tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post6020808409597169981..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: मेरी सारी चाय ठंडी हो गई...शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-53629193918751008492009-09-27T10:23:32.251+05:302009-09-27T10:23:32.251+05:30नकवी जी ,
आपको मेरा हार्दिक नमन .
लगता है दौड़ कर ...नकवी जी ,<br />आपको मेरा हार्दिक नमन .<br />लगता है दौड़ कर आपके लिए एक और गरम चाय लाउन .<br />.हरेक शब्द काफी असरदार हैं.<br />'अब वही करतार है <br />जिसके हाथ में तलवार है '<br />कह कर आपने मेरी एक पंक्ति को सहमति दे दी -<br />मैंने कहा - ' जो कर सके भयभीत वह भगवान होता है ,<br /> जो मिले सब से गले ,वह महज इंसान होता है.'<br /><br />सादर <br />कमल किशोर सिंह <br />अमेरिकाkamal singhnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48167239949570630592009-09-18T19:34:49.959+05:302009-09-18T19:34:49.959+05:30क्या बात है नाजिम जी.. गजब... बहुत अच्छा...क्या बात है नाजिम जी.. गजब... बहुत अच्छा...तपन शर्मा Tapan Sharmahttps://www.blogger.com/profile/02380012895583703832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30379488274008851582009-09-17T22:34:03.365+05:302009-09-17T22:34:03.365+05:30जिंदगी बनकर तबाही
अपने घर पर आ गई
और
छोड़िये बेकार...जिंदगी बनकर तबाही<br />अपने घर पर आ गई<br />और<br />छोड़िये बेकार की बातें हैं सब,<br />मेरी सारी चाय ठंडी हो गई<br />इन दो एक्स्ट्रीम्स के बीच बँधे रस्से पर चलती जिंदगी की हक़ीक़त बयाँ करती है आपकी कविता..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-21395266250088013112009-09-17T21:56:15.909+05:302009-09-17T21:56:15.909+05:30जिंदगी बनकर तबाही
अपने घर पर आ गई
अब वही करतार है
...जिंदगी बनकर तबाही<br />अपने घर पर आ गई<br />अब वही करतार है<br />जिस हाथ में तलवार है<br />छीनकर इस्मत सरे-बाज़ार<br />जो आज़ाद है<br />कल रहा होगा दरिंदा<br />अब वही फ़रहाद है<br />तालिबे-बंदूक़ कल<br />हमने बनाया था जिन्हें<br />अब जो है नाटक का हिस्सा<br />उसमें मरना है उन्हें<br /> सहीं है आज की यही तस्वीर है आप के सुंदर तरीके से लिखा है <br />सादर<br />रचनाrachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30774616444352256382009-09-17T19:35:29.352+05:302009-09-17T19:35:29.352+05:30आप चायकी बात करते हैं... आपकी लफ्जों के तीर देख मे...आप चायकी बात करते हैं... आपकी लफ्जों के तीर देख मेरी साँसें ठंडी हो गयीAdminhttps://www.blogger.com/profile/13066188398781940438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-38881296482186263942009-09-17T17:54:40.628+05:302009-09-17T17:54:40.628+05:30व्यंगात्मक संदेशयुक्त कविता बढिया लगी .
वाकई मे...व्यंगात्मक संदेशयुक्त कविता बढिया लगी .<br /> वाकई मेरी भी चाय ठंडी हो गयी .Manju Guptahttps://www.blogger.com/profile/10464006263216607501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-46382542656242657262009-09-17T15:01:55.194+05:302009-09-17T15:01:55.194+05:30नाज़िम की नज़्म पर कई चाय कुर्बान।
--देवेन्द्र पाण...नाज़िम की नज़्म पर कई चाय कुर्बान।<br />--देवेन्द्र पाण्डेय।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-65645209785742979142009-09-17T12:15:20.229+05:302009-09-17T12:15:20.229+05:30नाजिम जी ,
आपकी कविता पढ़ते पढ़ते ...नाजिम जी ,<br /> आपकी कविता पढ़ते पढ़ते हमारी चाय भी ठंडी हो गयी ,सटीक व्यंग है ,पर सूरजको क्योँ घसीट लिया बेकार में और उसका मुहँ भी काला ,समझ में नहीं आया ,<br /><br />अपना काला मुँह लिये<br />सूरज निकल आता है रोज़<br /><br />सूरज की क्या खता है समझ में नहीं आया <br /><br />जाम भी मुँह धो के<br />बन जाते हैं चाय का गिलास<br />मंदिरों और मस्जिदों से<br />माफ़ करवा कर गुनाह<br />खोलते हैं राम और रहमान<br />फिर अपनी दुकाँ<br />ज़ुल्म का बाज़ार सज जाता है<br />पूरी शान से<br />फिर निकलता है घरों से<br />डर किसी हैजान से<br />दौड़ कर बाज़ार से<br />माबूद ले आते हैं लोग<br /><br />पंक्तियाँ इस कविता की रूह है ,जो हमे बेहद पसंद आईneelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-91760614052239145532009-09-17T11:18:32.999+05:302009-09-17T11:18:32.999+05:30वाह..अद्भुत शब्दों की इतनी सुंदर संरचना और सुंदर ...वाह..अद्भुत शब्दों की इतनी सुंदर संरचना और सुंदर व्यंग के साथ..<br />संदेश देती हुई भावपूर्ण कविता..बधाई....विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.com