tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6783580569514174767..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: हिंद-युग्म साप्ताहिक समीक्षा :8 14 सितंबर 2007 (शुक्रवार)।शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-11130540368477791162007-09-17T12:10:00.000+05:302007-09-17T12:10:00.000+05:30अजय जी,मुझे लगता है कि ऋषभ जी सच्चे कुम्हार की तरह...अजय जी,<BR/><BR/>मुझे लगता है कि ऋषभ जी सच्चे कुम्हार की तरह आपलोगों को अंदर से चोटकर और बाहर से पुचकारकर सुंदर घड़ा रूपी कवि बनाना चाहते हैं। मुझे इनकी समालोचना पसंद है। पुनः धन्यवाद।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-7572235490311231982007-09-15T21:30:00.000+05:302007-09-15T21:30:00.000+05:30डा. ऋषभ देव शर्मा जी की टिप्प्णियों की प्रतीक्षा ...डा. ऋषभ देव शर्मा जी की टिप्प्णियों की प्रतीक्षा तो सभी को रहती है। हिंदी दिवस पर उनकी कथनी सही है कइ हमारी मात्रभाषा को हमारे नेताओं के कारण ही उपेक्षा झेलनी पड़ रही है। लेकिन अब स्थिति बदलती नज़र आ रही है।कम्प्युटर पर हिंदयुग्म जैसे वेब साइट हिंदी को आगे बढा़ने का काम कर रहे हैं। आशा है हमारे ये युवा साहित्यकार इस अभियान को आगे बढा़येंगे और हमारी भाषा अंतरराष्ट्रिय स्तर अपना मुका़म खुद बनायेगी। जय हिंदी....जय हिंदचंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60280292806074044112007-09-15T19:19:00.000+05:302007-09-15T19:19:00.000+05:30आदरणीय ऋषभदेव जी,आपकी समीक्षा से कई ऐसे पहलू भी उभ...आदरणीय ऋषभदेव जी,<BR/>आपकी समीक्षा से कई ऐसे पहलू भी उभरकर सामने आ जाते हैं जो सामान्यतया छूट जाते हैं। ऐसे सार्थक श्रम के लिए धन्यवाद।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-6637580746028907062007-09-14T19:39:00.000+05:302007-09-14T19:39:00.000+05:30क्या कहूँ कितना अच्छा लगता है आपको पढ़ना, आपकी समी...क्या कहूँ कितना अच्छा लगता है आपको पढ़ना, आपकी समीक्षा आने के बाद मैं हर कविता को एक बार फ़िर पढता हूँ, वैसे अजय जी की बात पर विचार कीजियेगा, यूं तोः आप इशारों मे ही बहुत कुछ कह जाते हैं, फ़िर भी आपकी इन समीक्षाओं से हम सब को बहुत कुछ सीखने को मिलता है, आपने यक़ीनन युग्म का गौरव बढ़ाया है<BR/>धन्येवादSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65806886155169944582007-09-14T16:36:00.000+05:302007-09-14T16:36:00.000+05:30ऋषभदेव जी...इस बार आपकी समीक्षा का बहुत बेसब्री से...ऋषभदेव जी...इस बार आपकी समीक्षा का बहुत बेसब्री से इंतज़ार था जैसे किसी विद्यार्थी को अपने रिजल्ट का इंतज़ार रहता है :)<BR/>पाठकों की राय तो मैं पहले पढ़ चुकी थी पर इस नई विधा के बारे में आपके विचार जानने की उत्सुकता थी <BR/>आपके द्वारा की गई समीक्षा से मुझे बहुत कुछ नया सीखने को मिला है ... आपका साथ हम सबको और नया और अच्छा लिखने की प्रेरणा देता है ...दिनकर जी यह पंक्तियां अभी कुछ समय पहले पढी थी आज इस के साथ पढने में अलग ही आनंद आया... शुक्रिया....रंजनारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79579327667086025972007-09-14T13:13:00.000+05:302007-09-14T13:13:00.000+05:30आदरणीय ऋषभदेव जी,सादर प्रणाम के साथ आपका आभार प्रक...आदरणीय ऋषभदेव जी,<BR/>सादर प्रणाम के साथ आपका आभार प्रकट करना चाहता हूँ<BR/><BR/>प्रत्येक कविता पर इतनी सटीक और सारगर्भित समीक्षा!!! <BR/><BR/>आपकी साप्ताहिक समीक्षा मैं हमेशा ही पढता रहा हूँ क्योंकि यह किसी प्रशिक्षण संस्थान से कम नहीं है| हमारे कविमित्रों के लिये भी आपकी समीक्षा किसी वरदान से कम नहीं, कई मित्रों के लेखन में निरन्तर सुधार आया है ऐसा मैं युग्म का नियमित पाठक होने के कारण पूरे विश्वास से कह सकता हूँ|<BR/><BR/>युग्म को और स्तरीय बनाने मे आपका योगदान अतुलनीय है<BR/>पुनश्च आभार<BR/><BR/>सादर<BR/>गौरव शुक्लGaurav Shuklahttps://www.blogger.com/profile/12422162471969001645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25074249050317550092007-09-14T11:42:00.000+05:302007-09-14T11:42:00.000+05:30आदरणीय ऋषभदेव जी!हिन्दी दिवस की आपको भी हार्दिक शु...आदरणीय ऋषभदेव जी!<BR/><BR/>हिन्दी दिवस की आपको भी हार्दिक शुभकामनायें।आपने लिखा है कि "बड़ी-बड़ी बातें सुनते हैं तो सहज ही पूछने का मन होता है कि आप हिंदी को देश में कब उसकी प्रतिष्ठा लौटाएँगे ?" छोटे छोटे प्रयास भी बडा काम कर सकते हैं। आप जैसे मनीषियों की कलम है तो अभी आशा है।<BR/><BR/>"योग गैर ईसाई है" पर आपसे आशीष पा कर अभिभूत हूँ।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-41177494763782591252007-09-14T11:15:00.000+05:302007-09-14T11:15:00.000+05:30आदरणीय ऋषभदेव जी!आपकी समीक्षा का हर बार इंतज़ार रहत...आदरणीय ऋषभदेव जी!<BR/><BR/>आपकी समीक्षा का हर बार इंतज़ार रहता है क्योंकि समीक्षा न केवल पाठकों को रचना को आत्मसात करने के लिये एक नवीन अंतर्दृष्टि देती है अपितु कवियों को उनकी कमियाँ बता कर सतत-सुधार के लिये प्रेरित भी करती है. आप की समीक्षा अब तक दोनों ही उद्देश्यों की पूर्ति करती रही है, पर इधर लगता है कि आपने सिर्फ खूबियाँ ही गिनाने पर जोर दे रखा है. इस मंच के अधिकाँश कवि अभी काव्य-विधा के विद्यार्थी ही हैं, अत: आपसे विनम्र अनुरोध है कि रचना की कमियाँ तथा उसकी सौन्दर्य-वृद्धि के लिये कुछ विचार भी बताते रहें.<BR/>कुछ अधिक कह देने की धृष्टता के लिये माफ़ी चाहता हूँ.<BR/><BR/>विनीत:<BR/>अजय यादवSahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.com