tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post7663113376120157836..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: हर बात पर ताली बजाना बेवकूफी हैशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7378455210879203182007-09-08T19:28:00.000+05:302007-09-08T19:28:00.000+05:30जब कविता के अंदर बातें बड़ी-बड़ी हों तो ताली तो बज...जब कविता के अंदर बातें बड़ी-बड़ी हों तो ताली तो बजाना होगा ना!शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-89559695269993011872007-09-06T20:16:00.000+05:302007-09-06T20:16:00.000+05:30Very nice dear girirajkya gazal haiwah maza aa gay...Very nice dear giriraj<BR/>kya gazal hai<BR/>wah maza aa gaya.<BR/>Ashok Mundraashokmaheshwarihttps://www.blogger.com/profile/12845721922021250402noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24952262946182090212007-09-05T23:25:00.000+05:302007-09-05T23:25:00.000+05:30पसंद न आए तो नकार दो ‘कविराज’हर बात पर ताली बजाना ...पसंद न आए तो नकार दो ‘कविराज’<BR/>हर बात पर ताली बजाना बेवकूफी ह<BR/><BR/>गिरि जी , इस गज़ल के माध्यम से आपने बड़ा हीं विचारनीय प्रश्न उठाया है। सुंदर गज़ल है। इसी तरह हर विधा में आप कमाल करते रहें-<BR/>विश्व दीपक 'तन्हा'विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-49775716729864336832007-09-04T14:48:00.000+05:302007-09-04T14:48:00.000+05:30गिरिराज जी!गज़ल अच्छी है, परंतु कहीं लय-भंग अखरता ह...गिरिराज जी!<BR/>गज़ल अच्छी है, परंतु कहीं लय-भंग अखरता है. आप ही के शब्दों में<BR/>पसंद न आए तो नकार दो ‘कविराज’ <BR/>हर बात पर ताली बजाना बेवकूफी है<BR/><BR/>भाव की दृष्टि से आप हमेशा की तरह कामयाब रहे हैं, परंतु शिल्प पर और मेहनत करें.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-72109375302146623682007-09-04T14:27:00.000+05:302007-09-04T14:27:00.000+05:30पसंद न आए तो नकार दो ‘कविराज’ हर बात पर ताली बजाना...पसंद न आए तो नकार दो ‘कविराज’ <BR/>हर बात पर ताली बजाना बेवकूफी है <BR/><BR/>ताली तो बजा दी है गिरिराज जी। "बेवकूफी" आम तौर पर इस शब्द का इस्तेमाल गज़ल में करने से कोई भी शायर हिचकता ..आपने साहस दिखाया। आपका साहस/प्रयोग सफल हुआ है।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-73513360012214783452007-09-04T13:31:00.000+05:302007-09-04T13:31:00.000+05:30पसंद न आए तो नकार दो ‘कविराज’हर बात पर ताली बजाना ...पसंद न आए तो नकार दो ‘कविराज’<BR/>हर बात पर ताली बजाना बेवकूफी है<BR/><BR/>bahut achhi panktiyan hai.. mitra..Keep it up.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/17123587977659062694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19889637894000170222007-09-03T15:51:00.000+05:302007-09-03T15:51:00.000+05:30गिरिराज जीगज़ल बहुत विचार पूर्ण है । सच कह रहे हैं ...गिरिराज जी<BR/>गज़ल बहुत विचार पूर्ण है । सच कह रहे हैं आप । आज के बनावटी माहौल में इसकी<BR/>सार्थकता बहुत बढ़ जाती है । पसन्द ना आने पर नकारने की हिम्मत कितने लोगों में<BR/>होती है । । मुझे ये पंक्तियाँ विशेष रूप से पसन्द<BR/>आई-गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,<BR/>दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है<BR/><BR/>पसंद न आए तो नकार दो ‘कविराज’ <BR/>हर बात पर ताली बजाना बेवकूफी <BR/>एक सही सोच पूर्ण गज़ल के लिए बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-41907237468740917602007-09-03T10:56:00.000+05:302007-09-03T10:56:00.000+05:30जोशी जी का जोश सच में करता है खामोश,जिव्ह्या की सा...जोशी जी का जोश सच में करता है खामोश,<BR/>जिव्ह्या की सामर्थ कहाँ हम भूल गये खुद होश<BR/>गजल लिखें या गीत लिखें या कोई कब्बाली,<BR/>बरबस मुख से वाह निकलती बरबस बजती ताली<BR/>जोशी तेरी लेखनी में सचमुच का सम्मोहन<BR/>पंक्ति पंक्ति में शब्द शब्द में अंतर्मन का दोहन...<BR/><BR/>पसन्दीदा रचना..<BR/>- राघवभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67391702738262545512007-09-03T02:28:00.000+05:302007-09-03T02:28:00.000+05:30बहुत खूब...आपकी सारी पंक्तियाँ एक से बढ़कर एक हैंबध...बहुत खूब...<BR/><BR/>आपकी सारी पंक्तियाँ एक से बढ़कर एक हैं<BR/>बधाईReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54331159650919671752007-09-03T00:32:00.000+05:302007-09-03T00:32:00.000+05:30kya bat kahi hai sir. real me ...kya bat kahi hai sir. real me गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,<BR/>दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है pankti kaphi marmik hi nahi jiwan ka satya bhi hai.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-67217868177402079502007-09-03T00:02:00.000+05:302007-09-03T00:02:00.000+05:30गिरिराज जी,आपकी रचना बहुत सुन्दर है.....गले लगकर म...गिरिराज जी,<BR/><BR/>आपकी रचना <BR/>बहुत सुन्दर है.....<BR/><BR/>गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,<BR/>दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है<BR/><BR/>वाह ! बहुत खूब ....<BR/><BR/>बधाईगीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-46040172413948948112007-09-02T23:06:00.000+05:302007-09-02T23:06:00.000+05:30वाह गिरिराज जी,आपकी ज्यादा कवितायें पढी नहीं हैं.....वाह गिरिराज जी,<BR/>आपकी ज्यादा कवितायें पढी नहीं हैं...रस भरी रचना है.....बिल्कुल आपके चहरे की तरह....खिलती हुई........<BR/>बधाई <BR/>निखिलNikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-777202686200817762007-09-02T19:48:00.000+05:302007-09-02T19:48:00.000+05:30गिरिराज जी प्रणाम..बहुत खूब बहुत प्यारी गज़ल लिखी ह...गिरिराज जी प्रणाम..<BR/>बहुत खूब बहुत प्यारी गज़ल लिखी है आप ने <BR/>सामान्य शब्दों का प्रयोग...एक सरल गजल...वाह'<BR/>ये होता है हुनर..मुझे बहुत पसन्द आया.<BR/>अपने आप में आप की गज़ल नवीनता लिये हुये है<BR/>एक छोटी सी कमी मुझे महसूस हुयी है..<BR/>"गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,<BR/>दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है<BR/>आप ने यहाँ पर लिखा है "दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है"<BR/>पर अगर आप इसे थोडा सा बदल कर देखें तो शायद अधिक आनन्द प्राप्त हो ..<BR/>जैसे.."घावों से दिल को सजाना बेवकूफी है"<BR/>अगर बुरा लगे तो मुझे छमा कीजियेगा..<BR/>आभारविपिन चौहान "मन"https://www.blogger.com/profile/10541647834836427554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-42923084781279262662007-09-02T18:16:00.000+05:302007-09-02T18:16:00.000+05:30kavita kaa rasaasvaadan karke uske marm kee anubho...kavita kaa rasaasvaadan karke uske marm kee anubhootee karne par taalee svayam baj jaatee hai.<BR/>Jeevan ke anya pakshon ke saath bhee aisa hee hota hai.<BR/>Jo jitna anubhavee hai vah utna hee karya karta hai.<BR/>Saundrya to ahsaas hai,parda uth jane par kya rah jayega!<BR/>prashasneeya kavita hai.<BR/>-Ashok LavAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7127027904162194542007-09-02T17:02:00.000+05:302007-09-02T17:02:00.000+05:30वाह कविराज जितनी तारीफ़ की जाये कम है...हँसी-हँसी म...वाह कविराज जितनी तारीफ़ की जाये कम है...<BR/><BR/>हँसी-हँसी में दिल दुखाया क्यों तुमने,<BR/>नादानी में जमीर लुटाया क्यों तुमने॥<BR/><BR/>बहुत नाज़ था तेरे हुस्न पर तुझको,<BR/>बेपरदा कर इसे दिखाया क्यों तुमने॥<BR/><BR/>उडे़ दो घूँट में ही जब होश तुम्हारे,<BR/>बोतल को गले लगया क्यों तुमने॥<BR/><BR/>भुला भी दो अब गिले शिकवे सारे,<BR/>दिल पे घावो को सजाया क्यों तुमने॥<BR/><BR/>नक्कारो को गज़ल सुनाते हो तुम,<BR/>हँसी-हँसी में बहुत हँसाया क्यों तुमने॥<BR/><BR/>कविराज आपकी गज़ल के तो हम शुक्रगुजार है एसे ही बैठे-बैठे कुछ लिख बैठे है आशा है पसंद आयेगा...<BR/><BR/>सुनीता(शानू)सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-76720138439180596592007-09-02T16:14:00.000+05:302007-09-02T16:14:00.000+05:30अगर पसंद आए तो ताली बजा सकते हैं न...गिरी भाई, तल्...अगर पसंद आए तो ताली बजा सकते हैं न...गिरी भाई, <BR/>तल्लियों के साथ बधाई.Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-78182132314428990902007-09-02T16:05:00.000+05:302007-09-02T16:05:00.000+05:30गिरीराज जी......अच्छी रचना है...खाशतौर पे ये.........गिरीराज जी......अच्छी रचना है...<BR/>खाशतौर पे ये......<BR/>~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~<BR/>बहुत नाज़ होगा तुमको अपने हुस्न पर<BR/>बेपरदा कर इसको दिखाना बेवकूफी है<BR/><BR/>जानता हूँ दो घूँट के हो होंशमंद तुम<BR/>बात-बात पर बोतल लगाना बेवकूफी है<BR/><BR/>गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,<BR/>दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है<BR/>~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~<BR/>बहुत अच्छी लगी ये पंक्तियां........सही और सच को दर्शाती है ये..........अच्छी लगी!!!!"राज"https://www.blogger.com/profile/17803945586042941740noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32062220052474130442007-09-02T15:39:00.000+05:302007-09-02T15:39:00.000+05:30गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,दिल के घावों को स...गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,<BR/>दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है<BR/>वाह !!!!! बहुत खूब .........<BR/>अन्दाजे बयाँ बदले-बदले ।<BR/>कविराज जी कहीं सही में तो दिल नहीं लगा बैठे .............. बता दीजियेगा ।कुछ सिफारिश ही करेंगेंanuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65268865189544579952007-09-02T15:24:00.000+05:302007-09-02T15:24:00.000+05:30गिरिराज जी,बहुत सुन्दर!!गले लगकर मिटा लो गिले-शिकव...गिरिराज जी,<BR/>बहुत सुन्दर!!<BR/><BR/>गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,<BR/>दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है<BR/><BR/>वाह-वाह! कायल हो गया आपकी लेखनी का।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-23602179005050645562007-09-02T15:04:00.000+05:302007-09-02T15:04:00.000+05:30बढ़िया लिखा मामू!!पन ताली बजाना भी एक कला है, तभी न...बढ़िया लिखा मामू!!<BR/>पन ताली बजाना भी एक कला है, तभी ना अपने देश में ताली बजाने वालों की ज्यादा कदर होती ना!! मौके मौके पे ऐसे ताली बजाने वालों को हायर कर के ले जाया जाता ना।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59276310838843042412007-09-02T14:56:00.000+05:302007-09-02T14:56:00.000+05:30dil ke ghavon ko sajana bewkufee he......bahut khu...dil ke ghavon ko sajana bewkufee he......bahut khuub..<BR/>sunitaDr. sunita yadavhttps://www.blogger.com/profile/00087805599431710687noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79747535717713849502007-09-02T14:43:00.000+05:302007-09-02T14:43:00.000+05:30पसन्द आने पर ही बजायी जाती है तालीनापसन्द होने पर ...पसन्द आने पर ही बजायी जाती है ताली<BR/>नापसन्द होने पर कोई गले लगाता नही<BR/><BR/>जिन्दगी के कई एहसासो को बाँध लिया है<BR/>बदले मे कुछ हमसे कहा जाता नही<BR/><BR/>पसन्द आ रहे हैं हरेक शेर दिल को<BR/>वाह-वाही कहना पूरक हो पाता नही<BR/><BR/>मुक्कमल होती है गज़ल एहसासो से<BR/>इसके बिना कोई बात दिल को छू पाता नहीगरिमाhttps://www.blogger.com/profile/12713507798975161901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70885513014499664132007-09-02T12:59:00.000+05:302007-09-02T12:59:00.000+05:30बहुत नाज़ होगा तुमको अपने हुस्न परबेपरदा कर इसको दि...बहुत नाज़ होगा तुमको अपने हुस्न पर<BR/>बेपरदा कर इसको दिखाना बेवकूफी है<BR/><BR/>बहुत ख़ूब कविराज जी ....<BR/><BR/>गले लगकर मिटा लो गिले-शिकवे सारे,<BR/>दिल के घावों को सजाना बेवकूफी है<BR/><BR/>मुझे आपकी रचना बहुत पसंद आई ..खासतौर पर यह पंक्तियां ...रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.com