tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6456816155385957578..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: सम सामयिक रामशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-68774941642010113762007-11-28T13:07:00.000+05:302007-11-28T13:07:00.000+05:30इतान ही कहूँगा कि खूब पढ़े और समकालीन साहित्य को भ...इतान ही कहूँगा कि खूब पढ़े और समकालीन साहित्य को भी बघारें, आप काफ़ी अच्छा लिख सकते हैं।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-40054031019267415062007-11-24T18:34:00.000+05:302007-11-24T18:34:00.000+05:30कविता परंपरा के प्रति एकांगी दृष्टिकोण को दर्शाती ...कविता परंपरा के प्रति एकांगी दृष्टिकोण को दर्शाती है।RAVI KANThttps://www.blogger.com/profile/07664160978044742865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-66295802645355992812007-11-23T17:30:00.000+05:302007-11-23T17:30:00.000+05:30अरुण जी, बहुत-बहुत बधाई.आपकी कविता काफी रोचक लगी. ...अरुण जी, बहुत-बहुत बधाई.<BR/><BR/>आपकी कविता काफी रोचक लगी. प्रस्तुतीकरण सम्यक् लगा. किन्तु सुधार अपेक्षित है.<BR/><BR/>शुभकामना सहित,<BR/>मणि.दिवाकर मणिhttps://www.blogger.com/profile/03148232864896422250noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-10649108723200971102007-11-23T15:49:00.000+05:302007-11-23T15:49:00.000+05:30सुंदर है.बधाई.नया पन कम है.अवनीश तिवारीसुंदर है.<BR/>बधाई.<BR/>नया पन कम है.<BR/><BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-29771330961422260602007-11-23T15:19:00.000+05:302007-11-23T15:19:00.000+05:30अरुण जीकविता अच्छी है विषेशकर शिल्पगत प्रस्तुति कि...अरुण जी<BR/><BR/>कविता अच्छी है विषेशकर शिल्पगत प्रस्तुति किंतु कथ्य कमजोत है और सपाट भी। तार्किकता के अभाव में आपकी बात स्थापित नहीं हो सकी है।<BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.com