tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6776272469020462557..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: प्रतियोगिता से एक कविताशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-58832008573563933072007-08-20T02:53:00.000+05:302007-08-20T02:53:00.000+05:30इस विषय पर ऐसा कोई कवि नहीं होगा जिसने कलम न चलाई ...इस विषय पर ऐसा कोई कवि नहीं होगा जिसने कलम न चलाई हो और वैसे भी छायावादियों कवियों आपके समान ही बहुत ही सुंदर-सुंदर छंद लिखे हैं। <BR/><BR/>आपकी कविता में बहुत सुंदर प्रवाह है। गाया जाय तो बहुत बढ़िया हो जायेगी।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12292401495445960112007-08-17T18:51:00.000+05:302007-08-17T18:51:00.000+05:30रविकांतजी,रचना में बिम्ब बहुत ही सुन्दर है, कलात्म...रविकांतजी,<BR/><BR/>रचना में बिम्ब बहुत ही सुन्दर है, कलात्मकता और भाव दोनों ही मुझे बेहद पसंद आये।<BR/><BR/>बधाई स्वीकार करें!!!गिरिराज जोशीhttps://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-34104495478491103512007-08-17T14:54:00.000+05:302007-08-17T14:54:00.000+05:30अच्छा लिखा है आपने।अच्छा लिखा है आपने।अभिषेक सागरhttps://www.blogger.com/profile/02262214864547622776noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29958808467315226372007-08-17T11:51:00.000+05:302007-08-17T11:51:00.000+05:30रविकांत जी,आपने प्रथम बार प्रतियोगिता में भाग लिया...रविकांत जी,<BR/>आपने प्रथम बार प्रतियोगिता में भाग लिया और हमें इतनी अच्छी रचना पढ़ने को मिली..बहुत अच्छा लगा।<BR/><BR/>धन्यवाद,<BR/>तपन शर्माAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25725230084433594322007-08-17T11:41:00.000+05:302007-08-17T11:41:00.000+05:30मै बावरा सब जग फिरातुमसे मिलन की आस में।अज्ञात था ...मै बावरा सब जग फिरा<BR/>तुमसे मिलन की आस में।<BR/>अज्ञात था ये भेद तब<BR/>तुम ही बसे हर सांस में।<BR/>रविकान्त जी अत्यन्त कोमल भावनाऒं के साथ अद्वैतवाद को बडी खूबसूरती से समाहित किया है ।<BR/>अब मैं नहीं अब तुम नहीं<BR/>फिर मिलन भी कैसे कहूँ?<BR/>जब शेष नहीं कोई भेद<BR/>बोलो द्वैतमय कैसे रहूँ?<BR/>बधाईanuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66809516380622990002007-08-17T10:53:00.000+05:302007-08-17T10:53:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना है । मै बावरा सब जग फिरातुमसे मिल...बहुत सुन्दर रचना है । <BR/><BR/>मै बावरा सब जग फिरा<BR/>तुमसे मिलन की आस में।<BR/>अज्ञात था ये भेद तब<BR/>तुम ही बसे हर सांस में।<BR/>तुमसे परिचय जब हुआ<BR/>दृग ने अनोखी दृष्टि पाई।<BR/><BR/>यह पंक्तियाँ बहुत सुंदर लगी किसी सूफ़ी रचना जैसी ....रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-81836545959807796152007-08-16T23:59:00.000+05:302007-08-16T23:59:00.000+05:30रविकांत जी.. बहुत सुन्दर,बहुत प्यारी ..रचना.....अच...रविकांत जी.. <BR/><BR/>बहुत सुन्दर,<BR/>बहुत प्यारी ..<BR/>रचना.....<BR/><BR/>अच्छी अभिव्यक्ति <BR/>के लिए <BR/><BR/>बहुत-बहुत<BR/>बधाई । <BR/><BR/><BR/>आभार..गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-46859836191286093762007-08-16T20:39:00.000+05:302007-08-16T20:39:00.000+05:30bahut bahut sundar likha hai....aap ki shaili aur ...bahut bahut sundar likha hai....<BR/>aap ki shaili aur bhav donon hi uttam star ke hain...<BR/><BR/>piyush ke vichar<BR/>"इन्हे 8 वे नही 1ले अथवा दूसरे स्थान पर रखना चाहिए........... " <BR/>se poori tarah sahmat hoon...<BR/><BR/>likhte rahiye...<BR/>aapki kavitaon ka intazaar rahega..Kamlesh Nahatahttps://www.blogger.com/profile/02147828461830184145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-25881687829923260912007-08-16T18:22:00.000+05:302007-08-16T18:22:00.000+05:30बहुत सुन्दर रचना है । यह कविता पढ़कर मुझै प्रसाद ज...बहुत सुन्दर रचना है । यह कविता पढ़कर मुझै प्रसाद जी की कुछ पंक्तियाँ याद<BR/>आ रही हैं -----<BR/>शशि मुख पर घूँघट डाले<BR/>अंचल में दीप छिपाए<BR/>जीवन की गौधूलि में<BR/>कौतूहल से तुम आए ।<BR/>एक अच्छी अभिव्यक्ति के लिए बधाई ।शोभाhttps://www.blogger.com/profile/01880609153671810492noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-9480923819734648982007-08-16T17:41:00.000+05:302007-08-16T17:41:00.000+05:30विपिन मन ने अच्छा लिखा है..कवि कुलवंतविपिन मन ने अच्छा लिखा है..कवि कुलवंतKavi Kulwanthttps://www.blogger.com/profile/03020723394840747195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-62696867985401966282007-08-16T17:36:00.000+05:302007-08-16T17:36:00.000+05:30कविता शिल्प की दृष्टी से बेहद दमदार है...............कविता शिल्प की दृष्टी से बेहद दमदार है............. <BR/>इस दृष्टी से पहले जज का निर्णय सही लगता है......... <BR/>इन्हे 8 वे नही 1ले अथवा दूसरे स्थान पर रखना चाहिए........... <BR/>शब्द चयन और भाषा का तो मै कायल हो गया..... <BR/>जैसे.. <BR/>विरह-व्यथा से हो व्यथित....... <BR/>भाव भी अच्छे है,,,,,, <BR/>क्यों है ये खोने का भय <BR/>पाकर अपनी ही थाती को। <BR/>प्यासा सीप ज्यो चाहे संजोना <BR/>बूंद-बूंद जल स्वाती को। <BR/>और भी चमत्कार है,,,,,,,,,,,,,,,,अंतिम पद तो अदभुत जान पड़ा है...... <BR/>तुम्हे देखता मै की पुनर्वृत्ती भी अदभुत प्रभाव छोड़ती है<BR/>पर चूनलि भाषा थोड़ी क्लिशट है सो दिल मे उतरने मे समय लगता है<BR/>और काव्य मे थोड़ी गति का अभाव है<BR/>शुभकामनाएँAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-56514551927182085322007-08-16T17:15:00.000+05:302007-08-16T17:15:00.000+05:30रविकांत जी.. हिन्द युग्म पर आपका स्वागत है..आप प्र...रविकांत जी.. <BR/>हिन्द युग्म पर आपका स्वागत है..<BR/>आप प्रतियोगिता में शामिल हुये..बहुत बहुत आभार..<BR/>आप की रचना बहुत सुन्दर है...<BR/>और आप का स्तर समझ में आता है..<BR/>बहुत सम्भावनायें हैं आप में आशा करता हूँ कि इस बार की प्रतियोगिता में आप की बेमिसाल क्रति हमें पढने को मिलेगी..<BR/>प्रतियोगिता के परिणाम से दिल छोटा मत कीजियेगा..<BR/>बहुत प्यारी रचना है आप की..<BR/>आभार..विपिन चौहान "मन"https://www.blogger.com/profile/10541647834836427554noreply@blogger.com