tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6588530805722901248..comments2024-03-09T13:57:59.872+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: बुधिया-भाग 6शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-72049809842321277392007-11-15T20:20:00.000+05:302007-11-15T20:20:00.000+05:30विपुल जी!!बुधिया के मर्म को आपने बहुत ही अच्छे से ...विपुल जी!!<BR/>बुधिया के मर्म को आपने बहुत ही अच्छे से प्रस्तूत किया है...<BR/>******************<BR/>कहीं भगवान को ज़ुकाम हो जाए,<BR/>वो दवा लेने आएँ<BR/>तो कुछ पैसे मुझे भी दे जाएँ!<BR/><BR/>नहीं!<BR/>वो क्यों देगा पैसे?<BR/>उसी ने तो यह सब करवाया है!<BR/>लगता है उसकी माँ नही है,<BR/>माँ का प्यार..<BR/>उसने नहीं पाया है !<BR/>*********************** <BR/>-------बहुत बधिया लिखा है...."राज"https://www.blogger.com/profile/17803945586042941740noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-4309623905669757262007-11-09T00:28:00.000+05:302007-11-09T00:28:00.000+05:30विपुल जी,आपका शिल्प बहुत कमज़ोर है। शिल्प कविता का ...विपुल जी,<BR/><BR/>आपका शिल्प बहुत कमज़ोर है। शिल्प कविता का बाह्य सौन्दर्य है। कभी-कभी तुक का आपको इतना मोह होता है कि भाव को कमज़ोर बना देते हैं (पहली ४ पंक्तियाँ)।<BR/><BR/>और उससे बाद कविता कहानी हो जाती है॰॰॰॰॰॰ मैं इसे बहुत अधिक बढ़िया कविता नहीं कहूँगा।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-38311915455932691272007-11-05T21:45:00.000+05:302007-11-05T21:45:00.000+05:30बुधिया..खड़ी है मेडिकल स्टोर के बाहरआस में..कहीं भ...बुधिया..<BR/>खड़ी है मेडिकल स्टोर के बाहर<BR/>आस में..<BR/>कहीं भगवान को ज़ुकाम हो जाए,<BR/>वो दवा लेने आएँ<BR/>तो कुछ पैसे मुझे भी दे जाएँ!<BR/><BR/><BR/>वाह! मन से आह निकलती है।Adminhttps://www.blogger.com/profile/13066188398781940438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50968221368285304912007-11-05T18:28:00.000+05:302007-11-05T18:28:00.000+05:30विपुल जीआपका चरित्र "बुधिया" आपकी पहचान बनता जा रह...विपुल जी<BR/>आपका चरित्र "बुधिया" आपकी पहचान बनता जा रहा है और उसे ले कर जितनी मार्मिक और हृदयस्पर्शी रचनायें आपने लिखी हैं वे सभी प्रसंशनीय है| इस कविता में बहुत कुछ एसा है जो कि आपके भीतर के संवेदनशील कवि को प्रस्तुत करता है, किंतु कुछ स्थानों पर प्रवाह नें प्रभाव कम भी कियी है|संपूर्णता में बहुत सशक्त प्रस्तुति|<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-80735579857044507162007-11-05T16:58:00.000+05:302007-11-05T16:58:00.000+05:30बुधिया..खड़ी है मेडिकल स्टोर के बाहरआस में..कहीं भ...बुधिया..<BR/>खड़ी है मेडिकल स्टोर के बाहर<BR/>आस में..<BR/>कहीं भगवान को ज़ुकाम हो जाए,<BR/>वो दवा लेने आएँ<BR/>तो कुछ पैसे मुझे भी दे जाएँ!<BR/><BR/>बहुत बढिया प्रयास कर रहे हो , विपुल तुम। एक हीं विषय पर इतने तरीके से लिखना आसान नहीं होता। लेकिन तुम कभी भी इसे कमजोर नहीं होने देते। इसके लिए तुम बधाई के पात्र हो।<BR/><BR/>-विश्व दीपक 'तन्हा'विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-59750455072489378062007-11-05T14:25:00.000+05:302007-11-05T14:25:00.000+05:30भगवान को ज़ुकाम वाली बात अच्छी लगी.भगवान को ज़ुकाम वाली बात अच्छी लगी.Avanish Gautamhttps://www.blogger.com/profile/03737794502488533991noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-79917661917556925512007-11-05T10:54:00.000+05:302007-11-05T10:54:00.000+05:30विपुल जी,सुन्दर लिखा है आपने.. इस दर्द को झेलने वा...विपुल जी,<BR/><BR/>सुन्दर लिखा है आपने.. इस दर्द को झेलने वालों की कमी नहीं इस संसार में...Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-22408365088903831092007-11-04T20:58:00.000+05:302007-11-04T20:58:00.000+05:30कविता उत्तरार्ध की ओर प्रभावी होती गयी है, शुरुआत ...कविता उत्तरार्ध की ओर प्रभावी होती गयी है, शुरुआत में थोड़ी कमजोर है।<BR/><BR/>मुझे जितने जल्दी अनाथ करेगा<BR/>तेरे मंदिर में,<BR/>उतने नारियल चढ़ाऊंगी !<BR/><BR/>मार्मिक प्रस्तुति।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-90718137535587336682007-11-04T19:51:00.000+05:302007-11-04T19:51:00.000+05:30मुझे जितने (जितनी) जल्दी अनाथ करेगातेरे मंदिर में,...मुझे जितने (जितनी) जल्दी अनाथ करेगा<BR/>तेरे मंदिर में,<BR/>उतने नारियल चढ़ाऊंगी !"<BR/><BR/>अंत ......दिल को छू को गया ...गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-13276081832311041582007-11-04T13:03:00.000+05:302007-11-04T13:03:00.000+05:30पिछली बुधिया से थोड़ी ढीली पड़ी है ॥ पर फ़िर भी बहुत ...पिछली बुधिया से थोड़ी ढीली पड़ी है ॥ पर फ़िर भी बहुत प्रभावी है ।<BR/><BR/>"मुझे जितने (जितनी) जल्दी अनाथ करेगा<BR/>तेरे मंदिर में,<BR/>उतने नारियल चढ़ाऊंगी !"<BR/> यह मर्म पूरी कविता में दिखता तो क्या बात थी !!Alok Shankarhttps://www.blogger.com/profile/03808522427807918062noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36094768040662771812007-11-04T12:09:00.000+05:302007-11-04T12:09:00.000+05:30बुधिया का दर्द फ़िर दिखा इस रचना में ...और इसका अंत...बुधिया का दर्द फ़िर दिखा इस रचना में ...और इसका अंत दिल को छू को गया !!<BR/>बहुत बहुत शुभकामना के साथ <BR/>रंजूरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-36017792133599347542007-11-04T09:45:00.000+05:302007-11-04T09:45:00.000+05:30वेदनामयी कविता....लेकिन एक कमी- कहीं कहीं कविता बह...वेदनामयी कविता....<BR/>लेकिन एक कमी- कहीं कहीं कविता बहुत अधिक गद्यात्मक हो जाती है।गौरव सोलंकीhttps://www.blogger.com/profile/12475237221265153293noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-71818917521172165762007-11-04T08:02:00.000+05:302007-11-04T08:02:00.000+05:30budhia ka swar is baar kuch sahma sahma laga, ho s...budhia ka swar is baar kuch sahma sahma laga, ho sakta hai budhia bhi samay ke saath saath badal rahi hoSajeevhttps://www.blogger.com/profile/08906311153913173185noreply@blogger.com