tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post7429238947023812637..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: वो अल्लाह मेरा भी हैशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-86527592352981130082008-12-07T19:56:00.000+05:302008-12-07T19:56:00.000+05:30आप भी क्रांति पर उतर आयीं.जरुरी ही है कि एक मां इस...आप भी क्रांति पर उतर आयीं.जरुरी ही है कि एक मां इस राह को धरे.........<BR/>आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66946891804882068082008-12-06T13:39:00.000+05:302008-12-06T13:39:00.000+05:30आप की कविता मैं छाया विद्रोह स्वतः ही नज़र आता है ...आप की कविता मैं छाया विद्रोह स्वतः ही नज़र आता है <BR/><BR/>काश उस माँ की दुआ सुन ली जाएदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24649067847305677732008-12-05T21:12:00.000+05:302008-12-05T21:12:00.000+05:30या अल्लाह !इस माँ की बद्दुआ कुबूल करयह जानती है कि...या अल्लाह !<BR/>इस माँ की बद्दुआ कुबूल कर<BR/>यह जानती है कि यह क्या कह रही है<BR/>या उन नामुरादों को समझ दे<BR/>जो नहीं जानते <BR/>कि वे क्या कर रहे हैं !<BR/>...........................<BR/>क्योंकि तू मेरा भी है।<BR/>--देवेन्द्र पाण्डेय।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-40703698201233236802008-12-05T19:56:00.000+05:302008-12-05T19:56:00.000+05:30ये उस माँ शाप हैशायद इस में माँ के बाद "का" छूट गय...ये उस माँ शाप है<BR/>शायद इस में माँ के बाद "का" छूट गया है मुझे लगता है पर जो लिखता है उस को ज्यादा पता होता है <BR/>कविता की सुन्दरता में कोई कमी नही है एक माँ के दिल की भड़ास है और सही भी है <BR/>सादर<BR/>रचनाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57344655946283763842008-12-05T14:48:00.000+05:302008-12-05T14:48:00.000+05:30नहीं मिलेगी दोजख में भी जगह ये उस माँ का शाप हैजिस...नहीं मिलेगी <BR/>दोजख में भी जगह <BR/>ये उस माँ का शाप है<BR/>जिसने तुम्हारे लिए<BR/>पाँचों वक़्त की नमाज़ अदा करनी<BR/>शुरू कर दी है<BR/>तुम्हारी तबाही के लिए<BR/>तुम्हारी बर्बादी के लिए <BR/>क्योंकि वो अल्लाह मेरा भी है<BR/> <BR/>आक्रोश की पराकाष्ठा !!!<BR/><BR/>बहुत खूब नीलाम जी Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19174069582828904692008-12-05T14:26:00.000+05:302008-12-05T14:26:00.000+05:30ममता के आक्रोश को मेरा भी नमन....ममता के आक्रोश को मेरा भी नमन....Nikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13041878772789741992008-12-05T14:06:00.000+05:302008-12-05T14:06:00.000+05:30एक इंसान के अंदर का आक्रोश कैसा रंग ले सकता है,इसक...एक इंसान के अंदर का आक्रोश कैसा रंग ले सकता है,इसका साक्षात उदाहरण नीलम जी की रचना है। <BR/><BR/>हर धर्म का खुदा सच्चों और अच्छों की हीं सुनता है। इसलिए खुदा को उसके बंदों की सुननी हीं होगी और हाँ आतंकवादी खुद को जेहादी कहें,मुज़ाहिद कहें या फिर इस्लाम के सच्चे अनुयायी, खुदा हीं जानता है कि उनकी सच्चाई क्या है। वे किसी भी धर्म के नहीं है और ना हीं किसी भी धर्म के ठेकेदार। इसलिए मुमकिन है कि जिस खुदा को बदनाम कर रहे हैं वे, उसी खुदा का रोष उन्हें सहना पड़े, बस खुदा के बंदों को नीलम जी जैसी बंदगी शुरू करनी होगी!!!<BR/><BR/>-तन्हाविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-4372967143587072542008-12-05T14:05:00.000+05:302008-12-05T14:05:00.000+05:30होश जोश अक्रोश रोष देखो कविता कासरफरोश बन गया रूप ...होश जोश अक्रोश रोष देखो कविता का<BR/>सरफरोश बन गया रूप प्यारी ममता काभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.com