ये तुम्हारा खयाल नहीं है
साँसे है मेरी
इन खयालों ने ही
पुरवाईयों में ढलकर
जगाया है मुझे
रात होते ही प्यार से
गोदी में
सुलाया है मुझे
इस खयाल के ना रहते
मैं अधुरा हूँ
सोचता हूँ के कितना
मैं तुम्हारा हूँ
ना रहे खयाल तो मैं
घुट घुट के मर जाउंगा
बस इक ढेर मिट्टी का
मैं रह जाउंगा
इतनी सादी सी ज़िन्दगी की
कहानी है मेरी
ये तुम्हारा खयाल नहीं है
साँसे है मेरी
तुषार जोशी, नागपुर
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5 कविताप्रेमियों का कहना है :
नव वर्ष में आपके ख्याल हकीकत में तबदील हों और नया वर्ष आपके लिये खुशहाली लाये, इस हेतु ढ़ेरों शुभकामनायें, तुषार भाई.
-समीर लाल
तुषार जी,
ये आपकी तारीफ़ नहीं,
उद्गार लिख रहा हूँ।
एक महान कवि को
नमस्कार लिख रहा हूँ।
तुषार जी, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। भगवान करे नववर्ष में आपके मन की सभी बातें पूरी हों।
तुषार जी, नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
मैं भी शैलेशजी के ही शब्दों में कहना चाहूँगा -
ये आपकी तारीफ़ नहीं,
उद्गार लिख रहा हूँ।
एक महान कवि को
नमस्कार लिख रहा हूँ।
तुषार जी,
सर्वप्रथम नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
अब एक ही बात कहुँगा,
अति उत्तम
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