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Tuesday, October 05, 2010

पिता


 किसी भी मनुष्य की जीवन-वृत्त मे पितृत्व एक बेहद खूबसूरत और महत्वपूर्ण अध्याय होता है। एक नये जीवन का हेतु बनना किसी जीवन को पूर्णता देता है। पिता बनने के सांसारिक और आध्यात्मिक पहलुओं के बीच की इसी कड़ी को आधार बनाया है कवि अखिलेश श्रीवास्तव ने अपनी निम्न कविता मे।


वैदिक मंत्रोच्चार के बीच
जब चार आँखों ने मिल कर देखा
कोई एक सपना।

कुछ रक्ताभ शामों में
दो चेहरे खिलखिलाए होंगे
किसी  इक ही बात पर।

कुछ स्वर्णिम रातों में
जब दो देह बाँट रही होंगी
पसीने की खुशबू।

तभी सिर्फ़ प्रेम नामक रसायन से
पुरुष रच देता है कुछ ऐसा
जिसे हज़ारो वैज्ञानिक
सैकड़ों साल से
पूरे लाव-लश्कर से साथ
ढूँढ रहे है
चंद्रमा से मंगल तक।

अचानक किसी रात
शर्माती, सकुचाती
कोई देवी मना कर देती होगी
आलिंगन से
लज़ाई आँखे गड़ा देती होगी
पेट पर
और हाथ अपने आप परे
धकेल देते होंगे
पुरुष को
तब एक क्षण के लिए ही सही
उसे अहसास होता होगा
अपने ब्रह्मा होने का।

संभोग से समाधि के
सफ़र में
इक पड़ाव है
पिता।

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6 कविताप्रेमियों का कहना है :

rachana का कहना है कि -

संभोग से समाधि के
सफ़र में
इक पड़ाव है
पिता
bahut hi khoob kitni sunderta se aap ne itni badi baat kah di.
badhai
rachana

जितेन्द्र ‘जौहर’ Jitendra Jauhar का कहना है कि -

वाह... अखिलेश जी,वाह! ग़ज़ब की काव्य-भाषा है आपके पास।

"कुछ स्वर्णिम रातों में
जब दो देह बाँट रही होंगी
पसीने की खुशबू।"

अच्छे कवि की एक मुकम्मल पहचान कराता है यह Diction जिसने किसी प्रकार की अश्लीलता को कविता में पसरने नहीं दिया। वरना जिस चित्र को आप उकेरने चले थे, वहाँ शब्द-चयन की ज़रा-सी चूक लक्षित ‘चित्र’ को उकेरने के प्रयास में कवि के ही ‘चरित्र’ को उकेर देती...है कि नहीं,... अखिलेश भाई?

"तभी सिर्फ़ प्रेम नामक रसायन से
पुरुष रच देता है कुछ ऐसा
जिसे हज़ारो वैज्ञानिक
सैकड़ों साल से
पूरे लाव-लश्कर से साथ
ढूँढ रहे है
चंद्रमा से मंगल तक।"

जीवन-सृजन का यह संकेत आपको बधाई का हक़दार बनाता है। कवि-धर्म का सुंदर निर्वाह किया है आपने ।अच्छा कवि कहता कम है,संकेत ज़्यादा करता है। आप काव्य की इस कसौटी पर भी खरे उतरे हैं, मेरे भाई!

दिल करता है् कि अधराधर छाप दूँ आपके कराम्बुजों पर !
jjauharpoet@gmail.com
मोबा. नं. +91 9450320472

M VERMA का कहना है कि -

कुछ रक्ताभ शामों में
दो चेहरे खिलखिलाए होंगे
किसी इक ही बात पर।
बहुत खूब शब्द और भाव दोनों का सुन्दर समन्वय.

Unknown का कहना है कि -

achchha laga !
arganikbhagyoday.blogspot.com

अश्विनी कुमार रॉय Ashwani Kumar Roy का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Akhilesh का कहना है कि -

aap sabhi ka dhanybaad.

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