tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post8928719924363093803..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: तेरी वो सहेली कहती हैशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35880222810943534442013-02-14T20:38:52.756+05:302013-02-14T20:38:52.756+05:30अत्यन्त खूबसूरत और अंता:मन पर अंकित होने वाली कवित...अत्यन्त खूबसूरत और अंता:मन पर अंकित होने वाली कविता है।<br />अपने ब्लॉग का भी लिकं प्रस्तुत कर रहा हूँ। आपके आगमन की सुभेच्छा के साथ, साभार।<br />http://kavya-srijan.blogspot.in/Shwet...https://www.blogger.com/profile/10247071055950106440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16768420170453347172010-02-14T22:07:20.236+05:302010-02-14T22:07:20.236+05:30kal phir mujhe tum raah main mil gaye aise
jaise m...kal phir mujhe tum raah main mil gaye aise<br />jaise mil jaye koi achhi khabar namumkin<br />us lamhe jo guzra wohi ishq tha shayad<br />warna arse talak aisa asar namumkin<br />Gaurav, koi bhool jaye to aap ki tarah bhoole, warna yaad rakhke jeena to ham bhi seekhe hue hainAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/00780750490184053926noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10408085119840219632009-11-08T00:09:00.798+05:302009-11-08T00:09:00.798+05:30saaagar ke recommdation pe tumhari blog visit ka...saaagar ke recommdation pe tumhari blog visit karne. or usi ka kaha ek shabd duhra raha hoon " ADBHUT ". OR KUCH NAHI <br /> GR8 <br /> KEEP IT UP .<br /> SATYASatya Vyashttps://www.blogger.com/profile/13617417566524777577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-42847577994560473052009-01-22T21:16:00.000+05:302009-01-22T21:16:00.000+05:30भावनाओं की गहरायी और उन से जुड़े हालातों का अनूठा...भावनाओं की गहरायी और उन से जुड़े हालातों का अनूठा संगम आपकी कविता में जान पड़ा .....बहुत ही मार्मिक कविता .....अच्छी लगी <BR/><BR/>अनिल कान्त <BR/><A HREF="http://www.anilkant.blogspot.com/" REL="nofollow">मेरा अपना जहान </A>अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61908481800148657872008-03-07T14:38:00.000+05:302008-03-07T14:38:00.000+05:30गौरव!साधारण बिंबों का असाधारण प्रयोग जिस तरह से तु...गौरव!<BR/>साधारण बिंबों का असाधारण प्रयोग जिस तरह से तुम करते हो, शायद हीं कोई करता हो।<BR/><BR/>बधाई स्वीकारो।<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51520190287300780572008-03-07T14:09:00.000+05:302008-03-07T14:09:00.000+05:30गौरव जी , "तेरी वो सहेली कहती है" सुन्दर प्रेम कवि...गौरव जी , "तेरी वो सहेली कहती है" सुन्दर प्रेम कविता । आजकल ऐसा प्रेम कम ही दिखता है। <BR/>परंतु सच्चा प्रेम यही है, जो भुलाए नही भुलता।<BR/>बहुत-बहुत बधाई!नंदनhttps://www.blogger.com/profile/11173090288919688079noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-31451572228613095382008-03-07T12:32:00.000+05:302008-03-07T12:32:00.000+05:30कि भीतर कुछ टूटेतो सुनाई न दे छन-छनऔर फिर भीकिसी ए...कि भीतर कुछ टूटे<BR/>तो सुनाई न दे छन-छन<BR/>और फिर भी<BR/>किसी एक क्षण<BR/>मेरी सब कोशिशों को नाकाम करती हुई<BR/>चीरती चली आए तेरी याद !!<BR/>गौरव जी,<BR/>आप अद्भुत प्रतिभा के धनी हैं ! शब्द शिल्पी भी हैं ! किंतु आपको कैसी घाव लगी है, जिसकी पीड़ा आपकी कविताओं में अनवरत प्रवाहित होती रहती है ! अन्यथा न लें तो, लगभग हर रचना का कथ्य एक ही होता है ! प्रबंध काव्य या काव्य श्रृंखला के लिए तो यह प्रयास स्तुत्य है, किंतु पृथक-पृथक रचना की दृष्टि से एकरसता, गौरव सोलंकी से कुछ नए की अपेक्षा रखने वाले पाठकों को थोड़ा मायूस करती है !<BR/>लेकिन, सच कहूँ तो आपकी यह रचना भी पिछली रचनाओं की भांति मुझे बहुत पसंद आयी !करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-43921741822018105222008-03-07T12:30:00.000+05:302008-03-07T12:30:00.000+05:30संवेदनाओं के तुम से चितेरे बिरले ही हैं।*** राजीव ...संवेदनाओं के तुम से चितेरे बिरले ही हैं।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16690923317219983192008-03-07T12:12:00.000+05:302008-03-07T12:12:00.000+05:30मेरी सब कोशिशों को नाकाम करती हुईचीरती चली आए तेरी...मेरी सब कोशिशों को नाकाम करती हुई<BR/>चीरती चली आए तेरी याद<BR/>तो पानी उबालता हूं भगोने में<BR/>और अपने पैरों पर<BR/>उड़ेल लेता हूं।<BR/>मासूम फफोले<BR/>कहाँ कुछ याद रख पाते होंगे फिर....<BR/>सुन,<BR/>तेरी वो सहेली कहती है<BR/>कि भूल जाऊं तुझे<BR/>और मैं उसकी आँखों में आँखें डालकर<BR/>आत्मविश्वास के साथ कहता हूं<BR/>कि भूल चुका हूं। <BR/>"बहुत नाजुक दिल को जक्झोर देने वाली पंक्तियाँ , किसी को भुलाना भी आसान नही होता , भुलाने की नाकाम कोशिश का मार्मिक चित्रण , बहुत अच्छी रचना " <BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16245830079040175562008-03-07T11:35:00.000+05:302008-03-07T11:35:00.000+05:30Its too good, this poem if i said is as powerful a...Its too good, this poem if i said is as powerful as Muktibodhs' poems are.सतपाल ख़यालhttps://www.blogger.com/profile/18211208184259327099noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28325817332674808652008-03-06T20:56:00.000+05:302008-03-06T20:56:00.000+05:30गौरव जी, प्रवाह बहुत अच्छा है। आपकी शैली का कायल ह...गौरव जी, प्रवाह बहुत अच्छा है। आपकी शैली का कायल हुँ।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83942331421186076502008-03-06T20:26:00.000+05:302008-03-06T20:26:00.000+05:30गौरव भाई,एक शब्द में "बेहतरीन" अलोक सिंह "साहिल"गौरव भाई,एक शब्द में "बेहतरीन"<BR/> अलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-42212765907253929032008-03-06T15:22:00.000+05:302008-03-06T15:22:00.000+05:30achchhi haibhulne ke liye insan kya kuchh nahi kar...achchhi hai<BR/>bhulne ke liye insan kya kuchh nahi karta lekin apno ko bhulana itna aasan nahi hota sapno ko dhul me milte dekhkar ka bhi nahi tilmlana itna aasan nahi hota kis ko dil me basakar dil se bahar ka rasta dikhana itna bhi aasan nahi hota<BR/>very good <BR/>lekin dekho pani ko kewal garam kar liya karo ubalne me jayda gas kharch hoti haiUnknownhttps://www.blogger.com/profile/13309757526088875782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27836441437130980752008-03-06T14:00:00.000+05:302008-03-06T14:00:00.000+05:30गौरव जी,तेरी वो सहेली कहती हैमगर हमसे तो तेरी वो श...गौरव जी,<BR/><BR/>तेरी वो सहेली कहती है<BR/>मगर हमसे तो तेरी वो शैली कहती है<BR/>कि भूल जाऊँ..<BR/>और मैं आत्मविश्वास के साथ कह्ता हूँ<BR/>कि भूल चुका हूँ...<BR/><BR/>खुद को तेरी कविता में..भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-22421037431568328772008-03-06T13:59:00.000+05:302008-03-06T13:59:00.000+05:30क्या कहूं क्या न कहूं नि:शब्द हूं आपकी इस रचना के ...क्या कहूं क्या न कहूं नि:शब्द हूं आपकी इस रचना के सामने। पीडा, दर्द, संवेदना, हर भाव की प्रभावी अभिव्यक्ती है......और अल्फ़ाज़ नहीं है मेरे पास इस रचना के समकक्षAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-40402575411977829632008-03-06T12:41:00.000+05:302008-03-06T12:41:00.000+05:30प्रिय गौरव,अब तो हम भी कविता के शीर्षक से तुम्हे प...प्रिय गौरव,<BR/>अब तो हम भी कविता के शीर्षक से तुम्हे पहचानने की कोशिश करने लगे....<BR/>अच्छी कविता।जीतेशhttps://www.blogger.com/profile/04163324037223506807noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30241360154382683342008-03-06T10:34:00.000+05:302008-03-06T10:34:00.000+05:30विषय पुराना है, पर फिर भी तुम उसमे नयापन भरने में ...विषय पुराना है, पर फिर भी तुम उसमे नयापन भरने में कमियाब रहे हो, कविता का प्रवाह बहुत बढ़िया है..... हर चित्र बखूबी उभरकर आता है....Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-52710072486897987292008-03-06T08:11:00.000+05:302008-03-06T08:11:00.000+05:30gaurav...chamgadarhon ki tarah latka hun...maza aa...gaurav...chamgadarhon ki tarah latka hun...maza aa gaya...keep writingdr minoohttps://www.blogger.com/profile/08488251401587589319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-5540663751029519992008-03-06T07:32:00.000+05:302008-03-06T07:32:00.000+05:30अच्छी कविता लिखी है।अच्छी कविता लिखी है।Batangadhttps://www.blogger.com/profile/08704724609304463345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-3914757143621701212008-03-06T04:42:00.000+05:302008-03-06T04:42:00.000+05:30बस क्या लिखूं गौरव जीआप निश्चय ही हिन्दी-युग्म के ...बस क्या लिखूं गौरव जी<BR/>आप निश्चय ही हिन्दी-युग्म के गौरव हैंHariharhttps://www.blogger.com/profile/07513974099414476605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39767404313346930782008-03-06T00:31:00.000+05:302008-03-06T00:31:00.000+05:30गौरव इस बात पर मेरी पंजाबी कविता का अनुवाद सुनोजब ...गौरव इस बात पर मेरी पंजाबी कविता का अनुवाद सुनो<BR/><BR/>जब भी मैं निकलता हूं सफर पर<BR/>याद आता है<BR/>तुम्हारे साथ किया सफर<BR/>फिर सोचता हूं कि<BR/>जिंदगी भी तो है एक सफर<BR/>इस लिए तुम्हें<BR/>कभी न भुला पाता<BR/>मालूम है मुझे<BR/>न आओगी तुम<BR/>न बुलाओगी तुम<BR/>न आना<BR/>न बुलाना<BR/>न याद रखना मुझे<BR/>चाहो तो अपने हाथों से<BR/>विष का प्याला दे देना<BR/>मगर याद रखना<BR/>तुम मुझे<BR/>हर्गिज न कहना<BR/>तुम्हें भूल जाने कोDeep Jagdeephttps://www.blogger.com/profile/14695925764627099199noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-71228899294453252682008-03-05T23:43:00.000+05:302008-03-05T23:43:00.000+05:30गौरव, सब ने बहुत कहा है, अब मुझमें कुछ कहने की गुं...गौरव, सब ने बहुत कहा है, अब मुझमें कुछ कहने की गुंजाइश ही नहीं बची है। बस इतना कहना चाहता हूँ कि ऐसे समय न पोस्ट करें कि दूसरों की नींद खो जाये। मैं आपके कविता लिखने के अंदाज़ का कायल हूँ। कैसे दिन भर में होने वाली अलग अलग क्रियाओं से कविता बना लेना.....हर बार की तरह निस्संदेह एक साँस में पढ़ी जाने वाली कविता। हर सप्ताह आपकी कविता का इंतज़ार रहता है। पिछली बार जो "पी" होती है उसका "नशा" तो उतरता नहीं कि फिर पी लेते हैं। डरता हूँ कि कहीं ओवरडोज़ न हो जाये। पर शायद उस बेहोशी में भी मज़ा है।तपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17120127535621540112008-03-05T23:15:00.000+05:302008-03-05T23:15:00.000+05:30गौरव! श्रीकांत जी की टिप्पणी के बाद कुछ और कहने की...गौरव! श्रीकांत जी की टिप्पणी के बाद कुछ और कहने की सामर्थ्य मुझमें नहीं है, पर पीयूष जी की बात से मेरी भी सहमति है कि यह कविता आपकी पूर्ववर्ती कई रचनाओं के मुकाबले कुछ कमज़ोर है.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36962934086319609202008-03-05T23:12:00.000+05:302008-03-05T23:12:00.000+05:30बहुत सुंदर. कितना सहज ... कितनी सहजता से. जैसे द...बहुत सुंदर. कितना सहज ... कितनी सहजता से. जैसे दिल की बात दिल तक पहुँचती हुई. क्या बात है भाई .. वाह !अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10847600316954908082008-03-05T22:11:00.000+05:302008-03-05T22:11:00.000+05:30गौरवजी कविता का शीर्षक पढ़ते ही समझ गया था कि आप ह...गौरवजी कविता का शीर्षक पढ़ते ही समझ गया था कि आप ही हैं|हमेशा की तरह इस बार भी बहुत अच्छा लिखा आपने |<BR/><BR/>गौरव जी भावों पर आपकी पकड़ अद्भुत है और उन्हें शब्दों में पिरोने की कला भी|पर एक बात जो मुझे हमेशा चुभती है वह यह कि आप सिर्फ़ प्रेम पर लिखा करते हैं |<BR/>प्रेम के सिवा और भी चीज़े हैं ज़माने में! देखिए आपने एक बार क्षणिका में लिखा था कि " तुम्हारा ईश्वर क्या नींद की गोलियाँ लेता है ? "<BR/>यह पंक्ति कई दिनों तक मेरे मस्तिष्क में घूमती रही| <BR/>व्यक्तिगत बात हमेशा सामूहिक बात से कम महत्व की होती है ऐसा मुझे लगता है |<BR/>इस क्षणिका की ही तरह फिर से कुछ जलता हुआ सा आपकी लेखनी से निकलता देखना चाहूँगा !विपुलhttps://www.blogger.com/profile/13962852081810792299noreply@blogger.com