tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6777144668019009482..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: जीने भर का जी चुका हूँ मैंशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-506351066701262842010-04-02T00:56:09.221+05:302010-04-02T00:56:09.221+05:30इसीलिये तो जिंदा है
चहल क़दमी साँसों की
अभी तक,
वर...इसीलिये तो जिंदा है<br />चहल क़दमी साँसों की<br />अभी तक,<br />वर्ना जीने भर के लिये तो;<br />कब का जी चुका हूँ मैं।<br /><br />सच ही कहा आपने सुंदर रचना है..............amitanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-26011568111691955522010-03-29T00:21:28.440+05:302010-03-29T00:21:28.440+05:30सत्यप्रसन्न जी तो अपनी कविताओं के जरिये भावनाओं को...सत्यप्रसन्न जी तो अपनी कविताओं के जरिये भावनाओं को घनीभूत करने मे उस्ताद हैं ही..आपकी यह कविता तेजी से भागते वक्त के साथ बदलती हुई हर चीज के बीच भी कुछ अमूर्त चीजों के वैसे-का-वैसा रहने की आश्वस्ति की तरह प्रतीत होती है..प्रातःकाल की मुक्त श्वास की तरह..जो पूरे दिन आश्वस्ति की तरह फ़ेफ़ड़े मे अटकी रहती है..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-27462675426369225582010-03-28T09:32:41.636+05:302010-03-28T09:32:41.636+05:30आपकी रचना पढने के बाद अनायास किसी का ये शेर याद आ ...आपकी रचना पढने के बाद अनायास किसी का ये शेर याद आ गया ...<br />किसी रंजिश को हवा दो कि मैं जिंदा हूँ अभी<br />मुझको एहसास दिला दो कि मैं जिंदा हूँ अभी .<br />जीवन में एक पड़ाव ऐसा भी आता है जब कुछ छोटे छोटे महीन पल ही जिंदा होने का एहसास दिलाते रहते हैं , वर्ना शेष सब धुंधला होता चला जाता हैरवीन्द्र शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07645977571238757726noreply@blogger.com