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Thursday, August 09, 2007

सब मज़े में है भाई. जन्मदिन पर विशेष


मित्रो,
नमस्कार....आज मेरा जन्मदिन है (९ अगस्त)....इस अवसर पर प्रस्तुत है मेरी एक विशेष कविता....आज मेरा दिन निर्धारित नही है पर उम्मीद है मेरे इस "हक" जताने पर किसी को एतराज नहीं होगा......

जीवन के ये बाईस बरस......
कुछ बोझिल, स्वप्निल और सरस.....

तब चांद सुनाता था लोरी,
अब चांद-सी सूरत में गोरी,
भरती स्वप्नों में मधु-कलश...
जीवन के ये.....

सुकुमार-सी पलकों का रोना,
फिर आप ही मन का दृढ़ होना,
कभी उजास, कभी घोर तमस....
जीवन के ये........

उम्मीदें बढ़कर हुई पतंग,
शिथिल मरुस्थल हुए अंग,
न इस पर और न उस पर बस....
जीवन के ये........

आओ अस्तित्त्व करें आधा,
मैं मनमोहन ओ" तुम राधा,
तुम सोना, मैं बन जाऊं पारस....
जीवन के ये.....

मैं कौन हूँ, मेरा क्या परिचय??
जीवन यथार्थ है या संशय??
अनवरत रहा यह असमंजस........
जीवन के ये.........

अब तक जीवन अभिनय ही रहा,
दुःख-सुख मंगलमय ही रहा,
मन में रही सबकी छवि सरस.........
जीवन के ये.......

निखिल आनंद गिरि
९८६८०६२३३३

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23 कविताप्रेमियों का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

एक एक शब्द..................सर्थक है...............
मै आनंदित हुए बिना नही रह सका...................
एक अदभुत गति और अदभुत कला कौशल के साथ उम्र की 22वी सीधी के भाव अत्यंत ही कलात्मकता और उडरेकता के साथ परोसे गाये है जिसे एक बार खाकर मान नही भरता
कवि महोदय एक और बार खिलाए यही कहूँगा और एक संपूर्ण रचना के लिए बधाइयाँ दूँगा...................
वैसे ग़ौरव जी की इस भारी रचना को पढ़ने के बाद आप की इस हल्की रचना को पढ़ना आनंद दाइ............
मान भारी होने के पश्चात हल्का हो चला............
साधुवद और जन्म दिवस की शुभकामनाएँ

उन्मुक्त का कहना है कि -

जन्म दिन की बधाई और कविता भी सुन्दर है

RAVI KANT का कहना है कि -

निखिल जी,
जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।शुरूआत से अंत तक कविता पाठक को अपने आकर्षण में बाँधे रखती है।

तब चांद सुनाता था लोरी,
अब चांद-सी सूरत में गोरी,
भरती स्वप्नों में मधु-कलश...
जीवन के ये.....

ये पंक्तियाँ सीधे दिल में उतर गयीं।लेकिन "तुम सोना, मैं बन जाऊं पारस...."में सोना और पारस का मेल समझ मे नही आया।पारस तो लोहे को सोना करता है,सोने को उस्की क्या जरूरत!

रंजू भाटिया का कहना है कि -

जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ
ईश्वर आपको सब ख़ुशियाँ दे यही प्रार्थना है[:)]

आओ अस्तित्त्व करें आधा,
मैं मनमोहन ओ" तुम राधा,
तुम सोना, मैं बन जाऊं पारस....
जीवन के ये.....


बहुत सुंदर कविता है ......बधाई !!

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

सर्वप्रथम तो आपको जन्मदिवस की कोटिश: बधाई।

मैं कौन हूँ, मेरा क्या परिचय??
जीवन यथार्थ है या संशय??
अनवरत रहा यह असमंजस........
जीवन के ये.........

अब तक जीवन अभिनय ही रहा,
दुःख-सुख मंगलमय ही रहा,
मन में रही सबकी छवि सरस.........
जीवन के ये.......

रचना बिलकुल आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण दिवस के अनुरूप है। सुन्दर बिम्ब और भाव।

*** राजीव रंजन प्रसाद

Mohinder56 का कहना है कि -

निखिल जी,
सर्वप्रथम आपको जन्मदिन की बहुत बहुत बधायी. ईश्वर आपकी प्रत्येक मनोकामना पूर्ण करे.
जीवन के रंग पसन्द आये..आगे और सतरंगी हो ऐसी कामना है

Dr. Seema Kumar का कहना है कि -

निखिल जी, जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएँ । बहुत सुंदर और सरस रचना ।

जीवन के ये बाईस बरस......
कुछ बोझिल, स्वप्निल और सरस.....

आपके जीवन में और भी सुंदर रंग और भाव आएँ और बोझिल न हो .. बधाई ।

- सीमा

Gaurav Shukla का कहना है कि -

निखिल जी,
सर्वप्रथम जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनायें

"जीवन के ये बाईस बरस......
कुछ बोझिल, स्वप्निल और सरस"

"सुकुमार-सी पलकों का रोना,
फिर आप ही मन का दृढ़ होना,
कभी उजास, कभी घोर तमस"

"मैं कौन हूँ, मेरा क्या परिचय??
जीवन यथार्थ है या संशय??
अनवरत रहा यह असमंजस........"

बहुत सुन्दर
सुन्दर बिम्ब और अच्छे भाव हैं,
धन्यवाद, अतीत में ले कर गये आप :)

पुनः आपके उज्ज्वल भविष्य के लिये शुभकामनायें

सस्नेह
गौरव शुक्ल

anuradha srivastav का कहना है कि -

जन्मदिन की शुभकामनायें ,खूब उन्नति करिये । लोरी सुनाने वाली गोरी भी
आपके जीवन में जल्दी ही आयेगी चिन्ता मत करिये । कविता बहुत ही सुन्दर है ।
गागर में सागर के समान ।

गीता पंडित का कहना है कि -

निखिल जी,

सर्वप्रथम जन्मदिवस की
हार्दिक शुभकामनायें...

सुन्दर कविता

संपूर्ण रचना के लिए
बधाई

सस्नेह

mamta का कहना है कि -

निखिल जन्मदिन की ढ़ेर सारी बधाई और शुभकामनायें !
पुनः बधाई इतनी सुन्दर कविता लिखने की!!

अभिषेक सागर का कहना है कि -

जन्म दिन की हार्दिक बधाई।
कविता में व्यक्त आपकी अभिलाषायें पूर्ण हों। अच्छी कविता।

-रचना सागर

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

निखिल जी, सबसे पहले आपको जन्मदिन की बहुत बधाई।
बहुत सुन्दर कविता है आपकी, बहुत लयबद्ध भी है।
सच में जीवन के कई रूप एक साथ सामने आ गए।
एक सम्पूर्ण कविता के लिए बधाई।

Anupama का कहना है कि -

kavita Sundar Hai.....aapko Janam din ko dheron bhadhaaiyaan

शोभा का कहना है कि -

निखिल जी
आपकी रचना मुझे कुछ खास समझ नहीं आई । आप पता नहीं जन्म दिन
के कारण खुश हैं या किसी के मिलने के कारण । आपके मन में जो उत्साह है
वह बहुत ही अनावश्यक लगा ।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

बहुत मीठी रचना है। पढ़कर मन खुश होता है। सटीक शब्दाभिव्यक्ति है। परिवर्तन को बहुत सुंदर तरीके से पिरोया है आपने।

आगे भी जीवन अभिनय ही होगा
दुःख-सुख मंगलमय ही होगा
मन में रहें सबकी छवि सरस.........
जीवन आपका कट जाय यूँ बस

शुभकामनाएँ!

Unknown का कहना है कि -

बन्धुवर निखिल जी
जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
सप्रेम
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'

SahityaShilpi का कहना है कि -

निखिल जी!
देरी के लिये क्षमा-प्रार्थना के साथ जन्म-दिन की ढेरों शुभकामनायें.
ऐसे ही खुश रहें और लिखते रहें.

विश्व दीपक का कहना है कि -

निखिल जी, देर से जन्मदिन की बधाई देने के लिए क्षमा चाहता हूँ और प्रभु से दुआ करता हूँ कि आप ऎसे हीं जगमगाते रहें।
इस बार की आपकी कविता एक अलग-सा जादू लिए हुए है। आपने इसमें अपने जीवन के बाईस वर्ष डाले हैं।
तब चांद सुनाता था लोरी,
अब चांद-सी सूरत में गोरी,

कभी उजास, कभी घोर तमस....

शिथिल मरुस्थल हुए अंग,

मैं कौन हूँ, मेरा क्या परिचय??
जीवन यथार्थ है या संशय??
अनवरत रहा यह असमंजस

मन में रही सबकी छवि सरस

बड़ी हीं खूबसूरत कविता है।बधाई स्वीकारें।

Pramendra Pratap Singh का कहना है कि -

देरी के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ।

जन्‍म दिल की बधाई

Nikhil का कहना है कि -

सभी मित्रों को प्रणाम,
जन्मदिन की शुभकामना देने के लिए तहे-दिल से धन्यवाद.......जिन्होंने देर से याद किया,उन्हें भी.......कभी-कभी व्यस्तता में समय निकल जाता है,मैं समझता हूँ। शोभा जी को मेरी कविता समझ में नहीं आयी, इसका अफ़सोस है.....मेरे मन का उत्साह उन्हें अनावश्यक लगा, इस पर क्या कहूं। बस यही अनुरोध है कि जिन्हें मेरा उत्साह सार्थक और कविता समझ आयी हो, शोभा जी तक ज़रुर पहुंचा दें......चूंकि, कविता मेरे व्यक्तिगत अनुभवों की प्रस्तुति है, सो मैं कोई दलील देना मुनासिब नहीं समझता.......हिंदयुग्म परिवार को बहुत-बहुत शुक्रिया....

आपका,
निखिल आनंद गिरि

आलोक साहिल का कहना है कि -

Nikhil bhai,mai to bada abhaga jo itna der ho chala.khair,sunder khuda kare JIVAN KE YE BAIES BARAS kam se kam 22 dafe jaroor aye.Maine FADISHWAR NATH RENU JI ko padha tha ki ek rachnakar ke liye apne vishay mein kuch bhi likh pana bada muskil hota hai,unke shabdo mein BARNAD SHAW ke alawa kisi ke liye bhi asambhav,prantu abhi lagta hai ki unke vicharon ko chunauti dene ki jurrat ki ja sakti hai.bahut bahut Mubarakbad

Unknown का कहना है कि -

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