tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post8753369176322807103..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: प्रेमशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17213453045166875322007-04-13T13:41:00.000+05:302007-04-13T13:41:00.000+05:30my words of appreciation can never be as beautiful...my words of appreciation can never be as beautiful as ur poem... couldn't understand the entire literal meaning of the poem but the feelings were definitely conveyed to me... n i guess this is the biggest success of a poet, to convey the meaning to the very soul of the reader... congrats buddy.....PERFECTLY IMPERFECThttps://www.blogger.com/profile/02540428272260704365noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57783887871319236892007-04-13T12:30:00.000+05:302007-04-13T12:30:00.000+05:30प्रेम को परिभाषित करना कभी भी सरल नहीं होता। अतः इ...प्रेम को परिभाषित करना कभी भी सरल नहीं होता। अतः इतने सरल शब्दों में प्रेम के इतने रूपों का प्रस्तुतिकरण निश्चय ही श्रेष्ठ काव्य-रचना का उदाहरण है। इसके लिये वरुण जी को हार्दिक बधाई।SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67230216029458944022007-04-13T11:42:00.000+05:302007-04-13T11:42:00.000+05:30Good poem.keep it up.As they say Entirety of love ...Good poem.keep it up.As they say Entirety of love is in becoming another being loosing your own identity n thats the charm of it.<BR/>Welcome to Hindi-YugmAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32130274505895825592007-04-11T16:08:00.000+05:302007-04-11T16:08:00.000+05:30आप सभी के स्नेह भरे विचार पढ़ कर बहुत अच्छा लग रहा...आप सभी के स्नेह भरे विचार पढ़ कर बहुत अच्छा लग रहा है। आपकी टिप्पणीयों द्वारा मुझे स्वयं को सुधारने और अपनी त्रुटियॉ दोबारा ना दोहराने में सहायता मिलेगी। भविष्य में और टिप्पणीयॉ भी सादर आमंत्रित हैं, धन्यवाद।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11652066976199841053noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51315462534112999752007-04-10T19:27:00.000+05:302007-04-10T19:27:00.000+05:30वरुण बहुत सुन्दर लिखा है,.इतने कम शब्दो में प्रेम ...वरुण बहुत सुन्दर लिखा है,.इतने कम शब्दो में प्रेम की विस्तॄत परिभाषा ,..<BR/>प्रेम नंही गाथा-सागर भर,<BR/>ढाई अक्षर का सुंदर गहना,<BR/>नंही है जिव्हा-मुख का वर्णन,<BR/>प्रेम तो है बस चक्षु से कहना। <BR/>सुनीता (शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53204363067183074632007-04-10T18:02:00.000+05:302007-04-10T18:02:00.000+05:30स्वागतम वरुण जीआपमें अद्वितीय क्षमता एवं विलक्षण प...स्वागतम वरुण जी<BR/><BR/>आपमें अद्वितीय क्षमता एवं विलक्षण प्रतिभा है|<BR/>सभी अनुभवी मित्रों ने जो विचार दिये हैं उन पर ध्यान अवश्य दीजियेगा<BR/>कविता बहुत सुन्दर बन पडी है<BR/><BR/>शुभकामनाये<BR/>सस्नेह<BR/>गौरव शुक्लGaurav Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12422162471969001645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-85388110652685361742007-04-10T14:01:00.000+05:302007-04-10T14:01:00.000+05:30वरुण जी आप का हिन्द युग्म परिवार में हार्दिक स्वाग...वरुण जी आप का हिन्द युग्म परिवार में हार्दिक स्वागत है..कविता सुन्दर है.. और शैलेश जी जैसे शिल्पकार के होते आप व्याकरण व वर्तनी में मनचाही चूक कर सकते हैं....Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68167475359468159242007-04-10T13:16:00.000+05:302007-04-10T13:16:00.000+05:30पीताम्बर और मोर-मुकुट संग,कान्हा नाचे झुन झुन झुन ...पीताम्बर और मोर-मुकुट संग,<BR/>कान्हा नाचे झुन झुन झुन झुन,<BR/>मेघ की भांति ब्रिज में बरसे,<BR/>राधा जी की विरह के आंसु।<BR/><BR/>राधा कृष्ण के प्रेम को सरलता से लफ़्ज़ो में बंधना सरल नही है <BR/>सुंदर प्रयास है आपका ....रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35174822776892020372007-04-10T12:54:00.000+05:302007-04-10T12:54:00.000+05:30वरुण जी स्वागत है आपका युग्म परिवार में। आप बहुत प...वरुण जी स्वागत है आपका युग्म परिवार में। आप बहुत प्रतिभाशाली कवि है। आपकी भाषा पर और भाव पर समान पकड है। यद्यपि गीत में कई जगह शब्दों की पुनरावृत्ति पढते हुए खटकती है। <BR/><BR/>विषेश रूप से ये पंक्तियाँ बहुत सुन्दर बन पडी हैं..<BR/><BR/>पीताम्बर और मोर-मुकुट संग,<BR/>कान्हा नाचे झुन झुन झुन झुन,<BR/>मेघ की भांति ब्रिज में बरसे,<BR/>राधा जी की विरह के आंसु।राजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80972721036696613332007-04-10T00:27:00.000+05:302007-04-10T00:27:00.000+05:30प्रेम की तथाकथित परिभाषाओं को गीत रूप में कहने का ...प्रेम की तथाकथित परिभाषाओं को गीत रूप में कहने का आपका प्रयास प्रसंशनीय है।<BR/><BR/>यद्यपि आपने वादा किया था कि टंकण की गलतियाँ नहीं करेंगे, फ़िर भी मैं आपकी कुछ अशुद्धियों की ओर आपका ध्यान खींचना चाहूँगा-<BR/><BR/>पेड- पेड़<BR/>आंसु- आँसू<BR/>नंही- नहीं<BR/>जिव्हा- जिह्वा<BR/><BR/>कुछ व्याकरण दोष भी हैं, मगर अगली बारशैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-71468648673801402892007-04-09T23:25:00.000+05:302007-04-09T23:25:00.000+05:30यह कविता गलती से यूनिकवि ने एक दिन पहले ही प्रकाशि...यह कविता गलती से यूनिकवि ने एक दिन पहले ही प्रकाशित कर दिये थे, एक टिप्पणी भी आई थी। प्रकाशित कर रहा हूँ।<BR/><BR/><B>टिप्पणीकार-</B> <A HREF="http://www.blogger.com/profile/17276636873316507159" REL="nofollow">महाशक्ति</A><BR/><BR/><B>टिप्पणी-</B> अच्छी कविता बधाई और स्वागत, <BR/><BR/>बहुत ही सुन्दर शब्दों मे राधा कृष्ण के प्रेम को वर्णित किया है।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.com