मन में मृदंग की धून
सुखदायी बज रही
शायद...
किसी लता ने पेड को
थाम लिया है कहीं
कैसे अचानक आया
तेज मेरे चेहरे पर
शायद...
रौशनी के लिये अपना
कोई जला रहा है घर
यहाँ खुशी की खुशबू
बिखरी है हर कहीं
शायद...
प्यार बाँटते जाने का
पालता है शौक कोई
~ तुषार जोशी, नागपुर
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8 कविताप्रेमियों का कहना है :
tushar ji,hindi divas ki anekanek shubhkamnayein...aapki bhasha ati saral hai..bahut kam shabdon mein bahut kuch kehne ki shamta rakhtey hein...aapka prayas bahut sunder hai...badhai....
तुषार जी की इस दार्शनिक कविता का अर्थ शायद बहुत गहरा है। कोई आत्मा-परमात्मा, गुरु-शिष्य आदि से भी जोड़ सकता है। मैंने प्रेमी-प्रेमिका से जोड़कर इस प्रकार समझा।
मन में मृदंग बज रहा है- मतलब नायक खुश है क्योंकि उसकी पेड़ जैसी सूखी ज़िंदगी को लता जैसी नायिका ने स्नेहिल स्पर्श (अवलंब) दिया है।
आगे नायिका को नायक त्याग की प्रतिमूर्ति भी मान रहा है क्योंकि इसकी जिंदगी में जो रोशनी आई है शायद उसके लिए नायिका अपना ही घर जला रही है (या यूँ कहिए सबकुछ दाँव पर लगा रही है)
नायिका सबके प्यार करने वाली है, प्रेम की देवी है। उसके प्यार बाँटने की वृत्ति से ही सारा जहाँ सुगंधित हो गया है।
अन्य मीमांसाओं का इंतज़ार रहेगा।
यहाँ खुशी की खुशबू
बिखरी है हर कहीं
शायद...
प्यार बाँटते जाने का
पालता है शौक कोई...
बहुत ख़ूब तुषार जी ..जैसे मेरे दिल की बात कह दी आपने
बहुत ही खूबसूरत लगी आपकी यह कविता ..बधाई !!
तुषार जी,
बहुत प्यारी रचना है। इतनी अच्छी कि बार-बार पढ़ने को जी करता है।
यहाँ खुशी की खुशबू
बिखरी है हर कहीं
शायद...
प्यार बाँटते जाने का
पालता है शौक कोई
ऐसी रम्य रचना के लिए बधाई।
तुषार जी
आपकी रचना आध्यात्मिक और लौकिक दोनो ही अर्थ अपने में समेटे है । एक बात सत्य है कि प्रेम में
समर्पण और एकात्म हो जाने पर ऐसी ही मुग्ध होने वाली दशा होती है । निम्न पंक्तियों ने तो कमाल ही
कर दिया --यहाँ खुशी की खुशबू
बिखरी है हर कहीं
शायद...
प्यार बाँटते जाने का
पालता है शौक कोई
एक प्यारी सी रचना के लिए बधाई ।
तुषार जी,
एक प्यारी,
अच्छी रचना ....के लिए
बधाई ।
तुषार जी
बहुत प्यारी रचना लिखी है
पढ कर मजा आ गया
हर युवा पाठक को छू कर गुजरने का साहस आप की कविता में दिखाई दे रहा है
बहुत बहुत बधाई
तुषार जी,
मन को छू जाती हुई पंक्तियाँ गढने में आपकी महारत है।
*** राजीव रंजन प्रसाद्
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