tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post5800631598774899568..comments2024-03-23T18:32:18.216+05:30Comments on हिन्द-युग्म Hindi Kavita: दोषी दिल बेरहम हैशैलेश भारतवासीhttp://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-89390124422886357302007-05-23T16:54:00.000+05:302007-05-23T16:54:00.000+05:30हमेशा की तरह एक और खूबसूरत गज़ल। पंकज जी, आपकी गज़लो...हमेशा की तरह एक और खूबसूरत गज़ल। पंकज जी, आपकी गज़लों पर टिप्पणी करना, मेरे लिये खासा मुश्किल काम है क्योंकि आपकी कमी ढूँढने की सामर्थ्य नहीं और तारीफ करने के लिये शब्द तलाशने मुश्किल हो जाते हैं। हार्दिक बधाई।SahityaShilpihttps://www.blogger.com/profile/12784365227441414723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-60616935700083410832007-05-17T12:25:00.000+05:302007-05-17T12:25:00.000+05:30इश्के मजाजी से इश्के हकीकी तक के सफर बीच बेशकीमत...इश्के मजाजी से इश्के हकीकी तक के सफर बीच बेशकीमत मोती बिखरे मिलते हैं। आपका मोती अच्छा है।आशीष "अंशुमाली"https://www.blogger.com/profile/07525720814604262467noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-28594460537405414352007-05-15T09:06:00.000+05:302007-05-15T09:06:00.000+05:30एक लाइन पढ़कर बहुत मज़ा आया, थोड़ी अलग लगी-तेरी ही ...एक लाइन पढ़कर बहुत मज़ा आया, थोड़ी अलग लगी-<BR/><B>तेरी ही खुशी से मेरी भी खुशी है;<BR/>नहीं फर्क पड़ता वो ज्यादा या कम है।</B>शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-30153674864880899922007-05-10T18:20:00.000+05:302007-05-10T18:20:00.000+05:30तेरे सारे गम मेरे सीने में भर दे,मेरी सारी खुशियों...तेरे सारे गम मेरे सीने में भर दे,<BR/>मेरी सारी खुशियों को दिल में जगह दे;<BR/>तेरी ही खुशी से मेरी भी खुशी है;<BR/>नहीं फर्क पड़ता वो ज्यादा या कम है।<BR/><BR/>सुन्दर!!! प्रेम और समर्पण एक दूसरे के प्राय माने जाते है, बहुत ही खूबसूरत रचना है।<BR/><BR/>पंकजजी बधाई स्वीकार करें।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-12932860571437725882007-05-10T14:12:00.000+05:302007-05-10T14:12:00.000+05:30आपकी यह गजल वास्तम पढ़ते समय कानों मे बजती सी प्र...आपकी यह गजल वास्तम पढ़ते समय कानों मे बजती सी प्रतीत हो रही थी। <BR/>बधाईPramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-39206287561118044522007-05-10T10:44:00.000+05:302007-05-10T10:44:00.000+05:30बेरूखी का शिकवा भी हैदिल का जज्वा भी हैगुजारिशे-म...बेरूखी का शिकवा भी है<BR/>दिल का जज्वा भी है<BR/>गुजारिशे-मुहब्बत भी है<BR/>और क्या चाहिये एक गजल के लिये <BR/>बधायी होMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-50958161035584297312007-05-10T10:13:00.000+05:302007-05-10T10:13:00.000+05:30bahut badhiya. badhai sweekarein.bahut badhiya. <BR/>badhai sweekarein.विश्व दीपकhttps://www.blogger.com/profile/10276082553907088514noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-54568872539558903382007-05-10T02:07:00.000+05:302007-05-10T02:07:00.000+05:30तेरे सारे गम मेरे सीने में भर दे,मेरी सारी खुशियों...तेरे सारे गम मेरे सीने में भर दे,<BR/>मेरी सारी खुशियों को दिल में जगह दे;<BR/>तेरी ही खुशी से मेरी भी खुशी है;<BR/>नहीं फर्क पड़ता वो ज्यादा या कम है।<BR/><BR/>अच्छा लगा पढ़कर ....बधाईReetesh Guptahttps://www.blogger.com/profile/12515570085939529378noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-83660009330138262112007-05-09T23:54:00.000+05:302007-05-09T23:54:00.000+05:30बहुत ख़ूब ....बेहद ख़ूबसूरत भाव... यकीनन मुझे इश्क...बहुत ख़ूब ....<BR/>बेहद ख़ूबसूरत भाव... <BR/><BR/>यकीनन मुझे इश्क करना न आया ,<BR/>तेरे दिल को अपना बना मैं न पाया;<BR/>क्या शिकवा करूँ तुझसे ऐ मेरे दिलवर;<BR/>कि अब बस मुझे अपने जीने का गम है। <BR/><BR/>बधाई।gita pandithttps://www.blogger.com/profile/03600034911045276267noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-90429722981480198602007-05-09T23:23:00.000+05:302007-05-09T23:23:00.000+05:30बहुत अच्छा लिखा है विषेशतया ये पक्तिंयाँ पसंद आई,....बहुत अच्छा लिखा है विषेशतया ये पक्तिंयाँ पसंद आई,..<BR/>यकीनन मुझे इश्क करना न आया ,<BR/>तेरे दिल को अपना बना मैं न पाया;<BR/>क्या शिकवा करूँ तुझसे ऐ मेरे दिलवर;<BR/>कि अब बस मुझे अपने जीने का गम है। <BR/>शानूसुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-17519790246306375992007-05-09T20:58:00.000+05:302007-05-09T20:58:00.000+05:30पंकज जी..आपकी कविताओं की अच्छी बात मुझे उनका नपातु...पंकज जी..<BR/>आपकी कविताओं की अच्छी बात मुझे उनका नपातुला पन लगता है। रचना में सादगी से अपना हाल-ए-दिल बयां है। <BR/><BR/>*** राजीव रंजन प्रसादराजीव रंजन प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/17408893442948645899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-81761098992743148042007-05-09T13:28:00.000+05:302007-05-09T13:28:00.000+05:30है।तेरे मामलों में हो मेरा दखल क्यूँ,मगर कर ही देत...है।तेरे मामलों में हो मेरा दखल क्यूँ,<BR/>मगर कर ही देता है दिल ये पहल क्यूँ;<BR/>इसी की हुकूमत है नज़र-ओ-कदम पर;<BR/>हैं हम रूबरू दोषी दिल बेरहम <BR/><BR/>बहुत ख़ूब !! <BR/><BR/>बेहद ख़ूबसूरत भाव हैं ...यूँ ही दिल में आ गया इस को पढ़ के..:) <BR/><BR/>जो था तेरे मेरे बीच कुछ बातो का सिलसिला <BR/>वो मेरा दिल कभी चाह के भी भूल ना पाया <BR/>नज़रो में आज भी है वो अक़्स तुम्हारा <BR/>जिस को कभी था हमने अपना बनाया !!रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-30371899.post-48957962616673327722007-05-09T13:03:00.000+05:302007-05-09T13:03:00.000+05:30बहुत बढिया रचना है।अपने भावों को बहुत खूबसूत शब्दो...बहुत बढिया रचना है।अपने भावों को बहुत खूबसूत शब्दों मे पिरोया है।बधाई।Anonymousnoreply@blogger.com