tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post7731189646501430138..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: बुचईयाशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66856561359396763872007-05-29T10:29:00.000+05:302007-05-29T10:29:00.000+05:30मनीष जी ज़मीन से जुड़े हुये व्यक्ति हैं;वही उनकी रच...मनीष जी ज़मीन से जुड़े हुये व्यक्ति हैं;<BR/>वही उनकी रचनायें भी कहती हैं।पंकजhttps://www.blogger.com/profile/14850723521476498477noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28253418395158523952007-05-26T19:36:00.000+05:302007-05-26T19:36:00.000+05:30कालजयी रचना!!!सनिचरी के बाद आपकी दूसरी रचना है यह,...कालजयी रचना!!!<BR/><BR/>सनिचरी के बाद आपकी दूसरी रचना है यह, जिसने रूला दिया, साधारण शब्दों में इतना दर्द समेटना वाकई असाधारण कार्य है, और यह आप ही कर सकते हैं।<BR/><BR/>आपकी कविताओं में सच्चाई झलकती है, बहुत सुन्दर!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-42055746485225953462007-05-26T19:19:00.000+05:302007-05-26T19:19:00.000+05:30बहुत ज्यादा हृदय स्पर्शी भाव।पर बुचइया की माँ कितन...बहुत ज्यादा हृदय स्पर्शी भाव।<BR/>पर बुचइया की माँ कितनी बार अनाथ होगी इस देश में?देवेश वशिष्ठ ' खबरी 'https://www.blogger.com/profile/03089045465753357873noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-91639816071874299272007-05-26T18:03:00.000+05:302007-05-26T18:03:00.000+05:30बहुत खूब मनीष जी, आप जिस तरह एक सीधी सी बात को घुम...बहुत खूब मनीष जी, आप जिस तरह एक सीधी सी बात को घुमा के सुन्दर और कंटीला वातावरण रचते हैं, हर बात सीधे अन्दर उतर जाती है।<BR/>मैं समझ सकता हूं कि भावना की किस तीव्रता से ऐसी पंक्तियाँ लिखी जाती होंगी। <BR/><BR/>बेटे की उमर पा के<BR/>अजर हो गई।<BR/>या फिर-<BR/>बड़ा जुगाड़ी आदमी था<BR/>जब तक ज़िंदा रहा<BR/>बुचईया की माँ को<BR/>विधवा पेंशन मिलती थी<BR/>मरते ही<BR/>........<BR/>बंद।<BR/><BR/>आपके पास भाषा की खूबसूरत मिल्कियत है और आप उसका और भी खूबसूरत इस्तेमाल करते हैं.बधाई स्वीकारें.गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30968152380735418962007-05-26T08:25:00.000+05:302007-05-26T08:25:00.000+05:30कविता पसंद आयी। आप चित्रकविता लिखते है। कविता पढ़त...कविता पसंद आयी। आप चित्रकविता लिखते है। कविता पढ़ते साथ एक चित्र आखों के सामने बनता चला जाता है।Tushar Joshihttps://www.blogger.com/profile/03931011991029693685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13823918131626710722007-05-25T23:49:00.000+05:302007-05-25T23:49:00.000+05:30आम जनजीवन के पीड़ा/दर्द को शब्दो मे सफलता पूर्वक ढ...आम जनजीवन के पीड़ा/दर्द को शब्दो मे सफलता पूर्वक ढाला गया है | <BR/>बधाई स्वीकारें।Medha Phttps://www.blogger.com/profile/04171814545662994471noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57903286170926000342007-05-25T23:29:00.000+05:302007-05-25T23:29:00.000+05:30वाह बाबू वाह... अब रुलायेगा क्या?वाह बाबू वाह... अब रुलायेगा क्या?Upasthithttps://www.blogger.com/profile/14139346378568249916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-52221124594254476542007-05-25T23:17:00.000+05:302007-05-25T23:17:00.000+05:30बेटे की उमर पा केअजर हो गई।कितना दर्द छुपा है इन प...बेटे की उमर पा के<BR/>अजर हो गई।<BR/>कितना दर्द छुपा है इन पंक्तियों में.. कलम सार्थक हुई है।आशीष "अंशुमाली"https://www.blogger.com/profile/07525720814604262467noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62712524046335047512007-05-25T19:52:00.000+05:302007-05-25T19:52:00.000+05:30एक और सुंदर रचना। देशज शब्दों में गाँव के दर्द को ...एक और सुंदर रचना। देशज शब्दों में गाँव के दर्द को जीवंत करने में आप सफल रहे हैं। बधाई।SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60334021843637769372007-05-25T18:53:00.000+05:302007-05-25T18:53:00.000+05:30सुंदर है इस तरह का पढ़ने को अब कम मिलता है ......द...सुंदर है इस तरह का पढ़ने को अब कम मिलता है ......दर्द को बहुत सच्चे लफ़्ज़ो में बयान किया है अपने ....रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28913539302196553292007-05-25T18:13:00.000+05:302007-05-25T18:13:00.000+05:30मनीष जी बहुत खूबसूरत दिल को छू लेने वाली रचना है.....मनीष जी बहुत खूबसूरत दिल को छू लेने वाली रचना है...पहले भी एसी ही एक रचना पढी थी शनिचरी जो हमे रुला गई थी और आज फ़िर वैसे ही बुचईया क्या जुगाड़ी आगमी था...हर शब्द दिल को छूलेने वाला है...<BR/>बड़ा जुगाड़ी आदमी था<BR/>जब तक ज़िंदा रहा<BR/>बुचईया की माँ को<BR/>विधवा पेंशन मिलती थी<BR/>मरते ही<BR/>........<BR/>बंद।बुचईया के मरते ही<BR/>उसकी माँ अनाथ हो गई,<BR/>एक वही तो जिया-खिला रहा था<BR/>अभागिन!<BR/>बेटे की उमर पा के<BR/>अजर हो गई।<BR/>बहुत-बहुत बधाई...<BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-43199296366727750922007-05-25T12:37:00.000+05:302007-05-25T12:37:00.000+05:30दिल को छू लेने वाली रचना......... इस बार आपनें मेर...दिल को छू लेने वाली रचना......... <BR/>इस बार आपनें मेरी इच्छा पूरी कर दी ऐसी ही रचना की उम्मीद रहती है आपसे | सचमुच देशज शब्दो के प्रयोग से वातावरण का चित्रण करना आपको बख़ूबी आता है |सनीचरी की तरह यह कविता भी अपने उद्देश्य मे सफल हुई है और पूरी तीव्रता के साथ अपनी पीड़ा पाठक मन तक पहुचाती है| दर्द को शब्दो मे सफलता पूर्वक ढाला गया है |<BR/>एक और उत्क्र्ष्ट रचना के लिए बधाई स्वीकार करे .........विपुलhttps://www.blogger.com/profile/13962852081810792299noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35273813023148040102007-05-25T10:53:00.000+05:302007-05-25T10:53:00.000+05:30मनीष जी , गाँव में पल रहे दर्द का आपने जिस तरह से ...मनीष जी , गाँव में पल रहे दर्द का आपने जिस तरह से विश्लेषण किया है, वह काबिले-तारीफ है। देशज शब्दॊं से एक अच्छा वातावरण गढते हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि किसी दिन आप से बात हो सकेगी।<BR/>बधाई स्वीकारें।विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29631694799184219752007-05-25T10:24:00.000+05:302007-05-25T10:24:00.000+05:30मनीष जी,कोयले की खान में घुस कर ही पता लगाया जा सक...मनीष जी,<BR/><BR/>कोयले की खान में घुस कर ही पता लगाया जा सकता है कि वहां कितना अंधेरा, कितनी सीलन, कितनी कालिख है...आप आम आदमी का दर्द समझते हैं इसीलिये रचनाओं में से सत्य टपकता है..सुन्दर रचना.Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80578033841863787302007-05-25T10:02:00.000+05:302007-05-25T10:02:00.000+05:30मनीष जी,देशज कविताओं में आपका कोई सानी नहीं है, गा...मनीष जी,<BR/>देशज कविताओं में आपका कोई सानी नहीं है, गाँव, ग्रामीण परिवेश और आम जनजीवन के दर्द को आप जिस तरह से उकेरते हैं वह प्रसंशनीय है।<BR/><BR/>बहुत ही सुन्दर रचना।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.com