आज मुझे भूलने के बाद जब वो मेरे ख़त तूने जलाए होंगे
फ़िज़ाओ में आज भी वो बीते पलो के साए महक आए होंगे
बिताए थे ना जाने कितने बेहिसाब लम्हे साथ साथ
उनके तस्वुर ने तेरे होश एक बार फिर से तो उड़ाए होंगे
याद आया होगा तुझे भी मेरा तेरी बाहों में सिमाटना
मेरे ज़ुल्फ़ो की ख़ुश्बू के साए आँखो में लहराए होंगे
आईने में देखा होगा जब तूने यूँ ही अक़्स अपना
मेरी चाहत के जाम आज भी तेरी नज़रो से छलक आए होंगे
देखा होगा जब चाँद को बादलो के संग छिपते हुए
मेरी प्यार की बातो से तेरे लब मुस्कराए होंगे
जगाया होगा मेरे ख्वाबो ने तुझे अक्सर रातो को
जुदा होने से पहले के वह हसीन लम्हे याद आए होंगे
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
तूने आज जब वो मेरे लिखे ख़त जलाए होंगे
तेरे दिल पर भी कुछ देर तो दर्द के साए होंगे !!
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13 कविताप्रेमियों का कहना है :
बहुत सुन्दर रचना है रन्जू जी,
इसे पढ कर एक पुराना गाना याद आ गया जो मुझे बहुत पसंद है
"हो के मजबूर मुझे, उसने भुलाया होगा"
"छेड की बात पर अरमान मचल आये होगे
अश्क आंखों ने पीये और न बहाये होंगे
बंद कमरे में जो खत मेरे जलाये होंगे
हर एक लफ़्ज जमीं पर उभर आया होगा"
"हो के मजबूर मुझे, उसने भुलाया होगा"
कविता सुंदर है परंतु अपने मर्म को छूने मे नाकामयाब है ! कवीयत्री ने शब्दों को अच्छा बाँधा है किंतु दर्द का अहसास शब्दों मे भटक सा गया है , ऐसा प्रतीत होता है ! ऐसा लगता है की रचनाकार ने शब्दों का सुर सवारने मे अर्थ को अनजाने मे नज़रअंदाज़ कर दिया है !
जलाता कैसे वो खत तेरे यों अपने साए में,
तू तो बस्ती दीलों के हर एक आईने में,
दर्द का समां नही फैलाता तेरा तसव्वुर आया,
खुशियों का समां है दिया तुने दिलों में भर,
जलेगा ना कभी कोई शब्द भी तेरे ख़्वाबों में,
कैसे करूं मैं बयां रहती है तू कैसे उसमे,
रिश्ता तो कुछ ये अनोखा इश्वर ने बनाया होगा,
तभी तो हर ख़त में उसे तू नज़र आया होगा...
रंजू दी...
एक और सुंद्र रच्ना आप्की...
बहुत खूब्सूर्ती से िलखा है आप्ने...
ranjana ji...
u r grt when it comes to writing...
simply grt.....
this one was again full of sentiments........
lots of wishes....
@!$hw@ry@
Wow Ranju ji,
Its simply fantastic....itna hi kah sakungi ki jo jazbaat mere labo par gungunaate hain wo aapki kalam se utar aate hain.....padh kar aisa laga ki haan maine bhi to yeh socha tha....
har shabd sundar hai...pyara hai bilkul aapke jazbaaton ki tarah
lots n pods of luv
Anu
बहुत सुन्दर रंजूजी,
है यही तो प्यार की तसीर का जादू इस ठहरी सी फ़िज़ा में
धूवाँ होते वो पल किसी पावन ख़ुश्बू से महक आए होंगे
वाकई, प्यार ऐसा ही होता है, सही है!
Kavita Bahut he meri life ko relate kar rahi hai maray dil K kisi Ko-nay main yeh baatain aah-T jaa-T reh-T theeh,
aap ki har nazm & kavita ka main kayal ho gaya hoon
plzz...
Keep the Sprit UP..
वाह रंजू जी
अच्छी कविता।
नायिका का प्रिय से ज़ुदा होने के बाद भी उसकी तड़प, प्यास का विश्वास नायिका के प्रेम की सफलता का द्योतक है। और रंजना जी ने इन भावों को खूब जिया है।
आज मुझे भूलने के बाद जब वो मेरे ख़त तूने जलाए होंगे
फ़िज़ाओ में आज भी वो बीते पलो के साए महक आए होंगे
नायिका को भरोसा है कि ख़तों के जलने पर भी फिज़ाओं में महक आई होगी। ये भाव बहुत नैसर्गिक लगते हैं।
अच्छी कविता।
रंजु जी..
भावों पर आपकी पकड गहरी है। कविता में श्रृंगार रस की अपनी खुशबू तो है ही, प्रियतम की कल्पनाओं की कल्पना करना भी सुन्दर बन पडा है। शिल्प संतोषप्रद है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
उठा था दर्द मेरे भीतर उसे एक आशा के तिनकों पर देखकर्…घबड़ाया था उस वक्त मेरा मन उसे
तन्हा समझकर…पर क्या उड़ता हुआ आँचल हवाओं
को मेरी तरफ भी मोड़ता होगा…
बस यही कहना चाहता हूँ…उत्तम!!!पढ़कर आनंदित हो गया…।
achi ghazal, maine bahut pehle ek aisi hi ghazal likhi thi...
"Mere khat jab usney hathon se jalaye honge,
jan kitney khwab aankhon mein dabaye honge.."
Yun laga ki meri Ghazal ke aage ka hissa aapney likh diya, Bahut hi Jald apni yeh ghazal Yugm par Bejhoonga.
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