tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post8635192947076569167..comments2024-03-09T13:57:59.872+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: सठिया गया है देश चलो जश्न मनायेंशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47940663344357612552013-01-10T17:18:27.705+05:302013-01-10T17:18:27.705+05:30देश के हालातों की सच्चाई बयां करती सशक्त कविता...स...देश के हालातों की सच्चाई बयां करती सशक्त कविता...सामी मिले आपको कभी तो आयेगा मेरी भी पोस्ट पर आपका स्वागत है। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-90742257636567693012007-08-19T04:00:00.000+05:302007-08-19T04:00:00.000+05:30राजीव जी,इस गीत में आपने अपने आप को दुहराया है। मै...राजीव जी,<BR/><BR/>इस गीत में आपने अपने आप को दुहराया है। मैंने ग़ौर किया कि आप युवाओं को केवल उनके लड़की पटाने, लड़की घुमाने आदि को टारगेट करते हैं। आपने 'निठारी के मासूम भूतों ने पूछा', 'कलम घसीटों तुम्हें नमन् है' आदि में भी यही बिम्ब अपनाये हैं। आजादी की साठवीं सालगिरह पर भी यदि आपको व्यंग्य करना था तो तमाम विसंगतियों, विडम्बनाओं को सम्मिलित कर सकते थे। लगता है आपने पूरा डाटा खंगाला नहीं।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-43918423024046009032007-08-16T15:42:00.000+05:302007-08-16T15:42:00.000+05:30भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहतेलश्कर के ठिकानों को...भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते<BR/>लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते...<BR/><BR/>...आप हमेशा मुझे प्रभावित करते है.Avanish Gautamhttps://www.blogger.com/profile/03737794502488533991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54689800623842550532007-08-16T10:45:00.000+05:302007-08-16T10:45:00.000+05:30राजीव जी,बहुत विलम्ब हुआ, क्षमाप्रार्थी हूँ"सठिया ...राजीव जी,<BR/>बहुत विलम्ब हुआ, क्षमाप्रार्थी हूँ<BR/><BR/>"सठिया गया है देश चलो जश्न मनायें"<BR/><BR/>बात तो सही है, मैं बार-बार ही कहता हूँ कि आप कवि के रूप में अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाते हैं<BR/>बिल्कुल सटीक बिम्ब कविता को और भी प्रभावी बना देते हैं<BR/><BR/>"बीड़ी जला रहे हैं अपने जिगर से यारों<BR/>ये पूँछ खुदा ने जो सीधी ही नहीं दी है"<BR/>"हम पर जो उठ रहे हैं, वो प्रश्न जलायें"<BR/><BR/>और आपकी यह पंक्तियां कम से कम २ ही मिनट के लिये सही पढने वालों को हिलायेंगी तो हैं ही<BR/><BR/>"आज़ाद का मतलब, सड़कों पे पिघल जाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, बस - रेल जलाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, एक चक्रवात हो लो<BR/>आज़ाद का मतलब है पश्चिम की बात बोलो<BR/>सब रॉक-रोल हो कर चरसो-अफीम में गुम<BR/>हो कर कलर आये, फिर से सलीम में गुम<BR/><BR/>आज़ाद ख्याली हैं, दिल फेंक मवाली हैं<BR/>सपने न हमसे देखो, उम्मीद भाड़ जाये।"<BR/><BR/>"भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते<BR/>लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते<BR/><BR/>तुम अपनी कलम घिस्सो, दीपक ही जलाओ<BR/>वो गीत लिखो जिसको, बहरों को सुनायें<BR/>सठिया गया है देश चलो, जश्न मनाये"<BR/><BR/>सब कुछ कह गये आप इस छोटी सी कविता में<BR/>उत्कृष्ट रचना, प्रेरक काव्य के लिये हार्दिक आभार<BR/><BR/>सस्नेह<BR/>गौरव शुक्लGaurav Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12422162471969001645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36374260539802236562007-08-16T10:25:00.000+05:302007-08-16T10:25:00.000+05:30प्रिय आलोक जी "बीड़ी जला रहे हैं अपने जिगर से यारो...प्रिय आलोक जी <BR/><BR/>"बीड़ी जला रहे हैं अपने जिगर से यारों" इस लिये फ़िल्मी गाने "बीड़ी जलैइले जिगर से पिया" से मिलती है चूंकि उसी गीत का इस्तेमाल् मैंने यहाँ कटाक्ष के लिये किया है। यह डुप्लीकेसी नहीं इंटेंशनली है।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-75645120983888165182007-08-15T13:16:00.000+05:302007-08-15T13:16:00.000+05:30राजीव जी....बहुत बहुत बधाई..रचना समय की माँग के हि...राजीव जी....<BR/>बहुत बहुत बधाई..<BR/>रचना समय की माँग के हिसाब से सटीक बैठी है..<BR/>यथार्थ चित्रण के लिये धन्यबाद..<BR/><BR/>गाँधी की नये फ्रेम में तस्वीर सजायें,<BR/>सठिया गया है देश चलो जश्न मनायें।।<BR/><BR/>आज़ाद का मतलब, सड़कों पे पिघल जाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, बस - रेल जलाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, एक चक्रवात हो लो<BR/>आज़ाद का मतलब है पश्चिम की बात बोलो<BR/><BR/>ले कर कलम खड़ा था, मैं भूमि में गड़ा था<BR/>हँसने लगा वो पागल, जो पास ही खड़ा था<BR/>बोला कि अपने घर को, घर का चराग फूँके<BR/>वो आईने के अक्स पर, हर शख्स आज थूके<BR/>भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते<BR/>लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते...<BR/><BR/><BR/>बेहतरीन रचना....<BR/>वाह.विपिन चौहान "मन"https://www.blogger.com/profile/10541647834836427554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-58544075861289073742007-08-15T11:02:00.000+05:302007-08-15T11:02:00.000+05:30पहला तो शीर्षक़ ही अदभुत आकर्षण रखता है.............पहला तो शीर्षक़ ही अदभुत आकर्षण रखता है............. <BR/>और फिर कविता के लिए क्या कहूँ शब्द नही मिल रहे राजीव जी,,,,,,,,,,,,,,, <BR/>आपके सामने नत मस्तक होने को जी चाहता है<BR/>एक सटीक और अदभुत प्राभवोतपदक कविता......... <BR/><BR/>बिंब ,शिल्प अलंकार और भाव भी अदभुत हैं<BR/>और क्या कहूँ..... <BR/>कुछ पंक्तिया बहुत पसंद आईं सो उल्लेखित कर रहा हूँ.................. <BR/><BR/>हमने भी गिरेबाँ के बटन खोल दिये हैं <BR/>थी शर्म, कबाड़ी ने रद्दी में खरीदी है <BR/>बीड़ी जला रहे हैं अपने जिगर से यारों <BR/>ये पूँछ खुदा ने जो सीधी ही नहीं दी है <BR/>हम अपनी जवानी में वो आग लगाते हैं <BR/>कुत्तों को, सियारों को जो राह दिखाते हैं <BR/> तथा<BR/>आज़ाद का मतलब है, एक चक्रवात हो लो <BR/>आज़ाद का मतलब है पश्चिम की बात बोलो <BR/>सब रॉक-रोल हो कर चरसो-अफीम में गुम <BR/>हो कर कलर आये, फिर से सलीम में गुम <BR/>और<BR/>ले कर कलम खड़ा था, मैं भूमि में गड़ा था <BR/>हँसने लगा वो पागल, जो पास ही खड़ा था <BR/>बोला कि अपने घर को, घर का चराग फूँके <BR/>वो आईने के अक्स पर, हर शख्स आज थूके <BR/>भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते <BR/>लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते <BR/><BR/>आप से और भी इस ही तरह की कविताओं की आशा रखता हूँ क्यूँकी मै छह कर भी हास्य और व्याग्य से ओट प्रोत कविता नही लिख पाता<BR/>आप के व्याग्य हँसते तो है ही और युवाओं पर उंगलियाँ भी खड़ी करते हैं<BR/><BR/>धन्यवाद एवं शुभकामनाएँAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24174372118446299292007-08-15T02:22:00.000+05:302007-08-15T02:22:00.000+05:30भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहतेलश्कर के ठिकानों को...भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते<BR/>लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते<BR/><BR/>Ashcharya hai ki fir bhi hum jashn-ae-azaadi, har saal ki tarah manayenge.<BR/><BR/>badhaiyyan mere bachpan ke mitra.<BR/><BR/>Roopesh SinghareAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-8773967191251197622007-08-15T01:03:00.000+05:302007-08-15T01:03:00.000+05:30समसामयिक विषय पर लिखी गई कविता नहीं कहूँगा मै, यह ...समसामयिक विषय पर लिखी गई कविता नहीं कहूँगा मै, यह तो न जाने कितने समय से चली आ रही कुरीतियों पर लिखी गई कविता है। आपने सही लिखा है कि हमें स्वतंत्रता का मोल समझना होगा। जिस तरह से आज के युवा अपना दायित्व भूलते जा रहे है, वह दिन दूर नहीं जान पड़ता है जब देश फिर से गुलामी की राह चल पड़ेगा। राजीव जी आपसे स्वतंत्रता दिवस पर ऎसी हीं रचना की उम्मीद थी । <BR/><BR/>गाँधी की नये फ्रेम में तस्वीर सजायें,<BR/>सठिया गया है देश चलो जश्न मनायें।।<BR/><BR/>आज़ाद का मतलब, सड़कों पे पिघल जाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, बस - रेल जलाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, एक चक्रवात हो लो<BR/>आज़ाद का मतलब है पश्चिम की बात बोलो<BR/><BR/>ले कर कलम खड़ा था, मैं भूमि में गड़ा था<BR/>हँसने लगा वो पागल, जो पास ही खड़ा था<BR/>बोला कि अपने घर को, घर का चराग फूँके<BR/>वो आईने के अक्स पर, हर शख्स आज थूके<BR/>भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते<BR/>लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते<BR/><BR/>दिल दहला देती हैं ये पंक्तियाँ। एक ओजपूर्ण और संदेशप्रद कविता के लिए बधाई स्वीकारें।विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-14297655967165019152007-08-14T20:23:00.000+05:302007-08-14T20:23:00.000+05:30कविता जोशीली है और कविता के रूप में भी सुन्दर है। ...कविता जोशीली है और कविता के रूप में भी सुन्दर है। कल से मेरे मन में भी कुछ ऐसा ही लिखने का जज़्बा आ रहा था, लेकिन अब तक तो कुछ लिख नहीं पाया।<BR/>और आपको पढ़ने पर तो मज़ा आ ही जाता है। जो जहाँ कहना होता है, आप बिल्कुल वहीं और पूरे स्पष्ट होकर कहते हैं। <BR/>कभी कभी लगा कि जैसे आप स्वयं को दोहरा सा रहे हैं, लेकिन यह बात मैं positively कह रहा हूँ। यह दोहराव भी आवश्यक और सुखद होता है। <BR/>भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते<BR/>लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते<BR/>बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं ये..इन्हें रचने पर अतिरिक्त बधाई।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18519115609100041042007-08-14T20:05:00.000+05:302007-08-14T20:05:00.000+05:30राजीव जी गाँधी की नये फ्रेम में तस्वीर सजायें,सठिय...राजीव जी <BR/>गाँधी की नये फ्रेम में तस्वीर सजायें,<BR/>सठिया गया है देश चलो जश्न मनायें।।<BR/><BR/>बहुत अच्छी शुरुआत है ।और आपने पहली ही दो लाइनों में आधी बात कह डाली ।<BR/><BR/>"बीड़ी जला रहे हैं अपने जिगर से यारों" यह फ़िल्मी "गाने बीड़ी जलैइले जिगर से पिया" से मिलती है ।<BR/>"आज़ाद का मतलब, सड़कों पे पिघल जाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, बस - रेल जलाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, एक चक्रवात हो लो<BR/>आज़ाद का मतलब है पश्चिम की बात बोलो"<BR/>काफ़ी गहरा प्रहार और कथन में नवीनता । आपका ट्रेड्मार्क ।<BR/><BR/>"तुम अपनी कलम घिस्सो, दीपक ही जलाओ"<BR/><BR/>यह आपकि ही कविता कलम घसीटों से मिलती लगी ।<BR/>पर आपने जो लिखा है और जो भाव डाले हैं उसके बारे में हरेक भारतवासी को आत्मावलोकन करने की जरुरत है ।Alok Shankarhttps://www.blogger.com/profile/03808522427807918062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66103072915042723892007-08-14T19:12:00.000+05:302007-08-14T19:12:00.000+05:30मित्र राजीव,कविता हमेशा की तरह अच्छी है।रिपुदमनमित्र राजीव,<BR/><BR/>कविता हमेशा की तरह अच्छी है।<BR/><BR/>रिपुदमनAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-3722459159205157152007-08-14T16:47:00.000+05:302007-08-14T16:47:00.000+05:30बहुत खूब राजीव जी!आज़ादी वास्तव में अभी पूरी तरह नह...बहुत खूब राजीव जी!<BR/>आज़ादी वास्तव में अभी पूरी तरह नहीं आ पायी है और इसकी सबसे बड़ी वज़ह शायद लोगों द्वारा आज़ादी का गलत अर्थ लगा लेना ही है. आज अधिकतर लोग अपने निज़ी स्वार्थों तथा तात्कालिक मौज़मस्ती के लिये आज़ादी के नाम का दुरुपयोग करते नज़र आते हैं. और ऐसे ही लोगों के कारण वास्तविक आज़ादी आज भी हमसे दूर है. आपने अपनी कविता में ऐसे कई सवालों को आवाज़ दी है. धन्यवाद!SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68787126768771328272007-08-14T16:41:00.000+05:302007-08-14T16:41:00.000+05:30Desh Prem ka jazbaa koot koot kar bhara hai kavita...Desh Prem ka jazbaa koot koot kar bhara hai kavita me....aachi likhi hai......good points are picked up...aap ko swatantra diwas ki shubh kaamnaayen...Jai HindAnupamahttps://www.blogger.com/profile/12917377161456641316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49161087593697905702007-08-14T15:50:00.000+05:302007-08-14T15:50:00.000+05:30राजीव जीबहुत ही सुन्दर कविता है । देख रही हूँ हमार...राजीव जी<BR/>बहुत ही सुन्दर कविता है । देख रही हूँ हमारे सभी कवि मित्र <BR/>प्रासंगिक विषय पर लिख रहे हैं । बहुत स्वाभाविक भी है । <BR/>आज प्रत्येक भारतीय के मन में अनेक मिले- जुले भाव हैं ।<BR/>कोई कुछ भी कहे मैं तो इसे देश भक्ति ही कहूँगी । देश के <BR/>नौजवाँ अगर इतना भी सोचते हैं तो चिन्ता की कोई बात नहीं । <BR/>भारत माता एकदम निश्चिन्त होजाएगी । इतनी सुन्दर रचना के <BR/>लिए बधाई ।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34050152806036623822007-08-14T14:49:00.000+05:302007-08-14T14:49:00.000+05:30राजीव जी तीखा कटाक्ष है आज़ाद का मतलब, सड़कों पे पि...राजीव जी तीखा कटाक्ष है <BR/>आज़ाद का मतलब, सड़कों पे पिघल जाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, बस - रेल जलाओ<BR/>आज़ाद का मतलब है, एक चक्रवात हो लो<BR/>आज़ाद का मतलब है पश्चिम की बात बोलो<BR/>सब रॉक-रोल हो कर चरसो-अफीम में गुम<BR/>हो कर कलर आये, फिर से सलीम में गुम<BR/>खाना -पूर्ति करते हैं हम देश भक्ति के नाम पर । <BR/>मखौल सा उडाते है अपनी ही व्यवस्थाऒं और जीवन मूल्यों का ।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87525939872950748512007-08-14T14:13:00.000+05:302007-08-14T14:13:00.000+05:30desh k sthiyane pe apko bdhai....... ek sjg ...desh k sthiyane pe apko bdhai....... <BR/> <BR/><BR/>ek sjg nagrik ki chita ko bdi shjta se pesh kia hai apneमनीष वंदेमातरम्https://www.blogger.com/profile/10208638360946900025noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67650009914624961442007-08-14T13:52:00.000+05:302007-08-14T13:52:00.000+05:30राजीव जी,स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर आपके द्वारा ऐ...राजीव जी,<BR/>स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर आपके द्वारा ऐसी ही कविता लिखे जाने की मुझे उम्मीद थी। काश भारतवासी ये समझ पायें!!<BR/>धन्यवाद,<BR/>तपन शर्माAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60145902987174711002007-08-14T12:34:00.000+05:302007-08-14T12:34:00.000+05:30राजीव जी,बधाई। बहुत खूब! क्या बात कही है आपने!ले क...राजीव जी,<BR/>बधाई। बहुत खूब! क्या बात कही है आपने!<BR/><BR/>ले कर कलम खड़ा था, मैं भूमि में गड़ा था<BR/>हँसने लगा वो पागल, जो पास ही खड़ा था<BR/>बोला कि अपने घर को, घर का चराग फूँके<BR/>वो आईने के अक्स पर, हर शख्स आज थूके<BR/>भटके हुए जहाज को आजाद नहीं कहते<BR/>लश्कर के ठिकानों को आबाद नहीं कहते<BR/><BR/>जागृति का यह मुखर स्वर प्रशंसनीय है।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17729507126952516082007-08-14T12:27:00.000+05:302007-08-14T12:27:00.000+05:30तुम अपनी कलम घिस्सो, दीपक ही जलाओवो गीत लिखो जिसको...तुम अपनी कलम घिस्सो, दीपक ही जलाओ<BR/>वो गीत लिखो जिसको, बहरों को सुनायें<BR/>सठिया गया है देश चलो, जश्न मनायें॥<BR/><BR/>बहुत ही सुंदर और सही बातो को व्यकत करती रचना लिखी है आपने राजीव जी,रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79721998023899001242007-08-14T10:56:00.000+05:302007-08-14T10:56:00.000+05:30राजीव जी,सुन्दर लिखा है आपने... इससे मिलता जुलता ह...राजीव जी,<BR/>सुन्दर लिखा है आपने... इससे मिलता जुलता ही कुछ मैने अपने ब्लोग पर आज ही डाला है .. सच में ६० साल की आजादी के बाद भी क्या हम आजाद है.. और आजादी का क्या अर्थ है... समझना और समझाना मुशकिल लगता है...Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32183071453000813692007-08-14T10:01:00.000+05:302007-08-14T10:01:00.000+05:30इस कविता में आपने नये तरह की उपमायें रची हैं जो क...इस कविता में आपने नये तरह की उपमायें रची हैं जो कि ओजस्विता को गहराई प्रदान करती है। आजादी की साठवी साल गिरह पर युवा जागृति के लिये लिखी गयी यह कविता ओजपूर्ण भी है और संदेशप्रद भी है।अभिषेक सागरhttps://www.blogger.com/profile/02262214864547622776noreply@blogger.com