tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post8761239893007940501..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: बेकार की बला !!शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-73602627348362666982008-03-09T01:46:00.000+05:302008-03-09T01:46:00.000+05:30achchi kavitaachchi kavitaAlok Shankarhttps://www.blogger.com/profile/03808522427807918062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1990762052945463392008-03-08T13:22:00.000+05:302008-03-08T13:22:00.000+05:30क्या लेना देना किसी से ?क्यों इन मच्छरों को लाश पर...क्या लेना देना किसी से ?<BR/>क्यों इन मच्छरों को लाश पर से भगाना !<BR/>मुनासिब नहीं दुनियांदारी से बाहर<BR/>कोईं बेकार की बला गले लगाना (??)<BR/><BR/>हरिहर जी, सशक्त रचना।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36962594003750863822008-03-08T10:24:00.000+05:302008-03-08T10:24:00.000+05:30मुनासिब नहीं दुनियांदारी से बाहरकोईं बेकार की बला ...मुनासिब नहीं दुनियांदारी से बाहर<BR/>कोईं बेकार की बला गले लगाना (??)<BR/>वाकई में वर्त्तमान स्थिति को स्पष्ट रूप में प्रदर्शित करने का प्रयाश किया है ....vivek "Ulloo"Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08517005469491054267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62956973716530000382008-03-07T23:12:00.000+05:302008-03-07T23:12:00.000+05:30निर्दयी सांपों की तरह घेरतेतमाशबिनों का नाचरोती चि...निर्दयी सांपों की तरह घेरते<BR/>तमाशबिनों का नाच<BR/>रोती चिल्लाती लज्जा से<BR/>दरिंदे पाते आंच<BR/>बहुत खूबAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51108816976579208022008-03-07T22:02:00.000+05:302008-03-07T22:02:00.000+05:30बेहतरीन रचना है हरिहर जी।एक-एक बिंब मर्मस्पर्शी है...बेहतरीन रचना है हरिहर जी।<BR/><BR/>एक-एक बिंब मर्मस्पर्शी है।<BR/><BR/>बधाई स्वीकारें।<BR/><BR/>-विश्व दीपक ’तन्हा’विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-43253099903683484632008-03-07T19:52:00.000+05:302008-03-07T19:52:00.000+05:30मर्म को भेदती कविता हरिहर जी ....मर्म को भेदती कविता हरिहर जी ....Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-71156372347634730532008-03-07T15:28:00.000+05:302008-03-07T15:28:00.000+05:30सच्चाई को मुखरता से उभर है आपने आलोक सिंह "साहिल"सच्चाई को मुखरता से उभर है आपने<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48233423947780621662008-03-07T12:32:00.000+05:302008-03-07T12:32:00.000+05:30खिलखिलाहट करती प्रेतात्मायें अबमौत का इश्तिहार टां...खिलखिलाहट करती प्रेतात्मायें अब<BR/>मौत का इश्तिहार टांगती<BR/>जीती जागती लाश से<BR/>उसके लहू-मांस का हिसाब मांगती<BR/><BR/>एक सच को बयान करती है आपकी यह रचना अच्छा लगा इसको पढ़ना हरिहर जी !!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39846519539792377662008-03-07T12:08:00.000+05:302008-03-07T12:08:00.000+05:30हरिहर जी, सशक्त बिम्बों का प्रतिबिम्ब लिये हुए ह्र...हरिहर जी,<BR/> सशक्त बिम्बों का प्रतिबिम्ब लिये हुए ह्रदयेभेदी रचना है <BR/><BR/>खिलखिलाहट करती प्रेतात्मायें अब<BR/>मौत का इश्तिहार टांगती<BR/>जीती जागती लाश से<BR/>उसके लहू-मांस का हिसाब मांगती..... <BR/><BR/>इन पंक्तियो ने दिल को झंकझो्र दिया है बधाई होAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15052288561160953842008-03-07T12:05:00.000+05:302008-03-07T12:05:00.000+05:30बहुत खूब हरिहर जी , क्या लेना देना किसी से ?क्यों ...बहुत खूब हरिहर जी , <BR/><BR/>क्या लेना देना किसी से ?<BR/>क्यों इन मच्छरों को लाश पर से भगाना !<BR/>मुनासिब नहीं दुनियांदारी से बाहर<BR/>कोईं बेकार की बला गले लगाना (??)<BR/>अतिसुन्दरanjuhttps://www.blogger.com/profile/05253751080116301279noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34684647487292550822008-03-07T11:51:00.000+05:302008-03-07T11:51:00.000+05:30चोंट के निशान से क्षतविक्षत शरीरअंधियारे ढंक रहे घ...चोंट के निशान से क्षतविक्षत शरीर<BR/>अंधियारे ढंक रहे घाव<BR/>तरस खाकर दुर्गन्ध करती<BR/>शरीफ नजरो से बचाव<BR/><BR/>क्या लेना देना किसी से ?<BR/>क्यों इन मच्छरों को लाश पर से भगाना !<BR/>मुनासिब नहीं दुनियांदारी से बाहर<BR/>कोईं बेकार की बला गले लगाना (??)<BR/>" सही कहा , इन्सानीयत का बहुत मार्मिक और विचित्र चित्रण , कोई किसी की बला लेने को तैयार नही, "<BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70057884259247827852008-03-07T11:45:00.000+05:302008-03-07T11:45:00.000+05:30हरिहर जी,एक पंखुड़ी का आलिंगन करतीभारी भरकम कायालो ...हरिहर जी,<BR/><BR/>एक पंखुड़ी का आलिंगन करती<BR/>भारी भरकम काया<BR/>लो चील ने फैला दिये अपने डैने<BR/>मंडराया अंधियारे का साया<BR/><BR/>निर्दयी सांपों की तरह घेरते<BR/>तमाशबिनों का नाच<BR/>रोती चिल्लाती लज्जा से<BR/>दरिंदे पाते आंच<BR/><BR/>बड़ा ही वीभत्स चित्रण है आपकी रचना मेंभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-20656342406684674052008-03-07T11:04:00.000+05:302008-03-07T11:04:00.000+05:30क्या लेना देना किसी से ?क्यों इन मच्छरों को लाश पर...क्या लेना देना किसी से ?<BR/>क्यों इन मच्छरों को लाश पर से भगाना !<BR/>मुनासिब नहीं दुनियांदारी से बाहर<BR/>कोईं बेकार की बला गले लगाना (??)<BR/><BR/>हरिहर जी, आपकी रचना गहरी चोट करने में सक्षम है। बहुत सशक्त बिम्बों के माध्यम से कही गयी बेहद गंभीर रचना...<BR/><BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79683822681642289452008-03-07T10:34:00.000+05:302008-03-07T10:34:00.000+05:30रचना मेरे लिए नवीन लगी |सुंदर...अवनीश तिवारीरचना मेरे लिए नवीन लगी |<BR/>सुंदर...<BR/><BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83488192412764801742008-03-07T08:22:00.000+05:302008-03-07T08:22:00.000+05:30खिलखिलाहट करती प्रेतात्मायें अबमौत का इश्तिहार टां...खिलखिलाहट करती प्रेतात्मायें अब<BR/>मौत का इश्तिहार टांगती<BR/>जीती जागती लाश से<BR/>उसके लहू-मांस का हिसाब मांगती.....waah harihar ji...bahut khoob...dr minoohttps://www.blogger.com/profile/08488251401587589319noreply@blogger.com