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Tuesday, December 18, 2007

सुप्रसिद्ध साहित्यकार धुस्वाँ सायमी का निधन


नेपाल के ख्यातिप्राप्त एवम् सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री धुस्वाँ सायमी जी का १७ दिसम्बर को काठमांडो में निधन हो गया। वह ७८ वर्ष के थे तथा ताहचल काठमांडो स्थित निवास में सुबह ९ बजे हृदयाघात के बाद उन्हें अस्पताल ले जाते समय उनका निधन हो गया। उनके असामयिक निधन के समाचार से दुनिया भर के साहित्यप्रेमी स्तब्ध हैं। नेपाल में हिन्दी भाषा के साहित्य सृजन में उन्होंने अतुल्य योगदान दिया है। उनके निधन से हिन्दी साहित्य जगत ने एक महान सृजक खो दिया है। धुस्वाँ सायमी जी ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे जिन्हें भुलाया जाना कठिन होगा। उन्होंने बनारस से प्रकाशित युगवाणी से अपनी साहित्य यात्रा शुरू की थी। 'मैं दासी मैं सराय' (१९७४), 'रेत की दरार' (१९७५) एवम् 'जलजला' (१९७६) उनके प्रकाशित हिन्दी उपन्यास हैं। 'कविता का जंगल' तथा 'शब्दों का आकाश' उनके सुप्रसिद्ध हिन्दी कविता संग्रह हैं। नेपाल हिन्दी साहित्य परिषद ने बीरगंज (नेपाल) में एक शोकसभा आयोजित उन्हें श्रद्धाँजलि अर्पित की। शोकसभा में परिषद के सदस्य, हिन्दी प्रेमी एवम् साहित्यकारों की उपस्थिति थी। धुस्वाँ सायमी जी ने हिन्दी के अलावा नेपाली और नेवारी भाषा में भी रचनाएँ लिखी हैं। 'गन्की' उनकी मातृभाषा नेवारी का एक प्रसिद्ध उपन्यास है, जिसका हिन्दी में अनुवाद भी प्रकाशित हो चुका है।

पूरा हिन्द-युग्म परिवार धुस्वाँ सायमी को भावभीनी श्रद्धाँजलि अर्पित करता है।

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13 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

हिंदी और नेपालभाषा मै योगदान देनेवाले यह महान साहित्यकार का मृत्यु दोनों भाषा के लिए एक बहुत दुखद घटना है।

seema gupta का कहना है कि -

श्री धुस्वाँ सायमी जी के निधन से साहित्य जगत को जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कभी नही हो सकती . भगवान उस महान हस्ती के आत्मा को शांती दे .

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

साहित्यकार श्री धुस्वाँ सायमी जी जी का निधन साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति है।

*** राजीव रंजन प्रसाद

आलोक साहिल का कहना है कि -

नेपाली साहित्य के एक मजबूत स्तम्भ का जाना दुखद है.भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे.
श्रद्धासुमन सहित
आलोक सिंह "साहिल"

आलोक साहिल का कहना है कि -

नेपाली साहित्य के एक मजबूत स्तम्भ का जाना दुखद है.भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे.
श्रद्धासुमन सहित
आलोक सिंह "साहिल"

आलोक साहिल का कहना है कि -

नेपाली साहित्य के एक मजबूत स्तम्भ का जाना दुखद है.भगवान उनकी आत्मा को शान्ति दे.
श्रद्धासुमन सहित
आलोक सिंह "साहिल"

RAVI KANT का कहना है कि -

दुखःद।

Alpana Verma का कहना है कि -

दुखद समाचार है.ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दे.

Kumud Adhikari का कहना है कि -

श्री धुस्वाँ सायमी जी के निधन के समाचार ने हमें स्तब्ध कर दिया है। हम उनकी आत्मा की चिर शांति की कामना करते हैं।

कुमुद।

Avanish Gautam का कहना है कि -

श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ.

Sajeev का कहना है कि -

भावभीनी श्रद्धाँजलि

Unknown का कहना है कि -

साहित्यकार का जीवन उसके साहित्य में सदैव अमर रहता है. बस दैहिक गमन हमें निःसंदेह व्यथित करता है. ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करें

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

मेरी विनम्र श्रद्धाँजलि

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