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Tuesday, September 12, 2006

दो क्षणिकाएँ ...


(1)
सड़क किनारे
पत्थर की दिवार
जिसके नीचे लेटा
अपंग/अंधा/भूखा/लाचार
और पास से गुजरते
पत्थर दिल इंसान ॰॰॰
(2)

वृक्ष के किनारे लेटा
भूख से बिलखता बालक
पास ही
बदहाल;फटेहाल
मजदूरी करती
माता ॰॰॰

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कविताप्रेमी का कहना है :

सोमेश सक्सेना का कहना है कि -

बहुत खूब गिरीराज जी, कम शब्दों में बडी बात |

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