लगभग ६ वर्ष पहले मेरे हाथ एक किताब लगा थी 'ग़ज़ल-ए-हिन्दुस्तानी'। इसमें तमाम ग़ज़लगों के हिन्दी-ग़ज़लों का संगम था। जब भी मौका मिलता, मैं गोपालदास नीरज की ग़ज़ल पढ़ने लगता जिसकी यह लाइन मुझे बेहद पसंद थी-
"अबके सावन में ये शरारत मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़कर पूरे शहर में बरसात हुई"
और कुँअर बेचैन का यह शेर खोल लेता-
"ज़रूर उसकी भी कुछ मजबूरियाँ रही होंगी
वरना कोई ऐसे बेवफ़ा नहीं होता"
बार-बार पढ़ने का फ़ायदा यह हुआ कि किताब की सभी खूबियों से परिचित हो गया। सबसे ख़ास चीज़ जिसने मुझे बहुत प्रभावित किया, वो उसकी हर ग़ज़ल के साथ बने स्कैच (चित्र)। बहुत बारीकियों से किसी चित्रकार ने ग़ज़ल के भावों को आड़ी-तिरछी रेखाओं में समोया था।
सोचा कि कभी अपना संकलन आया तो किसी चित्रकार से उसकी मदद लूँगा और अपनी कविताओं का भाव चित्रकार के फ़न से भी कहूँगा। मगर संकलन क्या एक कविता भी नहीं छप सकी।
पिछले चार-पाँच महीने से हिन्द-युग्म की कविताओं के लिए चित्रकार की खोज कर रहा था। जब अनुपमा जुड़ीं; उनके परिचय में देखा कि वो भी चित्रकारी करती हैं; तो मन प्रफुल्लित हो गया। लगा, खोज पूरी हुई। मगर अफ़सोस उनके पास इतनी व्यस्तता रहती है कि फ़िलहाल के लिए उन्होंने क्षमा माँग ली।
परंतु जहाँ चाह है, वहाँ राह है। मुझे राह मिल गई। याहू मैसेन्ज़र से स्मिता तिवारी से जुड़ना हुआ। बातों-बातों में पता चला कि वों पेंटर हैं; उन्होंने अपनी कुछ पेंटिंग भेजी; जिन्हें देखकर दिल गार्डेन-गार्डेन हो गया।
मन फ़िर उछलने लगा। उनसे पूछा कि क्या यह सम्भव है कि कविताओं पर पेंटिंग की जाय? उन्होंने ने कहा कि किस तरह की पेंटिंग चाहिए आपको? (पेंटिंग के प्रकार गिनाने लगीं); मैं थोड़ा घबराया; कभी सुना ही नहीं था। मैंने कहा कि जैसी भी हों, कविताओं के साथ सुंदर लगें और कविता में निहित भावों को उकेर सकें। उन्होंने कहा- "डन"
मैंने तुरंत इस बार के काव्य-पल्लवन के लिए आईं कविताएँ उनको भेज दी ताकि काव्य-पल्लवन को और सुंदर बनाया जा सके (काव्य-पल्लवन का अप्रैल अंक वृहस्पतिवार, २६ अप्रैल २००७ को प्रकाशित होगा)।
कुछ चित्र बन भी गये हैं। पाठकों के लिए स्मिता तिवारी का पूरा परिचय प्रकाशित कर रहा हूँ।
हिन्द-युग्म की पेंटर- एक दृष्टि में
नाम- स्मिता तिवारी

जन्म- २५ सितम्बर, १९६३ (लखनऊ, उ॰प्र॰)
योग्यता- मास्टर ऑफ़ फ़ाइन आर्ट्स (एम॰एफ़॰ए॰), अप्लाइड आर्ट्स विभाग, दृश्य कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
सम्प्रति- अध्यापन- मनकापुर, जनपद-गोंडा (उ॰प्र॰)।
रुचियाँ- चित्रकलाओं के साथ-साथ ललित कलाओं की विविधताओं के प्रति समर्पण। व्यवहारिक कला की अनेक विधाओं के अतिरिक्त तैल-चित्रण, रेखांकन, संयोजन, कम्प्यूटर-चित्रण, क्राफ़्ट-कार्य आदि। उत्कृष्ट साहित्य के प्रति गहरा लगाव एवं रुझान, पठन-पाठन, संकलन। अतुकान्त कविता व लेख-लेखन। रंग एवं कला के प्रति जिज्ञासु एवं लालायित जनों को उनकी अपेक्षानुसार निर्देशित करने का बीड़ा।
परिवार- पति- के॰के॰ तिवारी, प्रमुख- जनसम्पर्क विभाग, आईटीआई लिमिटेड, मनकापुर, जनपद-गोंडा।
(मास्टर ऑफ़ फ़ाइन आर्ट्स)
सुपुत्री- सुकृति तिवारी, बीबीएम छात्रा, बैंगालुरु।
सुपुत्र- चित्रार्थ तिवारी, छात्र, आईएससी मनकापुर।
सम्पर्क- मनकापुर, जनपद- गोंडा (उ॰प्र॰)
ईमेल- smita25kk@gmail.com
अबतक- अनेक नगरों में ग्रुप-शो, एकल कला प्रदर्शनियाँ, नाट्य एवं विविध-विधा मंचीय दृश्यों का निर्माण एवं साज-सज्जा, लेख एवं कविताओं का अनेक संकलनों एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन (कुछ कविताएँ अनुभूति में प्रकाशित)। आकाशवाणी, कला मंचों व नाट्य संस्थाओं से जुड़े रह कर अपेक्षित योगदान आदि।
सम्भावना है कि यूनिकवि की प्रथम कविता के साथ भी इनकी पेंटिंग प्रकाशित हो। चूँकि पेंटिंग के लिए पर्याप्त समय चाहिए, अतः अगले माह से काव्य-पल्लवन के नियमों में भी कुछ परिवर्तन किये जायेंगे।
स्मिता जी ने जो पेंटिंग मुझे भेजी हैं, उनमें से कुछ प्रकाशित कर रहा हूँ ताकि आपलोग भी उनके हुनर से रूबरूँ हो सकें।
बाल-विवाह



जोड़ा

माँ-पुत्र

तो बस इंतज़ार कीजिए वृहस्पतिवार, २६ अप्रैल २००७ का और स्वागत कीजिए स्मिता तिवारी का हिन्दी-ब्लॉगिंग की दुनिया में।
एक जोड़ा
गणेश
जोड़ा

माँ-पुत्र
तो बस इंतज़ार कीजिए वृहस्पतिवार, २६ अप्रैल २००७ का और स्वागत कीजिए स्मिता तिवारी का हिन्दी-ब्लॉगिंग की दुनिया में।