tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6921938001260768247..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: भग्न अवसानशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-45667837801261250922010-01-20T08:31:43.228+05:302010-01-20T08:31:43.228+05:30विनय जी
बहुत खूबसूरत रचना
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बचपन में, सो जा
नह...विनय जी<br />बहुत खूबसूरत रचना<br />....<br />बचपन में, सो जा <br />नहीं तो शेर आ जाएगा से, खंडित विश्वास को <br />कई हमसफ़र मिलते चले गए और<br />इस देह मंदिर से मूल्य रिसते चले गए. <br />....बेहतरीन...<br />bharat bhushanAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28914502618737686382010-01-16T12:14:06.381+05:302010-01-16T12:14:06.381+05:30कब जान दी, ज़िन्दगी बनाने खातिर
मानव गोस्त और सत्...कब जान दी, ज़िन्दगी बनाने खातिर <br />मानव गोस्त और सत्ता वेश्या के लिए तो <br />रोज ही खुदकशी करता रहा,<br />दोष किसका ?<br />बचपन में, सो जा <br />नहीं तो शेर आ जाएगा से, खंडित विश्वास को <br />कई हमसफ़र मिलते चले गए और<br />इस देह मंदिर से मूल्य रिसते चले गए. <br />जब आस्था और विश्वास ही <br />मुर्दा हो तो, <br />इंसान ज़िंदा नहीं होता,<br />जिस्मों में पानी और आग <br />न हो तो ,<br />स्पंदन पैदा नहीं होता<br />लाशो के समागम से <br />जीवन पैदा नहीं होता .<br /><br />very nice .................<br />bahut achchi prastuti,par kaafi dinon ke baad ???????????neelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35744645628749390252010-01-15T21:20:51.369+05:302010-01-15T21:20:51.369+05:30सचाई को आईना दिखाती एक खूबसूरत रचना...बहुत-बहुत बध...सचाई को आईना दिखाती एक खूबसूरत रचना...बहुत-बहुत बधाई!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80763760494659962312010-01-15T15:38:29.379+05:302010-01-15T15:38:29.379+05:30विनय जी एक उम्दा रचनाकार हैं |
यह रचना भी अच्छी है...विनय जी एक उम्दा रचनाकार हैं |<br />यह रचना भी अच्छी है लेकिन आपके स्तर से नीचे लगती है | कई वर्तनी की त्रुटियाँ हैं |<br />आप से और अच्छे रचना की प्रतीक्षा में ...<br /><br />अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-55834083936109416812010-01-14T23:21:58.938+05:302010-01-14T23:21:58.938+05:30Bhoot Khoob Vinay.
Bachapan ki choothi sei baat ko...Bhoot Khoob Vinay.<br />Bachapan ki choothi sei baat ko lekae bahut bada example diya hai aapne. JIn baaton ko hum andekha kar dete hai unko aapnse bahut hi aachi tarah se likha hai....<br />Bahut khoob.....Rahulhttps://www.blogger.com/profile/05135346382059928580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11902821158723149032010-01-14T23:06:17.961+05:302010-01-14T23:06:17.961+05:30वास्तव में आज इंसान थोड़ा थोड़ा हर रोज मर रहा है क...वास्तव में आज इंसान थोड़ा थोड़ा हर रोज मर रहा है कभी पूरी मौत आती नही ..पूरी मौत के आने तक उसमें कुछ ऐसी चीज़ बचाती ही नही जिसके नष्ट होने का मरना कहे..बस यह शरीर रह जाता है उसमें जान नही रह जाती बाकी मर तो वो पहले ही जाता है इस संसार में अपनी जीविका पालन करते करते ..एक सुंदर भाव को पिरोती हुई बेहतरीन कविता..बधाई!!विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59816800168785148512010-01-14T18:58:36.811+05:302010-01-14T18:58:36.811+05:30अति सुंदर विनय जी बहुत बहुत बधाई लेकिन
"बचपन ...अति सुंदर विनय जी बहुत बहुत बधाई लेकिन<br />"बचपन में, सो जा<br />नहीं तो शेर आ जाएगा"<br />से विश्वास खंडित हुआ मैं नहीं मानता इसके बाबजूद भी समग्र रूप से इस सुंदर रचना के लिए आपको फिर से बधाई.Anonymousnoreply@blogger.com