tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post8336596357378313765..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: प्रणय गीत (अप्रैल माह की प्रतियोगिता से)शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47701578990647345762007-05-23T17:27:00.000+05:302007-05-23T17:27:00.000+05:30सुंदर श्रंगारिक रचना।सुंदर श्रंगारिक रचना।SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-37925850935715681982007-05-14T21:14:00.000+05:302007-05-14T21:14:00.000+05:30रचना के भाव सुन्दर हैं, किन्तु बहाव के अभाव में प्...रचना के भाव सुन्दर हैं, किन्तु बहाव के अभाव में प्रभाव कम हो गया है।पंकजhttps://www.blogger.com/profile/14850723521476498477noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-74722707272592866542007-05-13T19:34:00.000+05:302007-05-13T19:34:00.000+05:30मैंने कई प्रणय गीत पढ़े हैं, वैसे हर एक कवि अपने क...मैंने कई प्रणय गीत पढ़े हैं, वैसे हर एक कवि अपने काव्य-कर्म के दौरान इस तरह की रचनाएँ अवश्य करता है। शायद आपकी यह कविता भी उसी की कड़ी है। और यह कविता बहुत अधिक सरस है। कविता के सभी पारम्परिक तत्व इसमें विद्यमान हैं। आपकी लेखनी का ज़ादू कभी न कभी हमारे ज़ज़ों पर भी चलेगा। शुभकामनाएँ!!शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-85937906020457742672007-05-13T08:30:00.000+05:302007-05-13T08:30:00.000+05:30बहुत ही सुंदर है प्रणय गीत....आपके लिखे शब्दो ने म...बहुत ही सुंदर है प्रणय गीत....आपके लिखे शब्दो ने मन मोह लिया <BR/> <BR/>नंदन कानन कुसुम मधुर गंध<BR/>तारक संग शशि नभ मलंद<BR/>अनुराग मृदुल शिथिल अंग<BR/>रोम-रोम मद पान करा दो ।<BR/>गीत प्रणय का अधर सजा दो ।<BR/><BR/>यह बहुत सुंदर लगी पक्तियाँ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-46127037340458578772007-05-12T20:35:00.000+05:302007-05-12T20:35:00.000+05:30कुलवंत सिंह जी,आपकी कविताएँ मैं पूर्व में भी पढ़ चु...कुलवंत सिंह जी,<BR/><BR/>आपकी कविताएँ मैं पूर्व में भी पढ़ चुका हूँ, आपकी लेख़नी शब्दों को संजीव कर देती है, मैंने आपकी प्रत्येक रचना में इस प्रकार की खूबी देखी है। "प्रणय-गीत" के तो क्या कहने! पढ़ते ही भीतर कहीं झुनझुनी सी पैदा होने लगी है।<BR/><BR/>बधाई स्वीकार करें!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-45413418594276655622007-05-12T18:36:00.000+05:302007-05-12T18:36:00.000+05:30कवि कुलवन्त जी आपका प्रणय गीत बढा ही सुन्दर है,..व...कवि कुलवन्त जी आपका प्रणय गीत बढा ही सुन्दर है,..विशेष कर कुछ पक्तियाँ पसन्द आई,..<BR/>ताल नलिन छटा बिखराती<BR/>कुन्तल लट बिखरी जाती<BR/>गुंजन मधुप विषाद बढाती<BR/>प्रिय वनिता आभास दिला दो ।<BR/>गीत प्रणय का अधर सजा दो ।<BR/>बधाई।<BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.com