एक असफल
शासन प्रणाली
धूर्तों की क्रीड़ा
मासूमों की पीड़ा
पराजित जीवन मूल्य
विजित नैतिकता
दानवों का अट्टाहस
देवों का रूदन
नेता सूत्रधार
जनता कठपुतली
नित्य नवीन योजनाएँ
बहुत सी वर्जनाएँ
संसद में शोर
आतंक का जोर
आरोप-प्रत्यारोप
निष्कर्ष-----?
शून्य --
टूटते विश्वास
खंडित प्रतिमाएँ
धार्मिक संकीर्णताएँ
चहुँ दिशि आहें
ऊफ़! ये लोकतंत्र
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11 कविताप्रेमियों का कहना है :
sahi kaha shobha ji,aaj ka loktantra aisa hi hai,janata kathputli bani hai,chalanewale koi aur.aam aawam ki aawaz to sunayi nahi deti,apki kavita dwara shayad wo log sun sake.bahut achhi baat bayan ki hai apne,badhai.
एक असफल
शासन प्रणाली
धूर्तों की क्रीड़ा
मासूमों की पीड़ा
पराजित जीवन मूल्य
विजित अनैतिकता
"good poetry on the above subject ,liked it"
regards
नेता सूत्रधार
जनता कठपुतली
नित्य नवीन योजनाएँ
बहुत सी वर्जनाएँ
संसद में शोर
आतंक का जोर
बहुत अच्छा लिखा है आपने शोभा जी ..आज कल के माहौल पर कुछ सच कहता हुआ !!
अद्भुत .. !
शोभा जी काव्य शिल्प और व्यंग्य की अनूठी शैली भी वाह ...
शोभा जी,
आम आदमी की पीड़ा को सही स्वर दिया है आपने।
नित्य नवीन योजनाएँ
बहुत सी वर्जनाएँ
संसद में शोर
आतंक का जोर
आरोप-प्रत्यारोप
निष्कर्ष-----?
शून्य --
बहुत सुंदर |
हर पंक्ति सच्चाई से वार करती है |
-- अवनीश तिवारी
व्यंग सटीक
एक दम ठीक
कवित अतुल्य
शब्द निर्भीक
सुन्दर शिल्प
सुन्दर योजन
-बहुत बढ़िया
बहुत अच्छी रचना शोभा जी..
शब्दों का चुनाव और
कविता का गठन सुंदर लगा.
लिखने का ये अंदाज़ भी खूब है.
निष्कर्ष-----?
शून्य --
टूटते विश्वास
खंडित प्रतिमाएँ
धार्मिक संकीर्णताएँ
चहुँ दिशि आहें
ऊफ़! ये लोकतंत्र
शोभा जी,
सच का बयां करती इस रचना के लिए बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
टूटते विश्वास
खंडित प्रतिमाएँ
धार्मिक संकीर्णताएँ
चहुँ दिशि आहें
ऊफ़! ये लोकतंत्र
शोभा जी बहुत ही सुंदर व्य्ख्या हमारे लोकतंत्र की.
आलोक सिंह "साहिल"
शोभा जी,
आपने वर्तमान के लोकतन्त्र का हूबहू खाका खींचा है... बधाई.
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