साल दर साल ये ही हाल रहा
तुझसे मिलना बड़ा सवाल रहा
याद करना खुदा को भूल गए
नाम पर उसके बस बवाल रहा
ना संभाला जो पास है अपने
जो नहीं उसका ही मलाल रहा
यूं जहाँ से निकाल सच फैंका
जैसे सालन में कोई बाल रहा
क्या ज़रूरत उन्हें इबादत की
जिनके दिल में तेरा ख्याल रहा
ऐंठता भर के जेब में सिक्के
सोच में जो भी तंगहाल रहा
दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहा
चाँद में देख प्यार की ताकत
जब समंदर लहर उछाल रहा
फूल देखूं जिधर खिलें नीरज
ये तेरी याद का कमाल रहा
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
16 कविताप्रेमियों का कहना है :
क्या ज़रूरत उन्हें इबादत की
जिनके दिल में तेरा ख्याल रहा
-- bahut khoob dada...
Avaneesh tiwari
*ऐंठता भर के जेब में सिक्के
सोच में जो भी तंगहाल रहा
*ना संभाला जो पास है अपने
जो नहीं उसका ही मलाल रहा
*दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहा
वाह ! वाह !बहुत खूब कहे हैं शेर आपने !
बहुत उम्दा!
पूरी ग़ज़ल ही अच्छी लिखी हुई है!
आप की क़लम को मुबारकबाद-
BAHUT KHOOB
अरे यहाँ जो, सच, पहली बार मिला/ था आपका अक्स? ख़ास बेमिसाल रहा - RGDS MANISH
क्या ज़रूरत उन्हें इबादत की
जिनके दिल में तेरा ख्याल रहा
बहुत ही खूबसूरत ख्याल ...
दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहा
सुंदर गजल लगी आपकी यह नीरज जी.. बधाई !!
दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहा
चाँद में देख प्यार की ताकत
जब समंदर लहर उछाल रहा
फूल देखूं जिधर खिलें नीरज
ये तेरी याद का कमाल रहा
"अच्छी ग़ज़ल कमाल के शेर , बहुत सुंदर गजल "
Regards
har sher nayab ban pada hai badhai
नीरज जी,
छोटे बहर की सुन्दर गजल पिरोयी आपने. सभी शेर जानदार और गूढ अर्थ लिये हुये हैं
बधाई
bahut,bahut,sundar
बढिया है नीरज जी
मुझे यह शेर सबसे ज्यादा पसन्द आया...
"यूं जहाँ से निकाल सच फैंका
जैसे सालन में कोई बाल रहा"
बहुत खूब...अद्भुत गजल.
बड़ी ही सुन्दर गजल नीरज जी,
एक एक शेर काबिले तारीफ..
कई बार पढ़ा..
ना संभाला जो पास है अपने
जो नहीं उसका ही मलाल रहा
यूं जहाँ से निकाल सच फैंका
जैसे सालन में कोई बाल रहा
क्या ज़रूरत उन्हें इबादत की
जिनके दिल में तेरा ख्याल रहा
ऐंठता भर के जेब में सिक्के
सोच में जो भी तंगहाल रहा
दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहा
सुन्दर..
बढ़िया गज़ल है नीरज जी।
दिल की बातें हुई तभी रब से
बीच जब ना कोई दलाल रहा
चाँद में देख प्यार की ताकत
जब समंदर लहर उछाल रहा
याद करना खुदा को भूल गए
नाम पर उसके बस बवाल रहा
चाँद में देख प्यार की ताकत
जब समंदर लहर उछाल रहा
फूल देखूं जिधर खिलें नीरज
ये तेरी याद का कमाल रहा
नीरज जी, आप हर बार की तरह पूरे निखरकर आए हैं। क्या बात है !
नीरज जी बहुत ही प्यारी गजल प्रस्तुत की आपने. बधाई हो
आलोक सिंह "साहिल"
मैं अपने सभी पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया करता हूँ जिन्होंने मेरी रचना को पढ़ा और सराहा. आप सब का स्नेह ही लिखने के लिए उर्जा देता है.
नीरज
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)