tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post7342781959113521953..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: ओ कैटरपिलर! जैसे नींव में पत्थर!शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59337251208516160002009-11-10T21:43:07.635+05:302009-11-10T21:43:07.635+05:30कई दिन बाद आया...
पढा तो कविता का ढंग बड़ा पसंद आय...कई दिन बाद आया...<br />पढा तो कविता का ढंग बड़ा पसंद आया....<br /><br />जिसने भी लिंक दिया आपका ... सही ही दिया है....<br />ऐसे ही लिखते रहे..manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13061991028036784892009-11-05T20:28:51.582+05:302009-11-05T20:28:51.582+05:30NEELAM JI NE BAHUT SAHI BAAT KAHI HAI ME UNSE SAH...NEELAM JI NE BAHUT SAHI BAAT KAHI HAI ME UNSE SAHMAT HOON<br />RACHANArachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28774171575859868982009-11-05T17:14:32.394+05:302009-11-05T17:14:32.394+05:30सुन्दर मुद्दा है |
बधाई
अवनीशसुन्दर मुद्दा है |<br /><br /><br />बधाई<br />अवनीशअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-91190255998809708092009-11-05T15:18:13.225+05:302009-11-05T15:18:13.225+05:30मनोज जी,
एक कैटरपिलर जैसे जीव पर इतनी सुंदरता और स...मनोज जी,<br />एक कैटरपिलर जैसे जीव पर इतनी सुंदरता और सूक्ष्मता से आपने कविता लिखी है उसके लिए बधाई. कितना अच्छा बखान किया है, वाह!Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44658113799047915792009-11-05T10:56:56.958+05:302009-11-05T10:56:56.958+05:30विचार बांटने के लिए लिखता हूं। जन्तु विज्ञान का छा...विचार बांटने के लिए लिखता हूं। जन्तु विज्ञान का छात्र था और साहित्य (हिंदी-कविता) का प्रेमी। सोचा दोनों का ऋण कैसे चुकाऊं।<br /><br />पर मनोज जी ,<br />अब हम सब क्या करें जिन्होंने आपकी कविता पढ़ ली ,वो सब तो आपके कर्जदार हो गए ,कोई बात नहीं आप ऋणमुक्त होते रहिये ,हम सब कर्जदार बनते रहेंगे .<br />कविता के अनूठे विषय को अनूठे ढंग से प्रस्तुत करने पर बहुत -बहुत बधाईneelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68651857989772809912009-11-04T23:17:09.373+05:302009-11-04T23:17:09.373+05:30अति उत्तम. नवीन सोच
बहुत बहुत बधाई
सादर
रचनाअति उत्तम. नवीन सोच <br />बहुत बहुत बधाई <br />सादर<br />रचनाrachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1848610438187859832009-11-04T19:33:47.551+05:302009-11-04T19:33:47.551+05:30तुम प्रतीक हो,
बेबस बेचारों के,
मोहताज़ मज़दूरों,
...तुम प्रतीक हो,<br />बेबस बेचारों के,<br />मोहताज़ मज़दूरों,<br />लाचारों के।<br />हे श्रमजीवी!<br />करके तैयार,<br />रंग-विरंगे वस्त्रों का,<br />रेशमी संसार।<br />तुम मिटते हो,<br />पटते हो,<br />जैसे नींव में पत्थर।<br />ओ कैटरपिलर!<br /> <br />कैटरपिलर! ke madhayam se aapne samaj ke upekshit varg ke jeewan sangharsh ko udghatit kar sundar bimb prashtut kiya hai uske liye aapko bahut badhai.<br />युनिपाठक चुने जाने के लिये बधाई.कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11218007518893181272009-11-04T15:47:31.660+05:302009-11-04T15:47:31.660+05:30ऊपर जिन सभी सुधी पाठकवृंद ने टिप्पणियां दी हैं, उन...ऊपर जिन सभी सुधी पाठकवृंद ने टिप्पणियां दी हैं, उन सबका मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। कल के मेरे परिचय में आपने पढ़ा होगा कि मैं पेशेवर कवि नहीं हूं, पर अपनी भावनाएं और विचार बांटने के लिए लिखता हूं। जन्तु विज्ञान का छात्र था और साहित्य (हिंदी-कविता) का प्रेमी। सोचा दोनों का ऋण कैसे चुकाऊं। लिखता गया और कैटरपिलर का सृजन हो गया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-56438092445579035042009-11-04T13:55:25.104+05:302009-11-04T13:55:25.104+05:30pathak ke taur par aapme ik alag dristhi hai vase ...pathak ke taur par aapme ik alag dristhi hai vase hi kavi ke taur par bhi.<br />accha padne aur usse bhi accha likhne ke liye bahayee.Akhileshhttps://www.blogger.com/profile/09641299718027515895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39263240885937419422009-11-04T12:49:15.101+05:302009-11-04T12:49:15.101+05:30वाह, मनोज भाई वाह ! हमारे दैनिक जीवन में कड़ी मेहनत...वाह, मनोज भाई वाह ! हमारे दैनिक जीवन में कड़ी मेहनत से हमारी सुख-सुविधाओं को सजाने वाले श्रमिक वर्ग के उत्पीड़्न को कैटरपिलर के जीवन काल से जोड़ कर आपने शिक्षित - सम्भ्रांत वर्ग की आँखों से उच्चक मनोग्रंथी (superiority complex) का चश्मा उतारने का एक नवीन और सराहनीय प्रयास किया है । ऐसे प्रयास आप आगे भी जारी रखें । यह मानवता के लिये बहुत बड़ा योगदान होगा । इस कविता को मैं तो प्रथम स्थान पर रखना चाहूँगा । हालाँकि, अच्छे कवि को इससे फ़र्क नहीं पड़्ता । बहुत - बहुत बधाई ।मयंक सिंह सचानnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53296187703031750092009-11-04T10:56:45.363+05:302009-11-04T10:56:45.363+05:30कैटरपिलर!
तुम प्रतीक हो,
बेबस बेचारों के,
मोहताज़ ...कैटरपिलर!<br />तुम प्रतीक हो,<br />बेबस बेचारों के,<br />मोहताज़ मज़दूरों,<br />लाचारों के।<br />हे श्रमजीवी!<br />करके तैयार,<br />रंग-विरंगे वस्त्रों का,<br />रेशमी संसार।<br />तुम मिटते हो,<br />पटते हो,<br />जैसे नींव में पत्थर।<br /><br />समाज के उपेक्षित वर्गों पर इतनी संवेद्य कविता दुर्लभ ही है. नए प्रतीक और उपमान गढ़ के तो आपने साहित्य का उपकार किया ही है. कविता मे छिद्रान्वेषण की अपनी प्रवृती से वशीभूत इस कविता को बार-बार पढ़ कर मैं यही निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ कि "भाव अनूठे चाहिए, भाषा से क्या काम ?" <br />धन्यवाद !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39439178732396320422009-11-03T22:40:11.462+05:302009-11-03T22:40:11.462+05:30समाज के उपेक्षित श्रमिक वर्ग को सुंदर और सटीक बिम्...समाज के उपेक्षित श्रमिक वर्ग को सुंदर और सटीक बिम्बों के माध्यम से दर्शाते हुए कवि उनके औचित्य पर भी प्रकाश डालता है। एक बहुत ही सधी हुई लेखनी का कमाल पढ़कर मन प्रसन्न हो गया। कैटरपिलर तक भी कवि पहुंच सकता है, और उसे इतना महत्वपूर्ण ढ़ंग से गढ़ सकता है, मेरी कल्पना से परे था। कवि को उसके पुरस्कृत होने पर बधाई और हिन्दयुग्म को ऐसी रचना पेश करने के लिए साधुवाद।हर्षिताhttps://www.blogger.com/profile/04799029469213410208noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-71694025729347332372009-11-03T22:14:28.828+05:302009-11-03T22:14:28.828+05:30आदरणीय मनोज जी, आपकी यह बेमिसाल कविता कैटरपिलर के ...आदरणीय मनोज जी, आपकी यह बेमिसाल कविता कैटरपिलर के बहाने साहित्य और कला के प्रचिलित सौन्दर्य के बिम्बों को तोड़ती है..और श्रम के सौन्दर्य, पसीने की सुगन्ध को समाज मे उसका उचित स्थान देने के लिये प्रतिबद्ध लगती है..और साथ ही हमारे समाज के सबसे अहम् मगर सबसे उपेक्षित प्रतीकों को हाइलाइट भी करती है..पढ़ कर सहसा निराला जी की गेहूँ और गुलाब की याद आती है..<br />एक बेहतरीन कविता के लिये आभार व युनिपाठक चुने जाने के लिये बधाई..काफ़ी कुछ सीखने को मिलेगा आपसे...उम्मीद है!!!अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-24852336668837716082009-11-03T18:31:33.629+05:302009-11-03T18:31:33.629+05:30कैटरपीलर पर इससे अच्छी कविता क्या हो सकती है भला!कैटरपीलर पर इससे अच्छी कविता क्या हो सकती है भला!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-92232803291940712002009-11-03T14:18:00.788+05:302009-11-03T14:18:00.788+05:30मनोज जी,
आपने बहुत हीं खुबसूरत लिखा है। इस कविता क...मनोज जी,<br />आपने बहुत हीं खुबसूरत लिखा है। इस कविता की प्रशंसा के लिए मेरे पास शब्द नहीं है।<br /><br />बधाई स्वीकारें,<br />विश्व दीपकविश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-33854054520649317042009-11-03T13:30:16.655+05:302009-11-03T13:30:16.655+05:30तेरी ठहरी हुई सी
गति में जो माधुर्य है,
तिल-तिल सर...तेरी ठहरी हुई सी<br />गति में जो माधुर्य है,<br />तिल-तिल सरकने में<br />जो संघर्ष है, चातुर्य है,<br />वह तितलियों की उड़ान में कहां?<br />यह लाघव जहान में कहां?<br /><br />Manoj ji, aapne likha hi nahi behtareen likha hai..nya creation and ultimate...bahut bahut badhayi..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.com