tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post9099963551704797067..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: 'भूख' की परिभाषाएँशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83006216339097184352007-09-10T12:07:00.000+05:302007-09-10T12:07:00.000+05:30भूख की परिभाषा को विस्तार देती हुई सुन्दर कविता है...भूख की परिभाषा को विस्तार देती हुई सुन्दर कविता है... इस कल्पना को वही जी सकता है जिसने इसे करीब से देखा हो.....बधायी.Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-40763984514155249312007-09-07T21:59:00.000+05:302007-09-07T21:59:00.000+05:30पंकज जी,मुझे कविता बहुत पसन्द आई। जब चाँद में रोटी...पंकज जी,<BR/>मुझे कविता बहुत पसन्द आई। <BR/>जब चाँद में रोटी दिखती है<BR/><BR/>जब हांडी में चम्मच घुमाने का कौशल दिखलाया जाता है<BR/>जब चूल्हे की आँच से बच्चों का दिल बहलाया जाता है<BR/>जब माँ बच्चों की कहानी सुना, फुसलाती है<BR/>जब सेहत की बातें बता ज़्यादा पानी पिलवाती है<BR/><BR/>जब पेट का आकार बड़ा सा लगता है<BR/>जब इंसान भगवान पर दोष मढ़ता है<BR/>जब भरी हुई थाली महबूबा लगती है<BR/>जब महबूबा सुंदर कम स्वादिष्ट ज़्यादा दिखती है<BR/><BR/>जब एक टुकड़ा ज़िंदगी पर भारी लगता है<BR/><BR/>आपके काव्य को नमन।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60201711061774484252007-09-07T14:46:00.000+05:302007-09-07T14:46:00.000+05:30जब हांडी में चम्मच घुमाने का कौशल दिखलाया जाता हैज...जब हांडी में चम्मच घुमाने का कौशल दिखलाया जाता है<BR/>जब चूल्हे की आँच से बच्चों का दिल बहलाया जाता है<BR/>जब माँ बच्चों की कहानी सुना, फुसलाती है<BR/>जब सेहत की बातें बता ज़्यादा पानी पिलवाती है<BR/>जब रोटी की बातें ही आनंदित कर जाती हैं<BR/>तब दिल से एक हूक उठती है<BR/>भूख ऐसी ही होती है<BR/>भूख ऐसी ही होती है<BR/><BR/>जी हाँ भूख ऐसी ही होती है... मार्मिक वर्णन है... आँसु आ गये पढ कर।गरिमाhttps://www.blogger.com/profile/12713507798975161901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39760390821301631822007-09-07T11:54:00.000+05:302007-09-07T11:54:00.000+05:30पंकज जी "सम्वेदना "विषय पर आपकी रचना ने अत्यन्त प्...पंकज जी "सम्वेदना "विषय पर आपकी रचना ने अत्यन्त प्रभावित किया था ।लेकिन इसने दिल को छु लिया भूख का इतना सम्वेदनशील,सटीक और सजीव चित्रण ..... काबिले तारीफ है । बधाई !!!!anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28627595299256428562007-09-07T11:20:00.000+05:302007-09-07T11:20:00.000+05:30कविता भूख को विस्तार तो देती है, मगर प्रवाह नहीं र...कविता भूख को विस्तार तो देती है, मगर प्रवाह नहीं रख पाती। कोई छंद किसी गति तो कोई छंद किसी गति से आगे बढ़ती है। मेरे विचार से इसे अतुकांत लिखा जाता तो और प्रभावी होती। फ़िर भी आपमें दम तो है ही। अगली बार के लिए शुभकामनाएँ।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50206099192573557142007-09-07T10:17:00.000+05:302007-09-07T10:17:00.000+05:30पंकज जी!अच्छी कविता है. माननीय निर्णायकों की सम्मत...पंकज जी!<BR/>अच्छी कविता है. माननीय निर्णायकों की सम्मति पर ध्यान दीजियेगा.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79633846138801441242007-09-07T10:04:00.000+05:302007-09-07T10:04:00.000+05:30अच्छी कविता पंकज जीबधाई ...अच्छी कविता पंकज जी<BR/><BR/>बधाई ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-74853220746764771922007-09-07T09:47:00.000+05:302007-09-07T09:47:00.000+05:30पंकज जी,एक अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।*** ...पंकज जी,<BR/><BR/>एक अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87737534340603844632007-09-06T20:42:00.000+05:302007-09-06T20:42:00.000+05:30पंकज जी,बहुत सुन्दर भाव हैं। एक संपूर्ण कविता के ल...पंकज जी,<BR/>बहुत सुन्दर भाव हैं। एक संपूर्ण कविता के लिए बधाई।<BR/><BR/>जब कलम चलाने वाला बार-बार दाल-चावल लिखता है<BR/>जब एक वक़्त की खातिर जिगर का टुकड़ा बिकता है<BR/><BR/>जब भरी हुई थाली महबूबा लगती है<BR/>जब महबूबा सुंदर कम स्वादिष्ट ज़्यादा दिखती है<BR/>तब दिल से एक हूक उठती है<BR/>भूख ऐसी ही होती है<BR/>भूख ऐसी ही होती है<BR/><BR/>आपकी सृजन-शक्ति लाजवाब है। उम्मीदें बढ़ गईं हैं।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-92194408166172989552007-09-06T19:43:00.000+05:302007-09-06T19:43:00.000+05:30ek ghazal yaad ho aayi-bhukhe bachon ki tasalli ke...ek ghazal yaad ho aayi-<BR/>bhukhe bachon ki tasalli ke liye<BR/>maa ne fir paani pakaya der tak,<BR/>pankaj aapne do jagah awaaz aur baki sab jagah hook shabd ka istemaal kiya hai kya yah tankan ki galti hai ya jaan kar kiya prayog haiSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64665328008068875252007-09-06T15:21:00.000+05:302007-09-06T15:21:00.000+05:30पंकज जीअच्छी कविता है । समाज की विषमता का यथार्थ व...पंकज जी<BR/>अच्छी कविता है । समाज की विषमता का यथार्थ वर्णन किया गया है । <BR/>भाव और भाषा दोनो ही सुन्दर हैं । समाज के प्रति जो जागरूक है वही<BR/>सच्चा कवि है । बधाई स्वीकारें ।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.com