन नारी का मन उस की भावनाओं
समझेगा?
कर अचंभित विश्व को
अपने अतुल विश्वास से
स्वयं-सिद्धा बन बदल दे
विश्व को विश्वास से
इस पद में शोभा जी नारी शक्ति को बहुत ही अच्छी तरह से प्रतिपादित किया है।
शोभा जी
नारी स्वरूप के जो तेवर इस रचना में मिलते हैं वह मेरे लिए सदा ही आदरणीय हैं और संभवत: एक अनजानी अबूझ सी भावना इस विषय पर मेरे अंतस को सदा ही मथती रही है लंबे समय से ..... अस्तु आपकी रचना में अभिव्यक्त इस नारी स्वरूप को प्रणाम और आपको एक अभिनव रचना के लिए बधाई ......
साथ ही अल्पना जी !
आप से उपरोक्त टिपण्णी में समुचित आदर के साथ मैं पूरक विचार रखते हुए आंशिक रूप से असहमत होने की अनुमति चाहता हूँ. आपके विचार में ऐसी अनुभूति मात्र एक स्त्री ही रख सकती है. मेरे मत में प्रत्येक पुरूष जिसे आप नारी शक्ति ने जन्म के साथ जो संस्कार दिए हैं, भी अनुभव करने में सक्षम है. समस्त पुरूष वर्ग का अपनी जन्मदात्री से बड़ा कोई भी अस्तित्व कभी हो ही नहीं सकता है. नारी जो जननी है स्त्री और पुरूष दोनों की, अपनी सार्वभौमिकता को स्वयम ही भूलती हुयी एक अनजाने मायाजाल में भटकती हुयी, अपनी दोनों संततियों (बेटी एवं बेटे) को अंधे रस्ते पर दौड़ लगाते हुए देख रही है ... और चुप है. मैं कई बार पुरूष होकर भी इस पीड़ा का अनुभव बहुत ही गहराई से करता हूँ. शायद यही कहना चाहता हूँ. कृपया हम पुरूष वर्ग को अपने से द्वैत न मानकर अपना पूरक ही अनुभव करें. आपके बिना हमारा अस्तित्व ही हो नहीं सकता है. मैं प्रत्येक फॉरम पर भी यही निवेदन अपनी जननी शक्ति से करता रहा हूँ. कृपया जागे और अपनी संतति को बचपन से ही जगाये ....
क्षमा प्रार्थना सहित
'कान्त'
खोज मत अब तू सहारा
कायरों की भीड़ में
अब उड़ा दे मोह पंछी
जो छिपा है नीड़ में
कर अचंभित विश्व को
अपने अतुल विश्वास से
स्वयं-सिद्धा बन बदल दे
विश्व को विश्वास से...... वाह! यह शब्द बहुतं छोटा है !पूरी कविता ही बेमिसाल है !
मिटकर निर्भार हो गये हैं हम-तुम
और हमारा वज़ूद खुश्बू बन
लिपट ग मन को भीतर तक छू लेने वाली रचना ......बहुत सुंदर रविकांत जी ....आप बधाई के पात्र हैं
या है हर नासारंध्र से......
कर अचंभित विश्व को
अपने अतुल विश्वास से
स्वयं-सिद्धा बन बदल दे
विश्व को विश्वास से
शोभा जी .आपकी इस रचना ने मेरे दिल की बात कह दी है ,नारी में प्रेम की भावना का , समपर्ण की भावना को अक्सर उसकी कमजोरी समझ लिया जाता है ,आपने इस कविता के माध्यम से जो बात कही है वह दिल को छू गई है .मुझे आपकी यह रचना बहुत पसंद आई !!
रंजू
शोभा जी,
ओजस्वी नारी की मनोभावनाओं को प्रकट करती सशक्त कविता के लिये आप बधाई की पात्र हैं.
सचमुच नारी कोमतम दिल लिये कठोर से कठोर परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम है.
खोज मत अब तू सहारा
कायरों की भीड़ में
अब उड़ा दे मोह पंछी
जो छिपा है नीड़ में
कर अचंभित विश्व को
अपने अतुल विश्वास से
स्वयं-सिद्धा बन बदल दे
विश्व को विश्वास से
Shobhaji,
Only a woman can write such strong and beautiful lines. Samuchit Naarion ko aap ka yah sandesh pahoonchna chahiye tabhi aap ki baat ki sarthakta banegi. Jis tarah se sandesh diya hai aapne apne aap ko jagane ka aur majboot karne ka, really, apne aap mein kabile taarif hai. Aap ki yah rachna ka sachmuch kisi bade madhyam se prasar hona chahiye jis se ki saari Naariyon ko bal mile aur unko satane walon ko junoon kuchh kam ho aur apne aap hi kuchh badlaav aa jaye insaanon mein.
Aap ko bahot bahot badhayi...
शोभा जी,
सुंदर रचना..
ऐ दम्भ-नर अब जान ले..
अस्तित्व तेरा है कहाँ
बिन शक्ति के बिन नारि के
पहिचान ले, पहिचान ले..
ऐ दम्भ-नर अब जान ले...
अब उड़ा दे मोह पंछी
जो छिपा है नीड़ में
बधाई।
रचना..
शोभा जी,
आपका क्राफ़्ट पुराना है, वहाँ तक तो ठीक है, लेकिन कंटेंन्ट तो नया लाइए।
शैलेष जी
मुझे लगता है आपको भी कुछ नया ढ़ग अपनाना चाहिए टिप्पणी देने का । यह कहना बहुत आसान है । मैने तो ऐसा कोई कमाल आपका नहीं देखा जो लगे कि पहले कभी नहीं हुआ था ।
michael kors handbags
ray ban sunglasses
fitflops shoes
michael kors outlet
toms shoes
michael kors handbags
michael kors outlet
michael kors handbags
chaussure louboutin pas cher
louis vuitton sacs
nike blazer pas cher
saics running shoes
longchamp le pliage
ralph lauren
hugo boss sale
ed hardy
ray ban sunglasses
los angeles lakers jerseys
san antonio spurs jerseys
49ers jersey
michael kors outlet
nike store
nike blazer
giants jersey
eagles jerseys
louis vuitton pas cher
nike store uk
armani exchange
pittsburgh steelers jersey
michael kors handbags
michael kors factory outlet
lacoste outlet
adidas stan smith women
longchamp handbags
michael kors outlet online
hermes belt
michael kors outlet online
longchamp bags
jordan retro
http://www.nikedunks.us.org
nike roshe run
roshe run
timberland boots
yeezy boost
dior glasses
prada glasses
michael kors outlet store
air yeezy
true religion outlet
adidas neo
ralph lauren outlet
snapbacks wholesale
prada outlet
cheap jordan shoes
nike huarache
jets jersey
true religion outlet
michael kors handbags
jordan shoes
michael kors outlet
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)