tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6940774235529667883..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: चाँद-3शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11584764863609946572008-04-29T19:29:00.000+05:302008-04-29T19:29:00.000+05:30विपुल जी,सुंदर रचना.बधाई स्वीकार करें आलोक सिंह "स...विपुल जी,सुंदर रचना.बधाई स्वीकार करें<BR/> आलोक सिंह "साहिल"Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53790145568884914432008-04-29T11:11:00.000+05:302008-04-29T11:11:00.000+05:30ह्म्म्म्म्म्म वंडरफुल कैदी न.-3 मेरा मतलव चाँद-3,ब...ह्म्म्म्म्म्म वंडरफुल कैदी न.-3 मेरा मतलव चाँद-3,<BR/><BR/>बढिया कोशिश लिखते रहें आप सोलहवीं कला तक शीघ्र पहुँचने वाले हैं.<BR/><BR/>शुभकामनायेंभूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghavhttps://www.blogger.com/profile/05953840849591448912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-46118690372310152302008-04-28T10:41:00.000+05:302008-04-28T10:41:00.000+05:30अश्कों की नमी ठंड लगीवफ़ा का कंबल नदारदएक दिन,दो द...अश्कों की नमी <BR/>ठंड लगी<BR/>वफ़ा का कंबल नदारद<BR/>एक दिन,दो दिन <BR/>दो साल,चार साल <BR/>जीवन भर?<BR/>अब क़ैदखाना नहीं<BR/>अश्कों का ताबूत!<BR/>टूटी साँस..<BR/>उम्मीद का कफ़न <BR/>चाँद की लिपटी लाश!<BR/>और फिर जनाज़ा...<BR/>स्याह रात से भोर तक!<BR/><BR/>पंक्तियाँ अच्छी लगी ......सीमासीमा सचदेवhttps://www.blogger.com/profile/04082447894548336370noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19862143221822228652008-04-27T19:52:00.000+05:302008-04-27T19:52:00.000+05:30गौरव जी,आपकी टिप्पणी का इंतज़ार रहता है मुझे| वास्...गौरव जी,<BR/>आपकी टिप्पणी का इंतज़ार रहता है मुझे| वास्तव में मैं जिस बात को सोच कर कविता लिखता हूँ आप उस से एक अलग ही पक्ष प्रस्तुत करते हैं|<BR/>इसी बहाने अपने कविता को एक आलोचक की दृष्टि से भी मैं देख पाता हूँ| <BR/>आपने कहा "चाँद कविता में जबरदस्ती घुस आया है।" आप इस कविता से चाँद को निकाल दीजिए ... एक-दो बिंबों के अलावा कुछ नही रह जाएगा कविता में !<BR/>कविता शुरू हुई ही थी चाँद के लिए| चाँद- "एक ईमानदार कैदी" इसी विचार को लेकर मैने चाँद के इर्द-गिर्द ही कविता बुनी| ऊपर के दो पैरा मैने कविता में बहुत बाद में जोड़े!वह भी इसीलिए कि "सुनसान रण" वाला विचार मेरे मन में आया | अन्यथा आप मेरी शैली से सर्वथा भिन्न आकार में बहुत ही छोटी कविता पढ़ते!<BR/>खैर..सभी का अपना अपना नज़रिया होता है| आपको जो लगा आपने लिख दिया|आगे से भी आपसे ऐसी ही टिप्पणी की आशा रहेगी!विपुलhttps://www.blogger.com/profile/15032635217536871012noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-1887970501501045982008-04-27T11:40:00.000+05:302008-04-27T11:40:00.000+05:30चाँद कविता में जबरदस्ती घुस आया है। पहले विषय चुन ...चाँद कविता में जबरदस्ती घुस आया है। पहले विषय चुन कर कविता लिखने पर अक्सर ऐसा होता है। यदि कविता का अपना प्रवाह बने रहने देते और चाँद का प्रवेश केवल तभी होता, जब उसकी जरूरत होती, तो कविता सच में बहुत अच्छी बनती।<BR/>वैसे कम शब्दों में बहुत कुछ कहा है और एक नया स्टाइल देखने को मिला तुम्हारी कविता में।<BR/>लगे रहो।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7429952566402193462008-04-27T08:47:00.000+05:302008-04-27T08:47:00.000+05:30बहुत सुंदर विपुल, लेकिन किरदार में इस बार चाँद के ...बहुत सुंदर विपुल, लेकिन किरदार में इस बार चाँद के रूप में भी कहीं बुधिया तो नही... पर कविता में कहीं कोई कमी नही.... बेहतरीन ...Sajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-2081160884774051952008-04-26T23:44:00.000+05:302008-04-26T23:44:00.000+05:30सपनों की सिसकियाँसुबकती चाहत!...............और फिर...सपनों की सिसकियाँ<BR/>सुबकती चाहत!<BR/>...............<BR/>और फिर जनाज़ा<BR/>स्याह रात से भोर तक !<BR/>shuraat se ant tak bahut khoobAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-70758246286103866202008-04-26T20:37:00.000+05:302008-04-26T20:37:00.000+05:30विपुल जी ...........बुधिया श्रृंख्ला आपकी बहुत ही ...विपुल जी ...........<BR/>बुधिया श्रृंख्ला आपकी बहुत ही लोकप्रिय रही .........और अब चाँद में भी आपने बहुत अच्छा प्रयास किया ............<BR/>इस रचना के लिए बहुत बहुत बधाई ...............Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/05993978901105904882noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-15988296879206343942008-04-26T19:45:00.000+05:302008-04-26T19:45:00.000+05:30tum bahut achha likhte hoAniltum bahut achha likhte ho<BR/>Anilmasoomshayerhttps://www.blogger.com/profile/03204731223754279697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-14549759731063427332008-04-26T18:42:00.000+05:302008-04-26T18:42:00.000+05:30विपुल जी, मुझे आप की कविता बहुत पसंद आई विशेषतः यह...विपुल जी, मुझे आप की कविता बहुत पसंद आई विशेषतः यह पंक्ति चाँद इमानदार कैदी ,दिन भर मुक्त और रात ? ठंड , ठिठुरन मौत और फिर जनाजा श्याह रात से भोर तकUnknownhttps://www.blogger.com/profile/12083518348043568548noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11028034562753175202008-04-26T18:00:00.000+05:302008-04-26T18:00:00.000+05:30बहुत ही खूबसूरत बधाईबहुत ही खूबसूरत बधाईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-3372429751318492592008-04-26T17:12:00.000+05:302008-04-26T17:12:00.000+05:30विपुल जी............ बहुत ही सुन्दर रचना है.........विपुल जी............ बहुत ही सुन्दर रचना है..........<BR/>"चांद....... ईमानदार कैदी" शब्दों का प्रयोग बहुत कमाल का है,<BR/>आपकी यही लेखन शैली का तरीका आपको औरों से अलग बनाता है,<BR/>एक सुन्दर रचना कि लिये आप पुनः बधाई के पात्र है............ शुभेच्छा........<BR/>....................................................................-नितिन शर्माAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07232352631273151877noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-41772095675221270472008-04-26T17:00:00.000+05:302008-04-26T17:00:00.000+05:30Vipulji....... so nice sir.......I've no word to e...Vipulji....... <BR/>so nice sir.......<BR/>I've no word to explain for your Great and lovely poetry, realy too good, and again congratulation for your great feelings and nice poetry..................................................-Nitin SharmaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07232352631273151877noreply@blogger.com