रेनॉल्ड्स की नयी कलम
नया कागज़
और कुछ नए शब्द
आज ही खरीदकर लाया हूँ
मैं
बाज़ार से
लिखने को एक नयी कविता
मेज़ पर फ़ैल रहा है
आज का अखबार
और फडफडाती हैं
उनके पन्नों पर रेंगती लाशें
उनके शोर में
सुन नहीं पाता मैं
अपने विचार
पर झटकता हूँ मैं इनका खून
लिखने को एक नयी कविता
अजान की आवाज़ पर मुस्कुराते हैं जीसस
और बजने लगती हैं घंटियाँ मंदिरों की मेरे शब्द दबते जा रहे हैं
इन आवाजों में
बंद कर लेता हूँ मैं
अपने कान
लिखता हूँ एक नयी कविता
घसीटता हूँ मैं अपने हाथ
अपनी नयी कलम
पर हिलते नहीं मेरे हाथ
एक नयी कविता लिखने को
मैं काटकर फेंक देता हूँ
अपने हाथ
और खरीद लाता हूँ
नए हाथ
बाज़ार से
और लिखता हूँ अपनी नयी कविता जबरन!
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12 कविताप्रेमियों का कहना है :
good feel
मेज़ पर फ़ैल रहा है
आज का अखबार
और फडफडाती हैं
उनके पन्नों पर रेंगती लाशें
उनके शोर में
सुन नहीं पाता मैं
अपने विचार
पर झटकता हूँ मैं इनका खून
लिखने को एक नयी कविता
शुरुवात में कविता बहुत अच्छी है पर अंत की लाइन कुछ विस्मय उत्पन्न करती है...
आप की कविता बहुत कुछ कहती है .आज के हालत ,दर्द सब कुछ मुझे तो बहुत अच्छी लगी
सादर
रचना
मेज़ पर फ़ैल रहा है
आज का अखबार
और फडफडाती हैं
उनके पन्नों पर रेंगती लाशें
उनके शोर में
सुन नहीं पाता मैं
अपने विचार
वाह! बहुत सुंदर लिखा है.
ये पंक्तियाँ अच्छी लगीं:
मेज़ पर फ़ैल रहा है
आज का अखबार
और फडफडाती हैं
उनके पन्नों पर रेंगती लाशें
उनके शोर में
सुन नहीं पाता मैं
अपने विचार
पर झटकता हूँ मैं इनका खून
लिखने को एक नयी कविता ...
अजान की आवाज़ पर मुस्कुराते हैं जीसस
और बजने लगती हैं घंटियाँ मंदिरों की मेरे शब्द दबते जा रहे हैं
पावस इन्ही दबे शब्दों से निकलेगी वो कविता भी जो इन अखबार के पन्नों सी स्याह नही होगी
अन्तर्मन की छटपटाहट का सही चित्रण किया........
sundar..........
alok singh "sahil"
नए हाथ
बाज़ार से
और लिखता हूँ अपनी नयी कविता जबरन!
good way to say
were to stay
regards
रेनोल्ड्स की कलम से कविता शुरू की है.....लगता है किसी पिछले ज़माने की कविता लिखी जा रही हो....कविता मुकम्मल होते-होते रह गई....ऐसा लग रहा है कि कवि ने कई विचार इकट्ठे कर राखी थे, पर उन सबको एक कॉमन बिन्दु पर नहीं पहुंचा पाया....बहुत दिनों बाद आपकी कविता आई, इस कोशिश की पूरी सराहना की जानी चाहिए....
पहली बार पढने मे कविता समझ नही आयी थी
पर जब दुबारा पढा तो अर्थ समझ आया
पढकर अच्छा लगा
सुमित भारद्वाज
गुड
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