tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5869788721407426754..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: यह, लड़कियाँ.........शैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-45869507965184388892009-11-27T13:53:01.263+05:302009-11-27T13:53:01.263+05:30This comment has been removed by the author.मुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-69028736413436638902009-11-27T13:53:00.344+05:302009-11-27T13:53:00.344+05:30आप सभी को अपनी प्रतिक्रियाओं के लिये आभार!
अपूर्व...आप सभी को अपनी प्रतिक्रियाओं के लिये आभार!<br /><br />अपूर्व जी ने जो कहा है कि "नकटौरा" वह ही सही है दरअसल नाट्य/नाट्क से उपजे हुये शब्द को नटकौरा को आम बोलचाल में नकटौरा ही कहा जाता है। मैं प्रस्तुत कविता में ना जाने कब यह चूक कर गया यह मैं भी मानता हूँ कि नकटौरा ज्यादा प्रासंगिक होता या अपीलिंग।<br /><br />सादर,<br /><br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-35355216375236710022009-11-25T14:58:13.112+05:302009-11-25T14:58:13.112+05:30ये लड़कियाँ,
जब भी आती हैं शहर
बस सिमटी रह जाती है...ये लड़कियाँ,<br />जब भी आती हैं शहर<br />बस सिमटी रह जाती हैं <br /><br />सिमटना देहाती लडकियों की नियति है जब तक तब तक ऐसा ही होगा-इसका ईलाज केवल शिक्षा प्रचार हैgazalkbahanehttps://www.blogger.com/profile/13644251020362839761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-3023285626777305342009-11-24T22:26:58.463+05:302009-11-24T22:26:58.463+05:30लड़कियाँ और उनके मनोभाव का आपने बड़ा ही सजीव चित्र...लड़कियाँ और उनके मनोभाव का आपने बड़ा ही सजीव चित्रण किया है साथ ही साथ शहर और कस्बों के रीति रिवाज को समेटे हुए बिल्कुल करीब से जाती हुई कविता ... धन्यवाद मुकेश जीविनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-32108775564401022132009-11-24T21:23:48.290+05:302009-11-24T21:23:48.290+05:30लाइमलाइट से बाहर के सत्य को रोशनी मे लाने मे तो आप...लाइमलाइट से बाहर के सत्य को रोशनी मे लाने मे तो आप उस्ताद हैं ही..यहाँ समाज का एक बड़ा वर्ग जो बालिका से वृद्धा होने तक का सफ़र कुछ छोटे-२ सपनों, कुछ आशाएं, ढेर से वर्जनाओं और परिवारजनों की मेहरबानी के सहारे काट देता है..उसका इतना सजीव व भावनात्मक चित्रण आपकी कलम की सोद्देश्य संवेदनीलता को उजागर करता है..<br />शाय्द नकटौरा सुना है हमने, नटकौरा कुछ और होता होगा..अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-9549888185906246202009-11-24T19:52:05.885+05:302009-11-24T19:52:05.885+05:30kya sunder tasvir khichi hai .sara manjar aankhon ...kya sunder tasvir khichi hai .sara manjar aankhon ke samne aagaya ho jaese <br />saader<br />rachanarachananoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-77094447204139121942009-11-24T16:31:46.310+05:302009-11-24T16:31:46.310+05:30बेहतरीन ..बेहतरीन ..पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-74963060475611894842009-11-24T16:10:52.256+05:302009-11-24T16:10:52.256+05:30अच्छी कविता है। इस तरह की कविताएँ अनुभवों को लगाता...अच्छी कविता है। इस तरह की कविताएँ अनुभवों को लगातार संजोने और भेदी नज़र से चीज़ों को देखने से तैयार होती है।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-40259949609340434982009-11-24T15:23:49.355+05:302009-11-24T15:23:49.355+05:30वाह!वाह!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28064187924828701702009-11-24T12:13:52.166+05:302009-11-24T12:13:52.166+05:30यह लड़कियाँ,
किसी के कहने का इंतजार नही करती
जब भ...यह लड़कियाँ, <br />किसी के कहने का इंतजार नही करती <br />जब भी वक्त मिलता है पकड़ लेती है अगला काम <br />चाहे वो आँगन लीपने के लिये गोबर खोजना हो <br />या दरवाजों पर बनाने हो मांड़ने <br />या कलश के लिये गोंठना हो जौ गोबर के साथ <br />या सजाना हो कलश बारात की अगवानी पर <br />या करना हो नटकौरा* <br />यह लड़्कियाँ बारात में नही जाती हैं।<br /><br /><br /><br />एक कडवा सच <br /><br />बहुत बेहतरीन <br />बहुत फर्क है......karmahttps://www.blogger.com/profile/10844471108284748875noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-51276134058965125102009-11-24T09:38:46.107+05:302009-11-24T09:38:46.107+05:30बिलकुल सही तस्वीर है शहर और देहात की लडकियों की बध...बिलकुल सही तस्वीर है शहर और देहात की लडकियों की बधाईनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-19975360836706427662009-11-24T09:36:50.503+05:302009-11-24T09:36:50.503+05:30देहाती परम्पराएँ जिन्हें हम शहर में आकर छोड़ते या भ...देहाती परम्पराएँ जिन्हें हम शहर में आकर छोड़ते या भूलते जा रहे हैं का मार्मिक और विस्तारपूर्वक चित्रण, सुंदर रचना. कवि को धन्यवाद् और आभार.राकेश कौशिक https://www.blogger.com/profile/13818078212163432024noreply@blogger.com