tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post7565385337777323597..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: अधिकार किसकाशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44576413174969506742008-04-19T18:14:00.000+05:302008-04-19T18:14:00.000+05:30बहुत ऊँची सोच है आपकी लिखने वाले को इसी प्रकार गहर...बहुत ऊँची सोच है आपकी लिखने वाले को इसी प्रकार गहराई तक जाकर ही लोगों को प्ररित करना चाहिए <BR/>हार्दिक शुभकामनाओं सहित <BR/>मैत्रेयीUnknownhttps://www.blogger.com/profile/14239765073800522457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-64742086904753831182008-04-16T13:16:00.000+05:302008-04-16T13:16:00.000+05:30मोहिन्दर जी वाह!बहुत सही लिखा है..सारगर्भित रचनामोहिन्दर जी <BR/>वाह!<BR/><BR/>बहुत सही लिखा है..<BR/>सारगर्भित रचनाAlpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27427279133418268102008-04-16T12:36:00.000+05:302008-04-16T12:36:00.000+05:30मोहिंदर जी , सच्चाई को व्यक्त करती अच्छी कविता लिख...मोहिंदर जी , सच्चाई को व्यक्त करती अच्छी कविता लिखी है आपने , बधाई स्वीकारें .<BR/><BR/>^^पूजा अनिलAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70505072968257608492008-04-16T11:33:00.000+05:302008-04-16T11:33:00.000+05:30सच कहा आपने इस स्वार्थी दुनिया सब अपना अधिकार ही ज...सच कहा आपने इस स्वार्थी दुनिया सब अपना अधिकार ही जताते हैseema sachdevahttps://www.blogger.com/profile/15533434551981989302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1842627033342490832008-04-16T10:59:00.000+05:302008-04-16T10:59:00.000+05:30कुछ नया कहने का अच्छा प्रयास..भाव प्रधान.. लेकिन अ...कुछ नया कहने का अच्छा प्रयास..<BR/>भाव प्रधान.. लेकिन अधिकार की बात मत कीजिए.. इस दुनिया में सिर्फ देना सीखिए.. अधिकार आने वाली पीढियों का होगा ।Kavi Kulwanthttps://www.blogger.com/profile/03020723394840747195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24577235101038725892008-04-15T22:22:00.000+05:302008-04-15T22:22:00.000+05:30मोहिन्दर जी! भावात्मक रूप से तो रचना सशक्त है मगर ...मोहिन्दर जी! भावात्मक रूप से तो रचना सशक्त है मगर शिल्पगत दृष्टि से आपकी बहुत अच्छी रचनाओं में इसे मैं नहीं रख सकता. कविता में यदि लय के मोह से बचा जाता तो शायद बेहतर होता.SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-56246637716330071982008-04-15T21:58:00.000+05:302008-04-15T21:58:00.000+05:30बहुत भाव पूर्ण है , संदेशात्मक रचना |भाव इतने अच्छ...बहुत भाव पूर्ण है , संदेशात्मक रचना |<BR/><BR/>भाव इतने अच्छे लगे कि पढ़ते समय जो वर्तनी की गलती रमाजी ने बताया , उसपर ख्याल ही नही गया |<BR/>बधाई |<BR/><BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53238225185682868292008-04-15T21:23:00.000+05:302008-04-15T21:23:00.000+05:30वाह मोहिंदर जी अत्यन्त सुंदर और उतने ही गहरे भाव, ...वाह मोहिंदर जी अत्यन्त सुंदर और उतने ही गहरे भाव,<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-71076948439570712792008-04-15T21:02:00.000+05:302008-04-15T21:02:00.000+05:30बहुत भावपूर्ण रचना hai badhaiबहुत भावपूर्ण रचना hai badhaimehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36027497091195344402008-04-15T20:16:00.000+05:302008-04-15T20:16:00.000+05:30गहरी और भावपूर्ण कविता.गहरी और भावपूर्ण कविता.Manas Pathhttps://www.blogger.com/profile/17662104942306989873noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-33249154907871376272008-04-15T17:49:00.000+05:302008-04-15T17:49:00.000+05:30डा.रमा द्विवेदी said... अच्छी रचना है ....सब अधिक...डा.रमा द्विवेदी said...<BR/><BR/> अच्छी रचना है ....सब अधिकार की बात करते हैं ..कर्तव्य कोई निभाना नहीं चाहता..बधाई एक भाव प्रधान रचना के लिए।एक बात और कहना चाहूँगी थोड़ा वर्तनी पर भी ध्यान दें...जैसे ’खतपतवार’ नहीं होता बल्कि ’खरपतवार’ होता है।और भी एक दो जगह वर्तनी की गलतियाँ हैं...पुन: शुभकामनाओं के साथ साधुवाद....Ramahttps://www.blogger.com/profile/10010943809475838010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-69849631071666384002008-04-15T17:09:00.000+05:302008-04-15T17:09:00.000+05:30मोहिन्दर जीरचना उद्देश्य पूर्ण है-रितुऐं और भी आये...मोहिन्दर जी<BR/>रचना उद्देश्य पूर्ण है-<BR/>रितुऐं और भी आयेंगी<BR/>यदि अस्तित्व इस तरू का रहा.<BR/>डाल और तरू बने रहें यही कामना है।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-52429143887107916592008-04-15T17:00:00.000+05:302008-04-15T17:00:00.000+05:30बहुत सुंदर मोहिन्दर जी। बहुत साधारण तरीके से आपने ...बहुत सुंदर मोहिन्दर जी। बहुत साधारण तरीके से आपने गहरी बात बता दी। इस पेड़ की कहानी को हम अपने घर, देश, कम्पनी या कोई भी संस्था के लिये इस्तेमाल कर सकते हैं। कईं बार होता है कि एक कम्पनी जो ८-१० लोगों की मेहनत से बनी हो उसपर हर कोई अपना हक समझने लगता है । जबकि वो किसी एक की नहीं होती। या हम अपने देश की ही बात करें। हम अपने कर्त्तव्य भूल जाते हैं और अधिकारों की बात करने लगते हैं।<BR/>पर एक पेड़ है ज किसी पर हक नहीं जताता बल्कि केवल देने में (अपने कर्त्तव्य पर) यकीन रखता है। क्या मनुष्य अपना स्वार्थ भूल सकता है?यदि हे कोई अपने कर्त्तव्य पर ध्यान दे तो हक की बात करने की जरूर नही पड़ेगी।तपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28784645646024661332008-04-15T16:12:00.000+05:302008-04-15T16:12:00.000+05:30मोहिन्दर जी,यही सत्य है। इस बिम्ब नें आपके कथ्य को...मोहिन्दर जी,<BR/><BR/>यही सत्य है। इस बिम्ब नें आपके कथ्य को बेहद मजबूती से रखा है साथ ही आपका सटीक चित्र मानो कविता स्वयं कह रहा है।<BR/><BR/>रितुऐं और भी आयेंगी<BR/>यदि अस्तित्व इस तरू का रहा.<BR/><BR/>बहुत ही सारगर्भित रचना। बधाई स्वीकारें..<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54336400286501396642008-04-15T15:15:00.000+05:302008-04-15T15:15:00.000+05:30वाह मोहिन्दर जी वाह..मज़ा आ गया पढ़कर, बहुत सही लिखा...वाह मोहिन्दर जी वाह..<BR/><BR/>मज़ा आ गया पढ़कर, बहुत सही लिखा है..<BR/>स्वाद और स्वार्थ में मुर्गी मार सारे अंड़े लेने की कहानी पेड़ के माध्यम से.. <BR/><BR/>सुन्दर रचना..भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-90348977560552811342008-04-15T15:04:00.000+05:302008-04-15T15:04:00.000+05:30उन हाथों का जो रहे उसे सहेजतेआसपास उगती खतपतवार को...उन हाथों का जो रहे उसे सहेजते<BR/>आसपास उगती खतपतवार को हटा ?<BR/>अब तो वो पक्षी भी<BR/>हक अपना जताने लगे<BR/>आपात काल में जिन्होंने<BR/>इसपर नीड लिये थे बना<BR/>पेड की किसको पडी<BR/>बस उस डाली पर आंख है<BR/><BR/>बहुत गहरे भाव और कटाक्ष लिखा है आपने ..अच्छा लिखा है :)रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66579824662844553922008-04-15T14:40:00.000+05:302008-04-15T14:40:00.000+05:30गहरे भाव हैं.यहां हर कोई सिर्फ़ अपना अधिकार जताना च...गहरे भाव हैं.यहां हर कोई सिर्फ़ अपना अधिकार जताना चाहता है.चाहे बात भूमि कि हो या भावनाओं की.पर यह तरु हीं है जो किसी पर अपना अधिकार नहीं जताता.पत्थर भी मारने पर फ़ल हीं देता है.<BR/>काश मनुष्य भी ऐसा होता तो सारे द्वन्द यही खत्म हो जाते.सुन्दर रचना के लिये धन्यवाद.Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.com