tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post7835363562398047899..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: कब तुम आते होशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-31938222324235729382007-04-01T10:37:00.000+05:302007-04-01T10:37:00.000+05:30आपकी हीं कुछ पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ->"...आपकी हीं कुछ पंक्तियाँ यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ-><BR/><BR/>"ये तो पानी के छपावले हैं<BR/>शायद कोई जीवन-ज्योति<BR/>डूबी होगी वहाँ"<BR/><BR/>"हर मोड़ से कई रास्ते निकलते हैं<BR/>हर रास्ते पर कई मोड़ मिलते हैं<BR/>फासलों को छुओ तो कुछ दूर और खिसकते हैं"<BR/><BR/>"कोई दर्द हो या चुभन तो दे देना<BR/>रिक्त है थोड़ा सा मन मेरा<BR/>सब कहते हैं तुम कही नहीं हो"<BR/><BR/>पूरे जीवन का सारा सार लिख डाला है आपने यहाँ। बधाई स्वीकारें।विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54501718501235910112007-03-30T21:28:00.000+05:302007-03-30T21:28:00.000+05:30फासलों को छुओ तो कुछ दूर और खिसकते outstanding!!फासलों को छुओ तो कुछ दूर और खिसकते <BR/>outstanding!!Alok Shankarhttps://www.blogger.com/profile/03808522427807918062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-5260516301313469612007-03-29T09:50:00.000+05:302007-03-29T09:50:00.000+05:30जिसे ढूंढती नज़र हो...फिर वो कहां कहां नही है..बहुत...जिसे ढूंढती नज़र हो...फिर वो कहां कहां नही है..<BR/><BR/>बहुत बढिया.. अपने विचारों को आपने मौलिक जामा पहना कर अपनी रचना को जीवन्त कर दियाMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34706631156262457312007-03-29T09:05:00.000+05:302007-03-29T09:05:00.000+05:30एक्सीलेन्ट ! गुड़।लिखती रहें।एक्सीलेन्ट ! <BR/><BR/>गुड़।<BR/><BR/>लिखती रहें।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-85779626353111102812007-03-29T00:04:00.000+05:302007-03-29T00:04:00.000+05:30अनुपमा जी फिर एक सुन्दर रचना। जैसे कोई रेल चल रही ...अनुपमा जी <BR/>फिर एक सुन्दर रचना। जैसे कोई रेल चल रही हो (पुराने जमाने की छुक छुक वाली) कविता कुछ एसे गुजर गयी मनःपटल से।<BR/><BR/>"हर मोड़ से कई रास्ते निकलते हैं<BR/>हर रास्ते पर कई मोड़ मिलते हैं<BR/>फासलों को छुओ तो कुछ दूर और खिसकते हैं"<BR/><BR/>"हर मोड को पलों में छोड आये<BR/>मेरी सुलझनों को कितना उलझाते हो?"<BR/><BR/>"कौन मृत क्या जीवित है आभास नहीं<BR/>तुमसे मुक्त हो सकूँ ऐसा कोई प्रयास नहीं<BR/>कितनी बार मुझे तुम मृत्यु के समीप ले जाते हो"<BR/><BR/>"कोई दर्द हो या चुभन तो दे देना<BR/>रिक्त है थोड़ा सा मन मेरा<BR/>सब कहते हैं तुम कही नहीं हो"<BR/><BR/>कविता किसी भी घायल हृदय पर नमक रख सकते है। कविता और काव्य की कलात्मकता का हर तत्व है इस रचना में। <BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25444932104711118492007-03-28T23:27:00.000+05:302007-03-28T23:27:00.000+05:30अनुपमा जी,यादें होती ही हैं इतनी दिलकश।किसी ने लिख...अनुपमा जी,<BR/>यादें होती ही हैं इतनी दिलकश।<BR/>किसी ने लिखा है;<BR/>"एक मामले में तुम्हारी यादें तुमसे भी अच्छी हैं,<BR/>क्योंकि तुम आते ही जाने लगती ,<BR/>पर आने के बाद जाने का नाम ही नहीं लेतीं,<BR/>तुम्हारी यादें।"पंकजhttps://www.blogger.com/profile/14850723521476498477noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65870362966116785652007-03-28T18:14:00.000+05:302007-03-28T18:14:00.000+05:30ये तो पानी के छपावले हैंशायद कोई जीवन-ज्योतिडूबी ह...<B>ये तो पानी के छपावले हैं<BR/>शायद कोई जीवन-ज्योति<BR/>डूबी होगी वहाँ</B><BR/><BR/>रचनाकार की सोच इतनी मौलिक होनी चाहिए।<BR/><BR/><B>तुमसे मुक्त हो सकूँ ऐसा कोई प्रयास नहीं</B><BR/><BR/>आसक्ति की पराकाष्ठा है यह<BR/><BR/><B>कोई दर्द हो या चुभन तो दे देना<BR/>रिक्त है थोड़ा सा मन मेरा</B><BR/><BR/>इससे अधिक सूफियाना कोई और क्या लिखेगा!शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-23781241224045821432007-03-28T18:12:00.000+05:302007-03-28T18:12:00.000+05:30सुन्दर कविता है। कुछ पँक्तियाँ वास्तव में बहुत अच्...सुन्दर कविता है। कुछ पँक्तियाँ वास्तव में बहुत अच्छी हैं।<BR/>हर मोड़ से कई रास्ते निकलते हैं<BR/>हर रास्ते पर कई मोड़ मिलते हैं<BR/>बहुत खूब। सचमुच आपकी काव्य प्रतिभा का ये मोड़ भी बहुत खूबसूरत है।SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19082896222326698882007-03-28T16:29:00.000+05:302007-03-28T16:29:00.000+05:30सुन्दर रचना है। घुघूती बासूतीसुन्दर रचना है। <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-18253753176118226422007-03-28T13:23:00.000+05:302007-03-28T13:23:00.000+05:30पलों को बरस में बदलते देखते हैंऔंधे पड़े एकटक सोचत...पलों को बरस में बदलते देखते हैं<BR/>औंधे पड़े एकटक सोचते हैं<BR/>क्या सत्य था क्या झूठ<BR/>मेरे बिन न रह पाना क्या बीता कल था?<BR/>क्या तुम्हारा आना मात्र छल था?<BR/><BR/>बहुत सुंदर ...सूफ़ी रचना सी लगी मुझे यह आपकी रचना अनुपमा जी <BR/>दिल ने चाहा की कुछ लिख दूं पर लाजवाब है यह .. <BR/><BR/>रिक्त है थोड़ा सा मन मेरा<BR/>सब कहते हैं तुम कही नहीं हो<BR/>जहाँ फेरूँ निगाह तुम ही तुम दिख जाते हो<BR/>कब तुम.....रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com