tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post7605763892754292167..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: अमिता का मौनशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11996538855518772362008-02-27T19:21:00.000+05:302008-02-27T19:21:00.000+05:30बहुत अच्छी अभिव्यक्ति .....मदमाते यौवन की पावसकभी ...बहुत अच्छी अभिव्यक्ति .....<BR/><BR/><BR/>मदमाते यौवन की पावस<BR/>कभी बनी जो मधुर विह्वला<BR/>किन्तु आज इस सूने पन में<BR/>इस एकाकी नीरवता में<BR/>क्यों न हृदय की ग्रंथि खोलते <BR/>महामौन तुम नहीं बोलते<BR/>अनाहूत क्षण क्यों टटोलते<BR/>क्यों अमृत में गरल घोलते<BR/><BR/>अमिता जी<BR/>शुभ-कामनाएं<BR/><BR/>स-स्नेह <BR/>गीता पंडितगीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28554878465985699382008-02-26T13:52:00.000+05:302008-02-26T13:52:00.000+05:30अमिता जी आप के मौन की अभिव्यक्ति भी खूब बोल रही है...अमिता जी आप के मौन की अभिव्यक्ति भी खूब बोल रही है.<BR/>बहुत सुंदर.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-33690309884745315812008-02-25T21:02:00.000+05:302008-02-25T21:02:00.000+05:30रचना प्रीतिकर लगी।रचना प्रीतिकर लगी।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39484017493900806782008-02-25T10:33:00.000+05:302008-02-25T10:33:00.000+05:30रातें चन्द्र किरण रस भीनीअतिरंजित सपने मानव केअरे ...रातें चन्द्र किरण रस भीनी<BR/>अतिरंजित सपने मानव के<BR/>अरे मौन ये भी अच्छा है<BR/>अन्धकार कितना सच्चा है <BR/><BR/>बहुत सुंदर लिखा है आपने अमिता <BR/><BR/>इस एकाकी नीरवता में<BR/>क्यों न हृदय की ग्रंथि खोलते<BR/>महामौन तुम नहीं बोलते<BR/>अनाहूत क्षण क्यों टटोलते<BR/>क्यों अमृत में गरल घोलते<BR/><BR/>मौन इस पर आपने जो भाव लिखे हैं वह बहुत अच्छे लगे ..सुंदर रचना के लिए बधाई !!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-81230890372167389262008-02-25T10:04:00.000+05:302008-02-25T10:04:00.000+05:30बहुत अच्छी बधाईबहुत अच्छी बधाईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19723368383067955402008-02-25T09:46:00.000+05:302008-02-25T09:46:00.000+05:30महा मौन तुम नहीं बोलतेक्यों अमृत में गरल घोलतेतम्ह...महा मौन तुम नहीं बोलते<BR/>क्यों अमृत में गरल घोलते<BR/>तम्हें नहीं बहला पाते हैं <BR/>ये हिमवर्षी सुन्दर दिन <BR/>" अच्छी कल्पना और मौन का मौन रहना एक प्रशन , बहुत खूब"seema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11521881304282173892008-02-24T18:20:00.000+05:302008-02-24T18:20:00.000+05:30अमिता जी बहुत ही प्यारी रचना,बधाई स्वीकार करें, ...अमिता जी बहुत ही प्यारी रचना,बधाई स्वीकार करें,<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-47811443010778454092008-02-24T17:32:00.000+05:302008-02-24T17:32:00.000+05:30प्रिय अमिता बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है। इसकी सबस...प्रिय अमिता <BR/>बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है। इसकी सबसे सुन्दर बात अलौकिकता लगी। <BR/>मदमाते यौवन की पावस<BR/>कभी बनी जो मधुर विह्वला<BR/>किन्तु आज इस सूने पन में<BR/>इस एकाकी नीरवता में<BR/>क्यों न हृदय की ग्रंथि खोलते <BR/>प्रभावी रचना । बहुत-बहुत बधाईशोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.com