tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post8754245169952788661..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: प्रीत की रीतशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35753723223404625152017-07-17T14:30:15.467+05:302017-07-17T14:30:15.467+05:30ugg boots
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href="http://www.raybanssunglasses.net.co" rel="nofollow"><strong>ray ban sunglasses outlet</strong></a><br />adidas nmdhttps://www.blogger.com/profile/04011849616580010263noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68808353185352420962007-07-12T20:38:00.000+05:302007-07-12T20:38:00.000+05:30बहुत सुन्दर मोहिन्दरजी!भाव जब बहते हैं तो आकार अपन...बहुत सुन्दर मोहिन्दरजी!<BR/><BR/>भाव जब बहते हैं तो आकार अपने आप ले लेते हैं :-)<BR/><BR/>बधाई!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12903018136738780392007-07-12T17:45:00.000+05:302007-07-12T17:45:00.000+05:30राजीव जी, पूर्वा जी, बोधिस्तवा, शोभाजी, बाली जी, द...राजीव जी, पूर्वा जी, बोधिस्तवा, शोभाजी, बाली जी, दिव्यभव जी, यादव जी, शुक्ला जी तथा शानू जी मै आप सभी का आभारी हूं कि आपने मेरी रचना को पढा और उसे पसन्द किया..<BR/>मनीष जी व सौलंकी जी को लगा कि बात को सहज ढंग से मै नहीं कह पाया और शायद लोगो तक पहुचाने में असमर्थ रहा.. उनकी टिप्पणी के बाद मैने पूरी रचना को दोवारा पढा और मुझे लगा कि उसमे एक भी शब्द ऐसा नही है जो कलिष्ट हो और आम आदमी न समझ पाये.. क्या आप किसी शब्द पर उंगली रख कर मुझे बतायेंगे कि कौन सा शब्द कठिन है या जगह पर उचित नही बैठ रहा.<BR/><BR/>शैलेश जी और आलोक शंकर जी को लगा कि कविता ना तुकांत है ना अतुकांत..<BR/>मन के भावो के प्रवाह का अन्त नहीं है ऐसा मेरा मानना है कविता का चाहे अन्त हो जाये... ये कविता मन के भाव हैं<BR/>जिसमें एक स्त्री यह कहना चाह रही है कि उसका रूप, उसका यौवन भी उसके मनमीत को नहीं बांध सका.. उसकी प्यास शान्त नही हुयी.. साथ ही वो कहना चाह रही है कि ये क्षुधा कभी शान्त होने वाली नहीं है...प्यार के एक शब्द और स्नेह के एक स्पर्श में बरसों के यौन सम्बन्धों से ज्यादा आकर्षण हो सकता है..अधिक की इच्छा में मेरा त्याग न करना और शब्दों रूपी बाणे से मेरे प्राण न हर लेना... हो सके तो अन्त तक साथ निभाना.....<BR/>और क्या अन्त हो सकता है एक प्रेयसी के भावों का.. मुझे नहीं मालूम... आप को हो तो बताने का कष्ट करेंMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-89467186692674252612007-07-12T17:00:00.000+05:302007-07-12T17:00:00.000+05:30कविता न तुकान्त है न अतुकांत। जिस तरीके से पढ़ने क...कविता न तुकान्त है न अतुकांत। जिस तरीके से पढ़ने की शुरूआत करते हैं, वो आगे तक कायम नहीं रहता। लिखने के बाद यह देख लेना ज़रूरी है कि आप खुद संतुष्ट हैं या नहीं।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12481041356984490962007-07-12T12:11:00.000+05:302007-07-12T12:11:00.000+05:30क्या बात है मोहिन्दर जी लगता है…प्रेम का बहुत गहरा...क्या बात है मोहिन्दर जी लगता है…प्रेम का बहुत गहरा संदेश देती आपकी ये पक्तियाँ एक स्वस्थ मन और पवित्र तन की परिचायक है,…मुझे बेहद पसंद आया आपका ये अंदाज्…<BR/>प्रीत की रीत भले न निभाओ तुम<BR/>पर प्रीत पर लाँछन न धरना <BR/>जिस से भी बाँधों बँधन प्यार का<BR/>उसी संग जीना उसी संग मरना <BR/>बहुत-बहुत बधाई…<BR/><BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-56984428405857006072007-07-11T16:01:00.000+05:302007-07-11T16:01:00.000+05:30मोहिन्दर जीकविता अच्छी है , पर ध्यान से देखने से प...मोहिन्दर जी<BR/>कविता अच्छी है , पर ध्यान से देखने से पता चलता है कि जो भाव हैं कविता में उनके अनुसार इसकी प्रस्तुति गीत के रूप में होती तो ज्यादा अच्छा होता । <BR/>कविता न तो गीत ही है न ही पूरी तरह अतुकान्त ।<BR/>भावों में परिपक्वता साफ़ झलकती है।<BR/>आलोकAlok Shankarhttps://www.blogger.com/profile/03808522427807918062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34218630129814256942007-07-11T10:21:00.000+05:302007-07-11T10:21:00.000+05:30"शब्द बाण चाहे बाहरी घाव न दें परयदा कदा प्राण भी ..."शब्द बाण चाहे बाहरी घाव न दें पर<BR/>यदा कदा प्राण भी हर लेते है"<BR/><BR/>बहुत गंभीर भाव हैं मोहिन्दर जी, बहुत अच्छा लिखा आपने<BR/>बधाई<BR/><BR/>सस्नेह<BR/>गौरव शुक्लGaurav Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12422162471969001645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18658549079981665902007-07-11T10:05:00.000+05:302007-07-11T10:05:00.000+05:30शब्द बाण चाहे बाहरी घाव न दें परयदा कदा प्राण भी ह...शब्द बाण चाहे बाहरी घाव न दें पर<BR/>यदा कदा प्राण भी हर लेते हैं<BR/><BR/>देरी से टिप्पणी के लिये क्षमाप्रार्थी हूँ, मोहिन्दर भाई. कविता बहुत अच्छी लगी. बधाई.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-6954466019768259552007-07-11T09:45:00.000+05:302007-07-11T09:45:00.000+05:30गहरे भाव और अच्छी कविता, पर साथ ही मैं मनीष जी से ...गहरे भाव और अच्छी कविता, पर साथ ही मैं मनीष जी से भी सहमत हूं कि इस बात को थोड़ा आसान तरीके से कहा जाता तो अधिक लोगों तक पहुंचती।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78691661315843500072007-07-11T09:05:00.000+05:302007-07-11T09:05:00.000+05:30सुंदर रचना है मोहिंदेर जी ...शोभा जी के स्वर से औ...सुंदर रचना है मोहिंदेर जी ...शोभा जी के स्वर से और भी ख़ूबसूरत लगी यह ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39678633595150962482007-07-11T00:37:00.000+05:302007-07-11T00:37:00.000+05:30बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।बधाई\बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है।बधाई\परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-73174731704553210532007-07-11T00:25:00.000+05:302007-07-11T00:25:00.000+05:30प्रीत की यह रीत बहुत शानदार लगी…भावनाएँ आपकी सागर ...प्रीत की यह रीत बहुत शानदार लगी…<BR/>भावनाएँ आपकी सागर से भी विशाल और जल से भी स्पष्ट है…Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50640212285389487862007-07-10T19:55:00.000+05:302007-07-10T19:55:00.000+05:30आपकी कविता बहुत अच्छी लगी । इसे अपना स्वर दिया है ...आपकी कविता बहुत अच्छी लगी । इसे अपना स्वर दिया है ।http://ritbansal.mypodcast.com/index.html plz listen it. thanksशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19407041369394603482007-07-10T19:40:00.000+05:302007-07-10T19:40:00.000+05:30कविता बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण है ।कविता के अन्त...कविता बहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण है ।<BR/>कविता के अन्त में जो बन्धन लगाया गया<BR/>है वो कुछ अखरता है ।मुझे लगता है प्यार<BR/>बन्धन नही प्यार मुक्ती का नाम है । इतनी सुन्दर <BR/>रचना के लिए बधाई ।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30616459757632729122007-07-10T18:41:00.000+05:302007-07-10T18:41:00.000+05:30अच्छी कोशिश है, लगे रहेंप्रीत प्यार पर बात होनी चा...अच्छी कोशिश है, लगे रहें<BR/>प्रीत प्यार पर बात होनी चाहिए।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67236054858791275222007-07-10T16:06:00.000+05:302007-07-10T16:06:00.000+05:30बहुत ही सुंदर लगी मुझे आपकी यह रचना मोहिंदर जी ......बहुत ही सुंदर लगी मुझे आपकी यह रचना मोहिंदर जी ....<BR/><BR/>प्रीत की रीत भले न निभाओ तुम<BR/>पर प्रीत पर लाँछन न धरना<BR/>जिस से भी बाँधों बँधन प्यार का<BR/>उसी संग जीना उसी संग मरना<BR/><BR/>यह पंक्तियाँ सुंदर लगी ..Purvahttps://www.blogger.com/profile/05908011707830615517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47444039952666669682007-07-10T13:31:00.000+05:302007-07-10T13:31:00.000+05:30मोहिन्दर जी कविता तो अच्छी हैपर मुझे लगता है किबात...मोहिन्दर जी कविता तो अच्छी है<BR/>पर मुझे लगता है कि<BR/>बात अगर सहज ढंग से कही जाय<BR/>तो वो लोगों तक जल्दी पहुँचती है।मनीष वंदेमातरम्https://www.blogger.com/profile/10208638360946900025noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-86169151244311396382007-07-10T11:41:00.000+05:302007-07-10T11:41:00.000+05:30कब कहा तुम ने तृप्त हुआ मैंऔर भला कब तुम अमर हो पा...कब कहा तुम ने तृप्त हुआ मैं<BR/>और भला कब तुम अमर हो पाये<BR/><BR/>न प्यास बुझी तुम्हारे अन्तर्मन की<BR/>न तुम्हें यह अपनी कैद में रख पाये<BR/><BR/>शब्द बाण चाहे बाहरी घाव न दें पर<BR/>यदा कदा प्राण भी हर लेते है<BR/><BR/>बहुत गहरा दर्शन डाला है छोटी सी रचना में। आपकी कलम से एक अउर सुन्दर कृति..<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.com