tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post998964563018017829..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: दोहा गाथा सनातन: 37 सरसी में है सरसताशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13429617158983741462009-10-19T09:16:34.905+05:302009-10-19T09:16:34.905+05:30आचार्य जी को दिवाली की हार्दिक बधाई.आचार्य जी को दिवाली की हार्दिक बधाई.Shamikh Farazhttps://www.blogger.com/profile/11293266231977127796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78873233941168279422009-10-10T14:09:01.757+05:302009-10-10T14:09:01.757+05:30गुरु जी,
एक और 'मात्रिक' सरसी छंद लिखकर प्...गुरु जी,<br />एक और 'मात्रिक' सरसी छंद लिखकर प्रस्तुत है:<br /><br />सलिल पियन को हम-सब तरसत, महिमा का ना छोर <br />सलिल बिना जीवन नहीं और, त्राहि मचे सब ओर.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-6239877699546335722009-10-10T01:19:00.637+05:302009-10-10T01:19:00.637+05:30प्रणाम! गुरु जी,
सरसी के दो दोहे और लिखे हैं :
१...प्रणाम! गुरु जी, <br />सरसी के दो दोहे और लिखे हैं :<br /><br />१. 'मात्रिक' सरसी छंद<br /><br />रोम-रोम पुलकित सा मेरा, ह्रदय कहे आभार<br />पढ़कर वचन मैं आपके इन, वचनों पर बलिहार. <br /> <br />२. 'वर्णिक' सरसी छंद <br /><br />शब्द - चयन से गात बना, और पड़ी भाव से जान <br />इस सरसी की तब रचना हुयी, है मिला गुरु से ज्ञान.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-85102030351169389052009-10-09T21:22:58.340+05:302009-10-09T21:22:58.340+05:30शन्नो जी के संग अजित जी, सरसी रचतीं आज.
बहुत बधाई ...शन्नो जी के संग अजित जी, सरसी रचतीं आज.<br />बहुत बधाई है दोनों को, सधा सृजन शुभ काज.. <br /><br />सरसी बरसी पावस जैसे, आनंदित मन-प्राण.<br />'सलिल' संग पाषाण हो गए, पल में मिल सम्प्राण..दिव्य नर्मदा divya narmadahttps://www.blogger.com/profile/17701696754825195443noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-22961826813555429962009-10-09T09:37:54.781+05:302009-10-09T09:37:54.781+05:30आचार्य जी
दो सरसी मात्रिक छंद प्रस्तुत हैं।
दीव...आचार्य जी <br />दो सरसी मात्रिक छंद प्रस्तुत हैं।<br /><br />दीवाली तो पास आ रही, घर में ना है धान <br />सूख गयी है खेती बाडी, बची हुई बस जान। <br /><br />कौन राम तुम कब आओगे, रावण चारो धाम <br />दीप आस का आंगन धर के, ढूंढू अपने गाम।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48323939042983571292009-10-09T03:15:06.720+05:302009-10-09T03:15:06.720+05:30गुरु जी,
प्रणाम!
आज मैं ४ वर्णिक सरसी छंद लिखकर ला...गुरु जी,<br />प्रणाम!<br />आज मैं ४ वर्णिक सरसी छंद लिखकर लाई हूँ जिन्हें कक्षा में अब प्रस्तुत कर रही हूँ: <br /><br />गैरों से तो बस गैरत मिले, और अपनों में छिड़े जंग<br />कभी - कभी कुछ रिश्ते भी, कर देते हैं सबको तंग. <br /><br />पीर दांत में जब उठी, दूभर हो गये दो कौर<br />जब काया ना हो आपे में, तो सूझे ना कुछ और. <br /><br />फूल-पात सब बहते हैं इसमें, और कंकर पत्थर से टकराती <br />बहती रहे अनवरत पल-पल, नदिया कल-कल शोर मचाती. <br /><br />सूरज की किरणें उतरें भू पर, तो स्वर्ण रंग सा बन जातीं <br />फ़ैल नर्मदा के आँचल पर, वह अपनी आभा बिखरातीं.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67416209152732906392009-10-08T23:26:06.458+05:302009-10-08T23:26:06.458+05:30अजित जी,
बहुत धन्यबाद की आपने मेरे दोहों को सराहा,...अजित जी,<br />बहुत धन्यबाद की आपने मेरे दोहों को सराहा, और मेरा हौसला बढ़ाया. और फिर आप कहाँ और किससे कम हैं जी? इतने अच्छे-अच्छे दोहे लिखे हैं आपने तो पहले और फिर करेंगी. आपको कक्षा में देखकर बहुत अच्छा लगता है. पर हमारे और साथी कहाँ गुम हो जाते हैं अचानक कभी-कभी? <br />और अभी तो गुरु जी के फैसले का भी इंतज़ार है बेसब्री से अपने दोहों के बारे में.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-76007170711824412292009-10-08T17:52:20.725+05:302009-10-08T17:52:20.725+05:30व़ाह शन्नो जी, कमाल कर दिया। अब तो आप निपुण हो गय...व़ाह शन्नो जी, कमाल कर दिया। अब तो आप निपुण हो गयी है, बहुत ही श्रेष्ठ सरसी दोहों के लिए बधाई। गुरुजी मैं भी कक्षा में कुछ देर से आयी हूँ, इसलिए कुछ छूट चाहिए। बस एकाध दिन में दोहा प्रस्तुत करने का प्रयास करूंगी।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66872091018715940302009-10-08T15:32:20.309+05:302009-10-08T15:32:20.309+05:30गुरुदेव
सादर प्रणाम!
कक्षा का अपना कुछ गृह-कार्य क...गुरुदेव<br />सादर प्रणाम!<br />कक्षा का अपना कुछ गृह-कार्य कर लिया है मैनें. लेकिन यह चारों दोहे सरसी के मात्रिक छंद में लिखे हैं.<br /><br />अविरल, सरस नर्मदा लेती, सबके पाप समेट <br />इसके जल से सींचें फसलें, भरती सबके पेट. <br /><br />जल-तरंग में भरा हुआ है, जीवन का आभास <br />जीवन-मरण दोनों जगत में, हैं आवास-प्रवास.<br /><br />बहुत धन्य है जीवन उनका, जो रहते हैं पास<br />तट पर करता बैठ मनन जो, जीवन आये रास. <br /><br />आँचल फैला बहती जाती, चलता रहे प्रवाह <br />वेगवती सलिला के आगे, नत हो जाती राह.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39451431298481036732009-10-07T23:16:56.656+05:302009-10-07T23:16:56.656+05:30दोहे और उसके विविधता के बारें में बहुत ही सुंदर जा...दोहे और उसके विविधता के बारें में बहुत ही सुंदर जानकारी जो अत्यन्त रोचक और ज्ञानवर्धक है साथ ही साथ बीच बीच में जो उदाहरण हैं वो बहुत ही बढ़िया, बार बार पठनीय है आचार्य जी को बहुत बहुत धन्यवाद जिनके सराहनीय प्रयास से हमें ऐसे अमूल्य जानकारी मिल पाती है..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.com