tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post8072504811584165311..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: कृति पीड़ाशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11892981940772599812007-12-21T17:23:00.000+05:302007-12-21T17:23:00.000+05:30हे मूर्तिकार तू इसी तरह पुरी निष्ठा के साथ अपना कर...हे मूर्तिकार <BR/>तू इसी तरह पुरी निष्ठा के साथ अपना कर्म किए जा और अपनी पीड़ा को जिंदा रख . अगर तेरी पीड़ा खत्म हो गई टू तेरी कृति भी पुरान नहीं हो पायेगी. सदा सर्वदा शुभ कामनाओं के साथ <BR/>नीरAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44230773210838983402007-12-21T17:00:00.000+05:302007-12-21T17:00:00.000+05:30प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नंदन पंत इस तरह की...प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नंदन पंत इस तरह की शैली में लिखा करते थे। किसी भी कलमकार को अपने तेवर, अपनी शैली जल्द ही तय कर लेनी चाहिए।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48672729312152626532007-12-20T12:57:00.000+05:302007-12-20T12:57:00.000+05:30श्रीकान्त जी,कृति और कलाकार को माध्यम बना कर आपने ...श्रीकान्त जी,<BR/><BR/>कृति और कलाकार को माध्यम बना कर आपने एक बहुत बडे सत्य को उजागर किया है.. संसार में उद्यम ही सर्वश्रेष्ठ है जिसे ये दो हाथ जन्म देते हैं और समस्त बाधाओं को पार करते हुये इस स्थान को जीने लायक बनाते हैं...<BR/>सुन्दर रचना के लिये बधाईMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49870025912657886472007-12-19T22:02:00.000+05:302007-12-19T22:02:00.000+05:30श्रीकांत जी,बेहतरीन प्रस्तुति के लिए साधुवाद। आशा ...श्रीकांत जी,<BR/>बेहतरीन प्रस्तुति के लिए साधुवाद। आशा का नवसंचार करती कविता प्रभावी बन पड़ी है।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66941086639612190442007-12-19T16:42:00.000+05:302007-12-19T16:42:00.000+05:30श्रीकान्त जी बढिया कविता. आशावादी कविता. बधाई स्वी...श्रीकान्त जी बढिया कविता. आशावादी कविता. बधाई स्वीकारेंAvanish Gautamhttps://www.blogger.com/profile/03737794502488533991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-84980539741246874852007-12-18T23:09:00.000+05:302007-12-18T23:09:00.000+05:30'कभी कोई कृतितेरा मीत बन जायेगीमत पाल यह भ्रम' वाह...'कभी कोई कृति<BR/>तेरा मीत बन जायेगी<BR/>मत पाल यह भ्रम'<BR/> वाह!एक सच इतनी आसानी से कह दिया . <BR/>शिल्पकार की आशाओं को जिंदा रखने की सुंदर कोशिश इस रचना में दिखी.<BR/>शब्द चयन ,कविता का गठन, इसका प्रवाह ,इसमें छिपी गहराई और प्रस्तुति आकर्षक और अति उत्तम लगी.<BR/>एक उत्क्र्ष्ट रचना के लिए बधाई और धन्यवाद.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25452707012255609922007-12-18T20:03:00.000+05:302007-12-18T20:03:00.000+05:30गजब शब्दावली है आपकी, बहुत ही सुंदर रचना , एक एक ...गजब शब्दावली है आपकी, बहुत ही सुंदर रचना , एक एक क\हित्र सामने उभर आता है, शब्द हैं या जादू ... बधाईSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-40067138913481403692007-12-18T18:14:00.000+05:302007-12-18T18:14:00.000+05:30श्रीकांत जी बहुत बहुत बधाई,क्या मर्म उत्पन्न किए ह...श्रीकांत जी बहुत बहुत बधाई,क्या मर्म उत्पन्न किए हैं आपने,बिल्कुल दिल को चीरने वाले.<BR/> धन्य है आपकी कृति जो कृति पीड़ा को भी इतना सहज और सरल बना देती है.<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12178931668723686972007-12-18T18:07:00.000+05:302007-12-18T18:07:00.000+05:30श्रीकांत जी आपकी कविता काफी आशावादी है कविता इतन...श्रीकांत जी <BR/> आपकी कविता काफी आशावादी है <BR/> कविता इतनी सुंदर है की दिल को सीधे छूती है मैंने पहली बार हिन्दयुग्म पे कविता पढी पर आपकी रचना ने मुझे काफी आकर्षित किया आप काफी अच्छा लिखते है मेरी शुभकामनाएं ......<BR/><BR/> श्रीकांत जी <BR/> आपकी कविता काफी आशावादी है <BR/> कविता इतनी सुंदर है की दिल को सीधे छूती है मैंने पहली बार हिन्दयुग्म पे कविता पढी पर आपकी रचना ने मुझे काफी आकर्षित किया आप काफी अच्छा लिखते है मेरी शुभकामनाएं ......<BR/><BR/>ताशुAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36790233683273090852007-12-18T18:00:00.000+05:302007-12-18T18:00:00.000+05:30श्रीकान्त जीबहुत सुन्दर और प्रभावी रचना । विशिष्ट ...श्रीकान्त जी<BR/>बहुत सुन्दर और प्रभावी रचना । विशिष्ट भाषा और गम्भीर भाव लिए । <BR/>बेड़ियां नैराश्य की<BR/>देख ...<BR/>कब की हैं टूट चुकी<BR/>लौकिक संसार से बस<BR/>देह ही तो जाती है<BR/>अमर है कवि<BR/>अजर रचना संसार है<BR/>आशा से भरा सन्देश देने के लिए आभार । सस्नेहशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32701657999358189482007-12-18T17:48:00.000+05:302007-12-18T17:48:00.000+05:30श्रीकांत जी आपकी कविताये सच में दिल को छू जाती है ...श्रीकांत जी <BR/>आपकी कविताये सच में दिल को छू जाती है आप इतना अच्छा और अलग लिखते है की वाकई खुशी होती है पढ़ कर, मैंने पहले भी कई कविताये पढी है पर आपकी कविताओ में जो गहराई होती है वो कही नही मिलती आजकल<BR/> रेखाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-20071157787851997392007-12-18T14:17:00.000+05:302007-12-18T14:17:00.000+05:30कांत जी,सचमुच एक शानदार आशावादी रचना एक खूबसूरत प्...कांत जी,<BR/><BR/>सचमुच एक शानदार आशावादी रचना <BR/>एक खूबसूरत प्रवाहपूर्ण अभिव्यक्ति<BR/><BR/>उठ… रे...!<BR/>ओ मूर्तिकार !<BR/>जुट जा. फ़िर तलाश में<BR/>पाषाण खण्डों की..........<BR/>..............<BR/>..............देह ही तो जाती है<BR/>अमर है कवि<BR/>अजर रचना संसार हैभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-61738542180367851862007-12-18T12:03:00.000+05:302007-12-18T12:03:00.000+05:30श्रीकांत जी,आपकी संस्कृतनिष्ठ रचनाशैली में यह आशाव...श्रीकांत जी,<BR/><BR/>आपकी संस्कृतनिष्ठ रचनाशैली में यह आशावादी रचना खूब निखर कर आयी है चूंकि आपके बिम्बों के साथ आपके शब्दचयन नें पूरा न्याय किया है।<BR/><BR/>बेड़ियां नैराश्य की<BR/>देख ...<BR/>कब की हैं टूट चुकी<BR/>लौकिक संसार से बस<BR/>देह ही तो जाती है<BR/>अमर है कवि<BR/>अजर रचना संसार है<BR/><BR/>आशावादी रचना।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-77672528352455939692007-12-18T11:21:00.000+05:302007-12-18T11:21:00.000+05:30भूल जा ...उस पीड़ा कोबस जुट जाअपने निर्माण मेंकभी क...भूल जा ...<BR/>उस पीड़ा को<BR/>बस जुट जा<BR/>अपने निर्माण में<BR/>कभी कोई कृति<BR/>तेरा मीत बन जायेगी<BR/>....<BR/>लिख डाल फिर<BR/>शिलालेख ..<BR/>कोई गीत नया,<BR/>चित्र बना डाल तू<BR/>पाषाण उर पर<BR/><BR/>....<BR/>लौकिक संसार से बस<BR/>देह ही तो जाती है<BR/>अमर है कवि<BR/>अजर रचना संसार है<BR/><BR/>बहुत सुंदर रचना लगी आपकी यह श्रीकांत जी ....बधाई आपको !!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26466376515863652332007-12-18T11:19:00.000+05:302007-12-18T11:19:00.000+05:30यह रचना पढ़ कर मुझे गुप्त जी की रचना "नर हो न करो न...यह रचना पढ़ कर मुझे गुप्त जी की रचना "नर हो न करो निराश मन ko" याद आ गयी |<BR/>मन की निराशा को दूर करनी वाली यह सुंदर रचना है |<BR/>बधाई<BR/>अवनीश तिवारीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30399935379005434652007-12-18T11:15:00.000+05:302007-12-18T11:15:00.000+05:30बड़ी सुंदर और आशावादी रचना है. बहुत खूब आशीषबड़ी सुंदर और आशावादी रचना है. <BR/>बहुत खूब <BR/>आशीषAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10778234332097882672007-12-18T11:08:00.000+05:302007-12-18T11:08:00.000+05:30बेड़ियां नैराश्य की देख ...कब की हैं टूट चुकी लौकि...बेड़ियां नैराश्य की <BR/>देख ...<BR/>कब की हैं टूट चुकी <BR/>लौकिक संसार से बस<BR/>देह ही तो जाती है <BR/>अमर है कवि<BR/>अजर रचना संसार है<BR/>" कितना सच कहा है कवी ने, सच मे सुब कुछ नश्वर है मगर कवी और उनकी रचना अमर है" एक उत्क्र्ष्ट रचना.<BR/>regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com