tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6912785730935519021..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: एक क़ुबूलनामाशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-8271435651364502052010-12-29T05:25:34.190+05:302010-12-29T05:25:34.190+05:30behad khoobsoorat najm swapnil ......:):)behad khoobsoorat najm swapnil ......:):)Vandana Singhhttps://www.blogger.com/profile/14920537433543551573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68876029464869162122010-12-27T12:43:07.888+05:302010-12-27T12:43:07.888+05:30बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ...।बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ...।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-9548685678666752062010-12-26T16:01:51.007+05:302010-12-26T16:01:51.007+05:30पुराने रिवाजों की जंज़ीर की तरह
काट दिए पेड,
मेरा ...पुराने रिवाजों की जंज़ीर की तरह<br />काट दिए पेड,<br />मेरा ही नाम अलग अलग तरह<br />रख कर<br />लड़ रहा है आपस मे<br />मेरे सही नाम के लिए,<br />लम्हा-लम्हा क़तरा-क़तरा<br />निगल रहा है धरती को...<br /><br /> <br />स्वप्निल जी सुन्दर भावाभिव्यक्ति हैं ......अनिल कार्कीhttps://www.blogger.com/profile/02042036588626433736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-89101756955613713552010-12-26T15:59:09.638+05:302010-12-26T15:59:09.638+05:30पुराने रिवाजों की जंज़ीर की तरह
काट दिए पेड,
मेरा ...पुराने रिवाजों की जंज़ीर की तरह<br />काट दिए पेड,<br />मेरा ही नाम अलग अलग तरह<br />रख कर<br />लड़ रहा है आपस मे<br />मेरे सही नाम के लिए,<br />लम्हा-लम्हा क़तरा-क़तरा<br />निगल रहा है धरती को...<br /><br /> <br />स्वप्निल जी सुन्दर भावाभिव्यक्ति हैं ......अनिल कार्कीhttps://www.blogger.com/profile/02042036588626433736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-82572300407672863462010-12-25T17:31:31.110+05:302010-12-25T17:31:31.110+05:30I Salute to this thought. Ye sach mein Dharti maa ...I Salute to this thought. Ye sach mein Dharti maa ke liye tribute hai <br /><br />Good One swapnilप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-71939514601117610992010-12-25T09:01:33.493+05:302010-12-25T09:01:33.493+05:30इंसान से धरती को बचाने की खातिर
मैंने तूफानों मे ज...इंसान से धरती को बचाने की खातिर<br />मैंने तूफानों मे ज्यादा हवा भरी,<br />पानी की शक्ल भी बाढ़ की तरह<br />भयानक की,<br />कितने ही ज्वालामुखियों में<br />वक़्त-बेवक़्त फूँक मारी है मैंने<br />ताकि मर जाएँ इंसान<br />इससे पहले कि धरती मर जाये<br />मगर बार-बार ये बचा लेती है इन्हें<br />छिपा के अपने आँचल में<br />....माँ की तरह !<br />aap ye panktiyan mujhe bahut achchhi lagin<br />badhai<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-69335572721261872242010-12-25T09:00:04.960+05:302010-12-25T09:00:04.960+05:30फटाफट (25 नई पोस्ट): जब ग़ज़ल मुश्किल हुई
। एक क़ु...फटाफट (25 नई पोस्ट): जब ग़ज़ल मुश्किल हुई<br />। एक क़ुबूलनामा । अनवरत । तेंदुलकर हर किरकेटर का चच्चा लगता है । हम शब्दों के बुनकर हैं । प्रतीक्षा । ओ बिरादरी वालों । उस वक्त को याद करते हुए उमेश पंत । बस्तर के गाँव में । जरूरी संवादों के संग नवंबर यूनिप्रतियोगिता के परिणाम । आँसुओं के ढेर में । 48वीं यूनिकवि एवं यूनिपाठक प्रतियोगिता में भाग लें । यह देवालय का छल है । लड़कियाँ । बेटियाँ । रहस्यमयी प्रेम कथाओं वाले मित्र । आंख में तिनका या सपना । कंकरीट के जंगल में । जैदी तुम आओगे ? । उसके नाम पर । क्रान्ति बीज लो । तुम कब आओगे पता नहीं । टुकड़ा-टुकड़ा वक़्त चबाती तनहाई । उम्र के धूप चढ़ल । खोल दो । जब ग़ज़ल मुश्किल हुई www.hindyugm.com<br />Friday, December 24, 2010<br />एक क़ुबूलनामा<br />स्वप्निल तिवारी ’आतिश’ एक सक्षम कवि और सक्रिय पाठक के तौर पे हिंद-युग्म पर जाने जाते हैं। इनकी गज़लें और नज़्में अक्सर प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रकाशित होती हैं और पाठकों का प्रतिसाद पाती हैं। इनकी पिछली रचना अगस्त माह मे प्रकाशित हुई थी। नवंबर माह मे इनकी प्रस्तुत रचना आठवें स्थान पर रही है।<br /><br />पुरस्कृत रचना: एक क़ुबूलनामा <br /><br />समुन्दर पी लेता है मुझे<br />और हो जाता है और गहरा,<br />मेरी छाँव में आते जाते<br />घटती बढती रहती हैं<br />कलाएं चाँद की,<br />मेरी कई तासीरों मे से एक<br />मांगकर बरस लेते हैं बादल,<br />कायनात की हर शय “मैं” हूँ,<br />बस ये धरती है जो मैं नहीं हो पाया,<br />वामन बन कर कोशिश भी की<br />कि नाप लूँ एक कदम मे इसे<br />और खुद हो जाऊं धरती<br />ताकते जब्त* मगर मुझमे नहीं इस जैसी |<br /><br />इंसान ने<br />पुराने रिवाजों की जंज़ीर की तरह<br />काट दिए पेड,<br />मेरा ही नाम अलग अलग तरह<br />रख कर<br />लड़ रहा है आपस मे<br />मेरे सही नाम के लिए,<br />लम्हा-लम्हा क़तरा-क़तरा<br />निगल रहा है धरती को....<br /><br />इंसान से धरती को बचाने की खातिर<br />मैंने तूफानों मे ज्यादा हवा भरी,<br />पानी की शक्ल भी बाढ़ की तरह<br />भयानक की,<br />कितने ही ज्वालामुखियों में<br />वक़्त-बेवक़्त फूँक मारी है मैंने<br />ताकि मर जाएँ इंसान<br />इससे पहले कि धरती मर जाये<br />मगर बार-बार ये बचा लेती है इन्हें<br />छिपा के अपने आँचल में<br />....माँ की तरह !<br />aap ki ye panktiyan mujhe bahut achchhi lagin<br />bahut bahut badhai ho.<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26931767621815259132010-12-24T22:26:50.141+05:302010-12-24T22:26:50.141+05:30सुन्दर रचना के लिए बधाईसुन्दर रचना के लिए बधाई‘सज्जन’ धर्मेन्द्रhttps://www.blogger.com/profile/02517720156886823390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-44326301050873291702010-12-24T21:43:17.200+05:302010-12-24T21:43:17.200+05:30मैं धरती नहीं हूँ
मैं खुदा हूँ
जो आता है बन कर सुन...मैं धरती नहीं हूँ<br />मैं खुदा हूँ<br />जो आता है बन कर सुनामी<br />मगर धरती कर देती है जिसे चुप<br />उतरे हुए बाढ़ के पानी की तरह ... !<br /><br />बहुत खूब स्वप्निल जी बहुत खूब| बधाई स्वीकार करें|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-57877325686854574022010-12-24T20:14:40.233+05:302010-12-24T20:14:40.233+05:30धरती इंसान कि सारी गलतियों को माफ कर देती है ....ब...धरती इंसान कि सारी गलतियों को माफ कर देती है ....बहुत अच्छी नज़्म ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83115529249255427322010-12-24T15:10:11.400+05:302010-12-24T15:10:11.400+05:30... prabhaavashaalee rachanaa !!!... prabhaavashaalee rachanaa !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54382038126665589482010-12-24T14:43:22.198+05:302010-12-24T14:43:22.198+05:30ओह ...क्या बात कही....
सचमुच प्रशंसनीय कविता है.....ओह ...क्या बात कही....<br /><br />सचमुच प्रशंसनीय कविता है..<br /><br />मन बाँध लिया इसने...<br /><br />बहुत बहुत सुन्दर रचना...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-21725452284071143842010-12-24T12:43:50.347+05:302010-12-24T12:43:50.347+05:30:):)aanchhttps://www.blogger.com/profile/12004369686089477867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-2230298218815188582010-12-24T10:42:59.538+05:302010-12-24T10:42:59.538+05:30धरती धारिणी है, गुरुतर कर्तव्य है यह, निभाने के लि...धरती धारिणी है, गुरुतर कर्तव्य है यह, निभाने के लिये। सरल है, धरती न होना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com