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Tuesday, September 30, 2008

एक नयी कविता


रेनॉल्ड्स की नयी कलम
नया कागज़  
और कुछ नए शब्द  
आज ही खरीदकर लाया हूँ  
मैं  
बाज़ार से  
लिखने को एक नयी कविता  

मेज़ पर फ़ैल रहा है  
आज का अखबार  
और फडफडाती हैं  
उनके पन्नों पर रेंगती लाशें  
उनके शोर में  
सुन नहीं पाता मैं  
अपने विचार  
पर झटकता हूँ मैं इनका खून  
लिखने को एक नयी कविता  

अजान की आवाज़ पर मुस्कुराते हैं जीसस  
और बजने लगती हैं घंटियाँ मंदिरों की मेरे शब्द दबते जा रहे हैं  
इन आवाजों में  
बंद कर लेता हूँ मैं 
अपने कान  
लिखता हूँ एक नयी कविता  

घसीटता हूँ मैं अपने हाथ  
अपनी नयी कलम  
पर हिलते नहीं मेरे हाथ  
एक नयी कविता लिखने को  
मैं काटकर फेंक देता हूँ 
अपने हाथ  
और खरीद लाता हूँ 
नए हाथ  
बाज़ार से  
और लिखता हूँ अपनी नयी कविता जबरन!

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12 कविताप्रेमियों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

good feel

दीपाली का कहना है कि -

मेज़ पर फ़ैल रहा है
आज का अखबार
और फडफडाती हैं
उनके पन्नों पर रेंगती लाशें
उनके शोर में
सुन नहीं पाता मैं
अपने विचार
पर झटकता हूँ मैं इनका खून
लिखने को एक नयी कविता
शुरुवात में कविता बहुत अच्छी है पर अंत की लाइन कुछ विस्मय उत्पन्न करती है...

Anonymous का कहना है कि -

आप की कविता बहुत कुछ कहती है .आज के हालत ,दर्द सब कुछ मुझे तो बहुत अच्छी लगी
सादर
रचना

शोभा का कहना है कि -

मेज़ पर फ़ैल रहा है
आज का अखबार
और फडफडाती हैं
उनके पन्नों पर रेंगती लाशें
उनके शोर में
सुन नहीं पाता मैं
अपने विचार
वाह! बहुत सुंदर लिखा है.

तपन शर्मा Tapan Sharma का कहना है कि -

ये पंक्तियाँ अच्छी लगीं:
मेज़ पर फ़ैल रहा है
आज का अखबार
और फडफडाती हैं
उनके पन्नों पर रेंगती लाशें
उनके शोर में
सुन नहीं पाता मैं
अपने विचार
पर झटकता हूँ मैं इनका खून
लिखने को एक नयी कविता ...

Sajeev का कहना है कि -

अजान की आवाज़ पर मुस्कुराते हैं जीसस
और बजने लगती हैं घंटियाँ मंदिरों की मेरे शब्द दबते जा रहे हैं
पावस इन्ही दबे शब्दों से निकलेगी वो कविता भी जो इन अखबार के पन्नों सी स्याह नही होगी

anuradha srivastav का कहना है कि -

अन्तर्मन की छटपटाहट का सही चित्रण किया........

Anonymous का कहना है कि -

sundar..........
alok singh "sahil"

makrand का कहना है कि -

नए हाथ
बाज़ार से
और लिखता हूँ अपनी नयी कविता जबरन!

good way to say
were to stay
regards

Nikhil का कहना है कि -

रेनोल्ड्स की कलम से कविता शुरू की है.....लगता है किसी पिछले ज़माने की कविता लिखी जा रही हो....कविता मुकम्मल होते-होते रह गई....ऐसा लग रहा है कि कवि ने कई विचार इकट्ठे कर राखी थे, पर उन सबको एक कॉमन बिन्दु पर नहीं पहुंचा पाया....बहुत दिनों बाद आपकी कविता आई, इस कोशिश की पूरी सराहना की जानी चाहिए....

Unknown का कहना है कि -

पहली बार पढने मे कविता समझ नही आयी थी
पर जब दुबारा पढा तो अर्थ समझ आया

पढकर अच्छा लगा

सुमित भारद्वाज

प्रशांत मलिक का कहना है कि -

गुड

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