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Saturday, May 19, 2007

आखरी मुलाकात



doddano kaaji..., originally uploaded by ahskad.

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आज
आखरी बार मिलने आई हूँ
हमारी दोस्ती की हर याद मैं
तुम्हे सुनाने साथ लाई हूँ
आज
आखरी बार मिलने आई हूँ

हाँ रे!
सबसे छुपाकर चोरी चोरी
आई जैसे खिंच रहा हो
कोई मेरे मन की डोरी
हाँ रे!
सबसे छुपाकर चोरी चोरी

इसके बाद...
नहीं आ पाऊंगी
गृहस्थी की धारा में
जब उलझती चली जाऊंगी
इसके बाद...
नही आ पाउंगी

सहेली को
याद करोगे ना?
बिच बिच में मन करने पर
मुझसे आकर मिलोगे ना?
सहेली को
याद करोगे ना?

ये शादी का कार्ड
जरूर आना!
चार दिनों बाद "तुम्हारी" पत्नी हो जाउंगी
तब सहेली को भूल ना जाना
ये शादी का कार्ड
जरूर आना!

तुषार जोशी, नागपुर


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25 कविताप्रेमियों का कहना है :

ghughutibasuti का कहना है कि -

वाह ! कविता को क्या मोड़ दिया है ! बहुत अच्छी लगी ।
घुघूती बासूती

सुनीता शानू का कहना है कि -

तुषार भाई सुंदर कविता है,..प्रेयसी संग विवाह,..क्या खूब,..बेहतर तरीके से व्यक्त किया है...बधाई!
सुनीता(शानू)

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत ही सुंदर और नये एहसासो को जागती ही तुषार जी आपकी यह रचना..
इसका अंत दिल को छू गया ...बधाई

Tushar Joshi का कहना है कि -

धन्यवाद आप सभी को।

आपको मेरी कविता का अंत पसंद आया इस बात की मुझे खुशी है। प्रेम विवाह के बाद कभी ऐसा भी होता है के पति पत्नी इतने गृहस्थि में खो जाते हैं के भूल जाते है वें कभी अच्छे दोस्त भी थें, इस बात का मुझे मलाल भी है।

आपकी टीप्पणीयाँ बतातीं हैं के मेरी बात आप लोगों तक सही तरह से पहुँच गई। कविता का इससे बडा भाग्य क्या हो सकता है?

शुक्रिया!

तुषार जोशी, नागपुर

niru (सुरुचि नाईक,नागपूर) का कहना है कि -

तुषार जी, आपकी यह रचना दिल को छू जाने वाली है! यह एक ऐसी भावना है जिसे हर एक प्रेयसी जो पत्नी बनने जा रही हो,निश्चीत ही अनुभव करती है!
शादी के बाद की जिम्मेदारी मे खोकर भी वह पत्नी अंदर की प्रेयसी को खोना नही चाहती, क्युकी यही दोस्ती का रिश्ता शादी के नये रिश्ते को धृढता से बांधे रहने मे सहकार्य करता है..

तुषार जी, वास्तविकता मे देखा जाये तो यह बहोत कम ही दिखायी देता है की ऐसे दोस्त शादी के बाद भी दोस्त ही बने रहे हो.
आपकी यह कविता ऐसी दोस्ती बनाये रखने मे कामयाब हो यही सदिच्छा...
निरु(सुरुचि)

आशीष "अंशुमाली" का कहना है कि -

कविता में जो प्‍यार की छौंक है, वह कुछ अलग है।

Mohinder56 का कहना है कि -

सुन्दर है
अरे वाह भाई जी, प्रेयसी को ही पत्नी बना लिया.. कुछ तो रोमाँच बचा के रखना था आगे आने वाले समय के लिये.....वैसे आप ने अन्त मेँ पाठको को ग्राऊँड जीरो पर ला खडा किया.

गौरव सोलंकी का कहना है कि -

नए भाव हैं परंतु कविता औसत ही है.ऐसा लगता है कि सिर्फ एक पंक्ति को बढ़ाकर कविता बना दिया गया है.
अच्छा प्रयास है.और बेहतर की प्रतीक्षा में.
गौरव

Tushar Joshi का कहना है कि -

गौरव भाई जी,

अभी तो मैने शुरुआत की है हिन्दी कविताओं के सफर की। अब तक तो लोग मेरी रचनाओं को कविता तक मानने को तैयार नहीं थें। आपने औसत कविता कहकर मेरा हौसला बढा दिया है। निश्चित ही मै आगे बढ़ता रहूँगा।

जैसे जैसे मै जीवन की गहराईयाँ समझने लगुंगा शायद मेरी कविताएँ भी गहरी होती जायेंगी। आपने कविता पढ़ी उसे औसत समझा फिर भी प्रतिक्रिया प्रेषित की इस बात के लिये मै सदैव आभारी रहूँगा। इससे मुझे रुकना नहीं है बढ़ते रहना है इस बात की प्रेरणा मिलती है।

आपका, तुषार जोशी, नागपुर

देवेश वशिष्ठ ' खबरी ' का कहना है कि -

बहुत बढिया तुषार जी,
खूबसूरत मोढ दिया है।
एसा ही कुछ मैंने भी लिखा था।

तू मुझको कुछ थी,
मैं कुछ तुझको,
सब कुछ बनने से पहले।
चल यार आज बेबात हसें,
कोई बात चले इससे पहले।।

उन नाजुक लम्हों का मोल ही नहीं होता।

Janmejay का कहना है कि -

नमस्कार तुषार जी़!
नारी-मन को क्या खूब पढा है आपने! अक्सर परिवार के चक्कर में प्यार कहीं छूट जाता है... आपने इस भाव को बडे प्यारे शब्दों में प्रस्तुत किया है।

धन्यवाद़!

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

तुषार जी.

मैं हमेशा से मानता हूँ कि सरल लिखना एक कठिन काम है, जो सरलता आपकी कविताओं में होती है वह अनुकरणीय है।

इस कविता का अंत बहुत प्रभावी बन पडा है।

"ये शादी का कार्ड
जरूर आना!
चार दिनों बाद "तुम्हारी" पत्नी हो जाउंगी
तब सहेली को भूल ना जाना
ये शादी का कार्ड
जरूर आना!"

मन की कई परतों को स्पर्श कर गयी आपकी यह कविता।

*** राजीव रंजन प्रसाद

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

प्रेयसी की अंतिम मुलाक़ात के समय यह मनोदशा हो सकती है। इस बात के लिए हमलोग आपकी हमेशा सराहना करते रहे हैं कि आप बहुत सरल शब्दों में भावों को संप्रेषित करते हैं। इस बार फ़िर सफल हुए हैं।

गौरव सोलंकी जी की सलाह पर ध्यान दीजिएगा।

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

एक बेहतरीन रचना है ।बधाई।

Anonymous का कहना है कि -

तुषारजी,

कविता में आप अपनी बात जिस सरलता से रख देते है, मैं उसका कायल हूँ। कविता के अंत में आपने इसको बहुत ही खूबसूरत मोड दिया है।

मजा आया पढ़कर, बधाई!!!

विश्व दीपक का कहना है कि -

शादी का कार्ड
जरूर आना!
चार दिनों बाद "तुम्हारी" पत्नी हो जाउंगी
तब सहेली को भूल ना जाना
ये शादी का कार्ड
जरूर आना।

कविता को क्या मोड़ दिया है आपने, मन प्रसन्न हो गया। एक नया रूप दिया है इसे।
बस लिखते रहें , प्रवाह खुद-बखुद आ जाएगा।
बधाई स्वीकारें।

Anonymous का कहना है कि -

haan kuch nayaa pann hai kavityaa mein ...

ek dam alag hai :)

SahityaShilpi का कहना है कि -

वाह तुषार जी। बहुत सुंदर सोच और बेहतरीन प्रस्तुति। बधाई।

Unknown का कहना है कि -

Samajhane mein time laga...
Lekin Majaa Aa gaya!!

Unknown का कहना है कि -

Maja aa gaya..!
Shayad kavita kar na paun..
lekin padhne ki to Latt lagegi aisa lag rah hain.

Saurabh का कहना है कि -

bahut dinon ke baad aap se mukhaatib ho rahaa hoon. so, sabse pahle kshamaa yaachanaa.

kavita kaa praaroop sundar ban paDaa ha.
mujhse pahle kayee sudhee paaThakon ke comments aa chuke hain ataH vishesha kahne kee aawashyakataa maheen rah jaatee.

ek anurodh awashya hai.. aap aksharee (spelings) par awashya dhyaan den..
likhit samvaad ke sandarbh mein iskee upyogitaa bahut baDh jaatee hai.
vishwaas hai.. meraa anurodh awashya bahuddeshya ko ingit kartaa huaa prateet hogaa.

Saurabh Pandey

Anonymous का कहना है कि -

बहुत ही beahatarin. maja आ गया. शुरू मैं to मैं डर गया पर जब अन्तिम panktiyan padhin to..............
हा aha हा हा..........
मस्त
alok singh "sahil"

Unknown का कहना है कि -

wow..chaan kavita..end mast ahe..
kasa kay jamta bua tumhala?

Dr.Gyan Prakash Chaubey का कहना है कि -

jabse tujhko jana hai
tera sapno me aana hai
teri baten teri sanse
khusbu ka tana bana hai
do pal tere sath rha
baki sab begana hai
aana tulsi chubare par
sath me diye jalana hai
.....achchhi kavita hai sriman

raybanoutlet001 का कहना है कि -

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