बीत रहा है जीवन पल-पल
काल चक्र है घूम रहा
आता है जीवन में कोई
कोई पीछे छूट रहा
सूखी पुष्पों की माला जो
विगत वर्ष का हार बनी
नए वर्ष के स्वागत में फिर
मुसकाती है कली-कली
फिर आँखों में नूतन सपने
जीवन सुखी बनाने के
भूल विगत की असफलताएँ
भावी सफल बनाने के
उर- उन्माद जगा है फिर से
झंकृत मन वीणा के तार
नए वर्ष की मोहक आहट
दस्तक देती बारम्बार
आओ हम सब मिलकर बन्धु
नव आगन्तुक को लाएँ
बीत गया जो वर्ष उसे हम
आज विदाई दे आएँ
काल चक्र है घूम रहा
आता है जीवन में कोई
कोई पीछे छूट रहा
सूखी पुष्पों की माला जो
विगत वर्ष का हार बनी
नए वर्ष के स्वागत में फिर
मुसकाती है कली-कली
फिर आँखों में नूतन सपने
जीवन सुखी बनाने के
भूल विगत की असफलताएँ
भावी सफल बनाने के
उर- उन्माद जगा है फिर से
झंकृत मन वीणा के तार
नए वर्ष की मोहक आहट
दस्तक देती बारम्बार
आओ हम सब मिलकर बन्धु
नव आगन्तुक को लाएँ
बीत गया जो वर्ष उसे हम
आज विदाई दे आएँ
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13 कविताप्रेमियों का कहना है :
शोभा जी,
बहुत ही प्यारी कविता नव-वर्ष के अभिनन्दन में..
सूखी पुष्पों की माला जो
विगत वर्ष का हार बनी
नए वर्ष के स्वागत में फिर
मुसकाती है कली-कली
फिर आँखों में नूतन सपने
जीवन सुखी बनाने के
भूल विगत की असफलताएँ
भावी सफल बनाने के
उर- उन्माद जगा है फिर से
झंकृत मन वीणा के तार
नए वर्ष की मोहक आहट
दस्तक देती बारम्बार
बहुत बहुत बधाई..
नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनायें
शोभा जी नव वर्ष पर आपकी कविता बहुत ही मोहक लगी. विशेषकर ये पंक्तियाँ
उर- उन्माद जगा है फिर से
झंकृत मन वीणा के तार
नए वर्ष की मोहक आहट
दस्तक देती बारम्बार
बहुत ही खूबसूरत रचना,इसे पढ़कर हमारे अंदर भी उन्माद का संचार होने लगा.
नए वर्ष की बारम्बार शुभकामनाएं
आलोक सिंह "साहिल"
बड़ी अच्छी कविता है शोभा जी.
बीतते साल की सुनहरी यादों के साथ शुरू करेंगे नव वर्ष.
सभी को नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
आभार सहित-
अल्पना वर्मा
फिर आँखों में नूतन सपने
जीवन सुखी बनाने के
भूल विगत की असफलताएँ
भावी सफल बनाने के......
बहुत अच्छी कविता है.... नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं ....
नए वर्ष की मोहक आहट
दस्तक देती बारम्बार
-- प्रभावशाली भाषा शैली की सुन्दर रचना... आपको नव वर्ष की शुभकामनाएँ.
बीत रहा है जीवन पल-पल
काल चक्र है घूम रहा
आता है जीवन में कोई
कोई पीछे छूट रहा
rightly said truth of the life.
regards
आदरणीय शोभा जी !
सूखी पुष्पों की माला जो
विगत वर्ष का हार बनी
नए वर्ष के स्वागत में फिर
मुसकाती है कली-कली
नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएं, अपनी रचना के माध्यम से देने के लिए आभार
अविस्मरनीय
शोभा जी, आपकी कविता..बहुत ही अच्छी है क्यों ki
१) सही समय को ध्यान मै रख कर बनायीं है (नव वर्ष )
२) पांचो पद.. एक से बढ़ कर एक है...बहुत ही सरल शब्द प्रयोग से.. आपने सब कुछ कह दिया,...
(मुझे व्यक्तिगत रूप से इस तरह की कवितायें बहुत भाती हैं )
३) इस कविता को मै एक आदर्श के रूप मै रखा जा सकता है.. की कविता सम्पूर्ण तक पहुच रही है
४) अलंकार का बहुत सुन्दर प्रयोग है जैसे "मन वीणा"
बधाई इस आकर्षक नववर्ष उपहार के लिए... और आपको और सभी हिंदी युग्म से जुडे लोगों को नववर्ष मुबारक हो...
सादर
शैलेश
बढ़िया कविता है...आपकी पहले की रचनाओं से काफ़ी अलग और बेहतर...आशा है नव-वर्ष आपके लिए भी मंगलमय हो...
नमस्कार ,
आपकी कविता मुझे बहुत ही अच्छी लगी है ....
आप शायद मुझे नही जानते हो ........
चलिए कोई बात नही एक दिन जान भी जायेंगे .
खैर मेरे बस में इतना to नही है की मैं आप की कविता में कोई नुक्स निकल सकूं ...
नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ .......अश्वनी कुमार गुप्ता ...
नव-वर्ष का सुखद अभिनंदन प्रभावित करता है। सारे शब्द सुनियोजित एवं सुस्पष्ट हैं।
शोभा जी,
मुझे इस शैली की कविताएँ बेहद प्रभावित करती है, क्योंकि मैं भी ऎसे लिखते-लिखते हीं कुछ लिखने लायक हुआ हूँ।
बधाई स्वीकारें।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
शोभा जी,
बहुत सुन्दर व प्रभावशाली शैली में लिखी है आपने यह रचना...
बधाई
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