tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post8345948269855368698..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: लोकतंत्र में लोकशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-87180552886639245642011-02-19T19:59:25.431+05:302011-02-19T19:59:25.431+05:30वसीम भाई आपकी लेखनी काफी दमदार है
सं सामयिक विषय ...वसीम भाई आपकी लेखनी काफी दमदार है <br />सं सामयिक विषय पर काफी अच्छा लिखा है आपने<br />बधाई स्वीकार करेंwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-69222793729669966602011-02-18T07:28:39.329+05:302011-02-18T07:28:39.329+05:30वर्तमान हालातों में एसी कलम की तलवारे चलना जरुरी ह...वर्तमान हालातों में एसी कलम की तलवारे चलना जरुरी हे ...कलम की क्रांति से ही शायद भ्रष्टाचारी दानवों के विरुद आन्दोलन की शुरुवात हो सके ... पीड़ित आम जन को कुछ मानसिक राहत तो मिलेगी ...बधाईरचना प्रवेशhttps://www.blogger.com/profile/04303836897391156919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7063304920498962362011-02-18T00:24:57.427+05:302011-02-18T00:24:57.427+05:30sunder rachna ...loktantra ka sach yahi hai ....is...sunder rachna ...loktantra ka sach yahi hai ....is sunder or sateek kavita ke liye bandhai :)Vandana Singhhttps://www.blogger.com/profile/14920537433543551573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-43756463067287476052011-02-17T20:30:24.600+05:302011-02-17T20:30:24.600+05:30बहुत -बहुत बधाई |लोकतंत्र में लोक कविता में सही ही...बहुत -बहुत बधाई |लोकतंत्र में लोक कविता में सही ही लिखा है |आज लोक -तंत्र कहने को है सब कुछ तानाशाही है भ्रष्ट नेताओ के हाथ देश की पतवार है आज के परिवेश का सटीक चित्रं प्रस्तुत किया छोटी सी कविता में |punita singhhttps://www.blogger.com/profile/02994866667001538788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15983092881512037932011-02-17T15:58:59.053+05:302011-02-17T15:58:59.053+05:30बहुत बहुत बहुत ही सही कहा...
झकझोरती हुई अतिसार्थक...बहुत बहुत बहुत ही सही कहा...<br />झकझोरती हुई अतिसार्थक और सुन्दर रचना...<br /><br />आभार.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-16341344895269533592011-02-17T15:44:57.391+05:302011-02-17T15:44:57.391+05:30सुंदर, सारगर्भित सटीक रचना, मुझे हरीश भदानी जी का ...सुंदर, सारगर्भित सटीक रचना, मुझे हरीश भदानी जी का यह नवगीत याद आ गया।<br /><br />सड़कवासी राम!<br /><br />न तेरा था कभी<br />न तेरा है कहीं<br />रास्तों दर रास्तों पर<br />पाँव के छापे लगाते ओ अहेरी<br />खोलकर<br />मन के किवाड़े सुन<br />सुन कि सपने की<br />किसी सम्भावना तक में नहीं<br />तेरा अयोध्या धाम।<br />सड़कवासी राम!<br /><br />सोच के सिर मौर<br />ये दसियों दसानन<br />और लोहे की ये लंकाएँ<br />कहाँ है कैद तेरी कुम्भजा<br />खोजता थक<br />बोलता ही जा भले तू<br />कौन देखेगा<br />सुनेगा कौन तुझको<br />ये चितेरे<br />आलमारी में रखे दिन<br />और चिमनी से निकलती शाम।<br />सड़कवासी राम!<br /><br />पोर घिस घिस<br />क्या गिने चैदह बरस तू<br />गिन सके तो<br />कल्प साँसों के गिने जा<br />गिन कि<br />कितने काटकर फेंके गए हैं<br />ऐषणाओं के पहरूए<br />ये जटायु ही जटायु<br />और कोई भी नहीं<br />संकल्प का सौमित्र<br />अपनी धड़कनों के साथ<br />देख वामन सी बड़ी यह जिन्दगी<br />कर ली गई है<br />इस शहर के जंगलों के नाम।<br />सड़कवासी राम!<br /><br />-- कविता कोश से साभार‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48146805548015034882011-02-17T12:51:32.483+05:302011-02-17T12:51:32.483+05:30मगर
उनकी अरबों की हेराफेरी
महज एक
राजनितिक खेल बनक...मगर<br />उनकी अरबों की हेराफेरी<br />महज एक<br />राजनितिक खेल बनकर रह जाती है।<br />_________________________<br />bahut barhiya vyangya... <br />aakarshanआकर्षण गिरिhttps://www.blogger.com/profile/17903357121891483288noreply@blogger.com